पादरू, ता. 23 मार्च पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी महाराज ने आज कुशल कान्ति मणि मंडप में प्रवचन फरमाते हुए कहा- न तो जन्म पूजनीय होता है, न मृत्यु! पूजनीय होता है जीवन! जो आत्मा अपना जीवन सुधार लेता है, उसका जन्म भी और मृत्यु भी महोत्सव और पूजनीय हो जाता है। उन्होंने कहा- परमात्म पद की अनुकूलता हमें भी वैसी ही प्राप्त है, जैसी परमात्मा को प्राप्त थीं प्रश्न यह है कि हम उन अनुकूलताओं और साधनों का कितना उपयोग करते हैं! उन्होंने कहा- यह जीवन अनमोल है, इसका कोई मूल्य नहीं है । जीवन के बदले में हर वस्तु मिल सकती है परन्तु ऐसी कोई वस्तु नहीं है जिसके बदले में जीवन मिल सके । दुनिया के जितने भी धर्म है सभी धर्मों ने मनुष्य जीवन की महिमा गाई है । संत तुलसीदास ने लिखा है- 'बडे भाग मानुष तन पावा' ! उन्होंने कहा- इस अनमोल, अनूठे, अद्वितीय, मनुष्य जीवन को पाकर यदि हमने व्यर्थ में खो दिया तो हमारे जैसा मूर्ख और कौन होगा ! उन्होंने कहा- जीवन प्रेम करने के लिये भी जब इतना छोटा है तो मनुष्य घृणा, वैमनस्य के लिये समय कैसे निकाल पाता है । इसका अर्थ यही है कि हमने अभी त...