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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Tatvarth sutra Prashna

1. तत्वार्थसूत्र का अन्य नाम है-
मोक्षपाहुड
मोक्षशास्त्र R
मोक्षमार्गप्रकाशक
उपर्युक्त सभी
2. सात तत्वों में से कितने तत्व द्रव्य हैं और कितने पर्याय?
2 और 5 R
5 और 2
3 और 4
4 और 3
3. अवधिज्ञान से जाने गये पदार्थ से कितना सूक्ष्म विषय मनःपर्यय जान लेता है-
संख्यातगुणा सूक्ष्म
असंख्यातगुणा सूक्ष्म
अनन्तगुणा सूक्ष्मR
अनियत है

4. ऋजुमती और विपुलमती ज्ञान किस ज्ञान के भेद हैं-
मतिज्ञान
श्रुतज्ञान
अवधिज्ञान
मनःपर्ययज्ञानR
5. निम्न में से कौनसा ज्ञान सादि-अनन्त है-
मति और श्रुतज्ञान
अवधि और मनःपर्ययज्ञान
श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान
केवलज्ञान R
6. अक्षर और अनक्षर किस ज्ञान के भेद हैं-
मतिज्ञान
श्रुतज्ञान R
अवधिज्ञान
मनःपर्ययज्ञान
7. क्षायोपशमिक भाव में होता है-
क्षय और उपशम
क्षय और उदय
उपशम और उदय
क्षय, उपशम और उदय R
8. अभव्यत्व भाव किस भाव का भेद है-
औदयिक
क्षायिक
औपशमिक
पारिणामिक R
9. भ्रमर, मक्खी, मच्छर आदि कितने इन्द्रिय जीव हैं-
दो-इन्द्रिय
तीन-इन्द्रिय
चार-इन्द्रिय R
पंचेन्द्रिय
10. मुक्त जीव की गति में कितने मोड़ होते हैं-
एक
दो
तीन
एक भी नहीं R
11. पोत जन्म का उदाहरण है-
सिंह R
मनुष्य
कबूतर
नारकी
12. असुरकुमार जाति के देव कितने नरक तक जा सकते हैं-
पहले
दूसरे
तीसरे R
चैथे
13. गंगा नदी का सही उद्गम स्थल है-
गंगाकुण्ड
हिमवान् पर्वत
पद्म सरोवर R
विजयार्ध पर्वत
14. जम्बूद्वीप के उत्तर में सबसे अन्तिम क्षेत्र का नाम है-
रम्यक
ऐरावत R
हैरण्यवत
हरि
15. कालचक्र चलता है-
भरत क्षेत्र में
ऐरावत क्षेत्र में
भरत और ऐरावत दोनों में
भरत और ऐरावत के आर्यखण्डों में R
16. सप्तम नरक में कितने बिल हैं-
एक लाख
तीन लाख
दस लाख
मात्र पांच R
17. ज्योतिषी देवों के इन्द्र हैं-
सूर्य
चन्द्र
नक्षत्र
सूर्य और चन्द्र दोनों R
18. ऊपर-ऊपर के देवों में क्या नहीं घटता है-
देवियां
शरीर की उंचाई
गति
स्थिति R
19. अचल द्रव्य हैं-
तीन
चार R
पांच
सभी छह
20. जीव के प्रदेशों की संख्या है-
संख्यात
असंख्यात R
अनन्त
अनियत
21. आतप और उद्योत किस द्रव्य के कार्य हैं-
जीव
पुद्गल R
धर्म
आकाश
22. संकोच-विस्तार मुख्यरूप से किस द्रव्य में पाया जाता है-
जीव R
पुद्गल
आकाश
काल
23. अनन्त प्रदेशी द्रव्य है-
जीव
धर्म
अधर्म
आकाश R
24. द्रव्य की परिभाषा है-
गुण-पर्यायवान्
सत्ता-संयुक्त
उत्पाद-व्यययुक्त
उपर्युक्त सभी R
25. कषायरहित जीवों के कौनसा आस्रव होता है-
शुभ आस्रव
पुण्य आस्रव
साम्परायिक आस्रव
