1. तत्वार्थसूत्र का अन्य नाम है-
मोक्षपाहुड
मोक्षशास्त्र R
मोक्षमार्गप्रकाशक
उपर्युक्त सभी
2. सात तत्वों में से कितने तत्व द्रव्य हैं और कितने पर्याय?
2 और 5 R
5 और 2
3 और 4
4 और 3
3. अवधिज्ञान से जाने गये पदार्थ से कितना सूक्ष्म विषय मनःपर्यय जान लेता है-
संख्यातगुणा सूक्ष्म
असंख्यातगुणा सूक्ष्म
अनन्तगुणा सूक्ष्मR
अनियत है
4. ऋजुमती और विपुलमती ज्ञान किस ज्ञान के भेद हैं-
मतिज्ञान
श्रुतज्ञान
अवधिज्ञान
मनःपर्ययज्ञानR
5. निम्न में से कौनसा ज्ञान सादि-अनन्त है-
मति और श्रुतज्ञान
अवधि और मनःपर्ययज्ञान
श्रुतज्ञान और अवधिज्ञान
केवलज्ञान R
6. अक्षर और अनक्षर किस ज्ञान के भेद हैं-
मतिज्ञान
श्रुतज्ञान R
अवधिज्ञान
मनःपर्ययज्ञान
7. क्षायोपशमिक भाव में होता है-
क्षय और उपशम
क्षय और उदय
उपशम और उदय
क्षय, उपशम और उदय R
8. अभव्यत्व भाव किस भाव का भेद है-
औदयिक
क्षायिक
औपशमिक
पारिणामिक R
9. भ्रमर, मक्खी, मच्छर आदि कितने इन्द्रिय जीव हैं-
दो-इन्द्रिय
तीन-इन्द्रिय
चार-इन्द्रिय R
पंचेन्द्रिय
10. मुक्त जीव की गति में कितने मोड़ होते हैं-
एक
दो
तीन
एक भी नहीं R
11. पोत जन्म का उदाहरण है-
सिंह R
मनुष्य
कबूतर
नारकी
12. असुरकुमार जाति के देव कितने नरक तक जा सकते हैं-
पहले
दूसरे
तीसरे R
चैथे
13. गंगा नदी का सही उद्गम स्थल है-
गंगाकुण्ड
हिमवान् पर्वत
पद्म सरोवर R
विजयार्ध पर्वत
14. जम्बूद्वीप के उत्तर में सबसे अन्तिम क्षेत्र का नाम है-
रम्यक
ऐरावत R
हैरण्यवत
हरि
15. कालचक्र चलता है-
भरत क्षेत्र में
ऐरावत क्षेत्र में
भरत और ऐरावत दोनों में
भरत और ऐरावत के आर्यखण्डों में R
16. सप्तम नरक में कितने बिल हैं-
एक लाख
तीन लाख
दस लाख
मात्र पांच R
17. ज्योतिषी देवों के इन्द्र हैं-
सूर्य
चन्द्र
नक्षत्र
सूर्य और चन्द्र दोनों R
18. ऊपर-ऊपर के देवों में क्या नहीं घटता है-
देवियां
शरीर की उंचाई
गति
स्थिति R
19. अचल द्रव्य हैं-
तीन
चार R
पांच
सभी छह
20. जीव के प्रदेशों की संख्या है-
संख्यात
असंख्यात R
अनन्त
अनियत
21. आतप और उद्योत किस द्रव्य के कार्य हैं-
जीव
पुद्गल R
धर्म
आकाश
22. संकोच-विस्तार मुख्यरूप से किस द्रव्य में पाया जाता है-
जीव R
पुद्गल
आकाश
काल
23. अनन्त प्रदेशी द्रव्य है-
जीव
धर्म
अधर्म
आकाश R
24. द्रव्य की परिभाषा है-
गुण-पर्यायवान्
सत्ता-संयुक्त
उत्पाद-व्यययुक्त
उपर्युक्त सभी R
25. कषायरहित जीवों के कौनसा आस्रव होता है-
शुभ आस्रव
पुण्य आस्रव
साम्परायिक आस्रव
ईर्यापथिक आस्रव R
26. जैनदर्शन के अनुसार काल की सबसे छोटी इकाई है-
क्षण
समय R
पल
