पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य भगवन्त श्री
जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य पूज्य ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक
मुनि श्री मनोज्ञसागरजी म.सा. पूज्य स्वाध्यायी मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी म.
पू. बाल मुनि श्री नयज्ञसागरजी म. ठाणा 3 का दुर्ग नगर में ऐतिहासिक
चातुर्मास चल रहा है।
पूज्यश्री के प्रवचन श्रवण करने के लिये बडी संख्या में श्रद्धालु उमडते
हैं। विविध प्रकार की तपश्चर्याऐं हो रही है। तपस्या का तो कीर्तिमान
स्थापित हुआ है।
पहले चरण में 19 आराध्कों ने सिद्धि तप की महान् तपस्या
की। दूसरे चरण में 20 आराध्कों ने सिद्धि तप की आराध्ना की। साथ ही
मासक्षमण, अट्ठाई, तेले, अक्षय तप, समवशरण तप, कषाय विजय तप, मोक्ष दण्ड
तप, स्वस्तिक तप, पंच परमेष्ठी नवकार तप, चौदह पूर्व तप आदि विविध तपस्या
हुई है। साथ ही नेमिनाथ परमात्मा का जन्म कल्याणक अत्यन्त उल्लास के साथ
मनाया गया। उपवास, आयंबिल एवं एकासणा की आराध्ना सामूहिक रूप से हुई। नौ
दिवसीय नवग्रह पूजन विधान संपन्न हुआ। यह विधान इस क्षेत्र में पहली बार
आयोजित किया गया। साथ ही पद्मावती पूजा महाविधन आदि का भी आयोजन किया गया।
प्रत्येक रविवार को बाल शिविर के माध्यम से बालकों ने लाभ उठाया। संस्कारों
की मजबूती के लिये कवि श्री युगराज जैन द्वारा अब तो संभल के प्रदर्शन के
साथ साथ धर्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। रोजाना स्वाध्याय की कक्षा
हुई।
द्वितीय चरण के सिद्धि तप के पारणे के अवसर पर वैशाली नगर भिलाई में
चातुर्मासार्थ बिराजमान श्रमण संघ के प्रवर्तक श्री रतनमुनिजी महाराज का भी
पदार्पण होगा। इस उपलक्ष्य में त्रिादिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया है।
ता.
7 अक्टूबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। ता. 8 को तपस्वियों का वरघोडा
निकाला जायेगा। भजन संध्या में कुमारी प्राची जैन इन्दौर अपनी भक्ति
संगीतमय प्रस्तुति देगी। ता. 9 को तपस्वियों का संघ द्वारा अभिनंदन किया
जायेगा। तपस्वियों का सामूहिक पारणा होगा। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक
संघ, दुर्ग के तत्वावधन में सिद्धि तप आराधक परिवार द्वारा सारा आयोजन किया
जा रहा है।
jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh
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