ईर्यापथिक आस्रव R
26. जैनदर्शन के अनुसार काल की सबसे छोटी इकाई है-
क्षण
समय R
पल
निमेष
27. देव-शास्त्र-गुरु के अवर्णवाद से किस कर्म का आस्रव होता है-
ज्ञानावरण
दर्शनमोहनीय R
चारित्रमोहनीय
अन्तराय
28. किस दो कर्मों के आस्रव के कारण समान हैं-
वेदनीय-मोहनीय
ज्ञानावरण-दर्शनावरण R
नाम-गोत्र
आयु-नाम
29. नीच गोत्र के आस्रव का कारण है-
परनिन्दा
आत्मप्रशंसा
सद्गुण को छिपाना
उपर्युक्त सभी R
30. निद्रा किस कर्म के कारण आती है-
ज्ञानावरण
दर्शनावरण R
मोहनीय
अन्तराय
31. निम्न में से कौनसा ज्ञानावरण कर्म के आस्रव का कारण नहीं है-
प्रदोष
निह्नव
मात्सर्य
विघ्न R
32. अविनीत जनों पर कौनसी भावना रखनी चाहिए-
मैत्री
प्रमोद
करूणा
माध्यस्थ R
33. मूच्र्छा का अर्थ है-
अचेतन
अवचेतन
अर्द्धचेतन
मोह R
34. विरूद्धराज्यातिक्रम किस व्रत का अतीचार है-
अहिंसा
असत्य
अचौर्य R
अपरिग्रह
35. दान दिया जाता है-
परोपकाराय
स्वकीय वस्तु का
सुपात्र को
उपर्युक्त सभी R
36. मोहनीय कर्म की कितनी प्रकृतियां/प्रभेद हैं-
16
25
28 R
04
37. कर्मों की फलदानशक्ति को कहते हैं-
प्रकृति
प्रदेश
स्थिति
अनुभाग R
38. निम्न में से कौनसा कर्म अघाति है-
ज्ञानावरण
दर्शनावरण
वेदनीय R
मोहनीय
39. आ्रसव का विलोम है-
बन्ध
निर्जरा
मोक्ष
संवर R
40. आत्मा के प्रत्येक प्रदेश पर कितने कर्म-परमाणु बंधे हुए हैं-
संख्यात
असंख्यात
अनन्त R
अनियत
41. दशम गुणस्थान में कितने परीषह पाये जा सकते हैं-
10
11
14 R
19
42. सत्कार-पुरस्कार नामक परीषह किस कर्म से होता है-
ज्ञानावरण
मोहनीय R
नाम
गोत्र
43. निम्न में से कौनसा तप सबसे छोटा है-
अनशन R
रसपरित्याग
स्वाध्याय
विनय
44. किसी की बुद्धि की परीक्षा लेने हेतु प्रश्न पूछने की किस पाप से तुलना की गई है-
छल
चोरी
परस्त्रीसेवन R
असत्य
45. आर्तध्यान से कौनसी गति का बन्ध होता है-
नरक
तिर्यंच R
मनुष्य
देव
46. लोक के स्वरूप का चिन्तन करना कौनसा ध्यान है-
आज्ञाविचय
अपायविचय
विपाकविचय
संस्थानविचय R
47. किसी दुष्ट व्यक्ति को मिली सजा का ज्ञान होने पर प्रसन्न होना कौनसा ध्यान है-
हिंसानन्दी R
अनिष्टसंयोगज
पीड़ाचिन्तन
इष्टवियोगज
48. सबसे पहले कौनसा कर्म नष्ट होता है-
ज्ञानावरण
मोहनीय R
अन्तराय
वेदनीय
49. मुक्त आत्मा की उध्र्वगति के लिए उदाहरण है-
कुम्भकार का चक्र
एरण्डबीज का चटकना
अग्नि की शिखा
उपर्युक्त सभी R
50. सिद्ध आत्माओं का निवास लोक के शिखर पर होने का कारण प्रमुख कारण है-
उससे आगे वे गमन नहीं कर सकते
लोक की सीमा वहीं तक है
संसार में सर्वोत्कृष्ट स्थान वही है
उसके आगे धर्मद्रव्य नहीं है R

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