निमेष
27. देव-शास्त्र-गुरु के अवर्णवाद से किस कर्म का आस्रव होता है-
ज्ञानावरण
दर्शनमोहनीय R
चारित्रमोहनीय
अन्तराय
28. किस दो कर्मों के आस्रव के कारण समान हैं-
वेदनीय-मोहनीय
ज्ञानावरण-दर्शनावरण R
नाम-गोत्र
आयु-नाम
29. नीच गोत्र के आस्रव का कारण है-
परनिन्दा
आत्मप्रशंसा
सद्गुण को छिपाना
उपर्युक्त सभी R
30. निद्रा किस कर्म के कारण आती है-
ज्ञानावरण
दर्शनावरण R
मोहनीय
अन्तराय
31. निम्न में से कौनसा ज्ञानावरण कर्म के आस्रव का कारण नहीं है-
प्रदोष
निह्नव
मात्सर्य
विघ्न R
32. अविनीत जनों पर कौनसी भावना रखनी चाहिए-
मैत्री
प्रमोद
करूणा
माध्यस्थ R
33. मूच्र्छा का अर्थ है-
अचेतन
अवचेतन
अर्द्धचेतन
मोह R
34. विरूद्धराज्यातिक्रम किस व्रत का अतीचार है-
अहिंसा
असत्य
अचौर्य R
अपरिग्रह
35. दान दिया जाता है-
परोपकाराय
स्वकीय वस्तु का
सुपात्र को
उपर्युक्त सभी R
36. मोहनीय कर्म की कितनी प्रकृतियां/प्रभेद हैं-
16
25
28 R
04
37. कर्मों की फलदानशक्ति को कहते हैं-
प्रकृति
प्रदेश
स्थिति
अनुभाग R
38. निम्न में से कौनसा कर्म अघाति है-
ज्ञानावरण
दर्शनावरण
वेदनीय R
मोहनीय
39. आ्रसव का विलोम है-
बन्ध
निर्जरा
मोक्ष
संवर R
40. आत्मा के प्रत्येक प्रदेश पर कितने कर्म-परमाणु बंधे हुए हैं-
संख्यात
असंख्यात
अनन्त R
अनियत
41. दशम गुणस्थान में कितने परीषह पाये जा सकते हैं-
10
11
14 R
19
42. सत्कार-पुरस्कार नामक परीषह किस कर्म से होता है-
ज्ञानावरण
मोहनीय R
नाम
गोत्र
43. निम्न में से कौनसा तप सबसे छोटा है-
अनशन R
रसपरित्याग
स्वाध्याय
विनय
44. किसी की बुद्धि की परीक्षा लेने हेतु प्रश्न पूछने की किस पाप से तुलना की गई है-
छल
चोरी
परस्त्रीसेवन R
असत्य
45. आर्तध्यान से कौनसी गति का बन्ध होता है-
नरक
तिर्यंच R
मनुष्य
देव
46. लोक के स्वरूप का चिन्तन करना कौनसा ध्यान है-
आज्ञाविचय
अपायविचय
विपाकविचय
संस्थानविचय R
47. किसी दुष्ट व्यक्ति को मिली सजा का ज्ञान होने पर प्रसन्न होना कौनसा ध्यान है-
हिंसानन्दी R
अनिष्टसंयोगज
पीड़ाचिन्तन
इष्टवियोगज
48. सबसे पहले कौनसा कर्म नष्ट होता है-
ज्ञानावरण
मोहनीय R
अन्तराय
वेदनीय
49. मुक्त आत्मा की उध्र्वगति के लिए उदाहरण है-
कुम्भकार का चक्र
एरण्डबीज का चटकना
अग्नि की शिखा
उपर्युक्त सभी R
50. सिद्ध आत्माओं का निवास लोक के शिखर पर होने का कारण प्रमुख कारण है-
उससे आगे वे गमन नहीं कर सकते
लोक की सीमा वहीं तक है
संसार में सर्वोत्कृष्ट स्थान वही है
उसके आगे धर्मद्रव्य नहीं है R
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