पूज्य उपाध्यायश्री का प्रवचन ता. 30 जुलाई 2013, पालीताना जीवन को उँचाईयों की ओर ले जाना है, तो हमें अनुशासन अपनाना होगा। अनुशासन की परिभाषा है- मर्यादा! हर व्यक्ति को अपनी मर्यादा में जीना होता है। मर्यादा का जो भी उल्लंघन करता है, वह घोर अशांति का कारण बन जाता है। ये उद्गार जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्री संघ के उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने आज पालीताणा श्री जिन हरि विहार धर्मशाला के सुखसागर प्रवचन मंडप में उत्तराध्ययन सूत्र पर प्रवचन देते हुए कहे। विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- दूसरों की जिन्दगी में झांकने की हमारी आदत है। अपनी जिन्दगी को देखने की हमें फुरसद नहीें है, जबकि दूसरों के जीवन की बारीकियों के प्रति हम बहुत उत्सुक होते हैं। उन्होंने कहा- सामान्य-सी लगने वाली बात पर भी हम अपना ज्ञान भरा चिंतन प्रारंभ कर देते हैं। ... इसने स्कूटर इस कंपनी का क्यों लिया! उस कंपनी का लेता तो अच्छा होता! ... हमेशा 9 बजे की बस पकड कर आँफिस की ओर प्रस्थान करने वाला 'यह' आज दस बजे क्यों जा रहा है? घर पर कुछ झघडा तो नहीं हुआ! यह पीले रंग का शर्ट इसे...