नवकार वाली के 108 मणको को पंचपरमेष्ठी के 108 गुणों को जीवन में धारण करने स्वरूप गिना जाता है !
* उन समस्त गुणों के प्रति आदर, सम्मान का भाव प्रगटाने के लिए तथा माला गिनते समय एक एक गुण का स्मरण कर अपनी अंतरात्मा में उतारने का पुरुषार्थ करने के स्वरूप गिना जाता है ।
* अपने मन में स्थित पाप करने की वृति तथा पापकर्म की शक्ति का नाश करने के भाव के साथ गिना जाता है ।
* माला धागे की सर्वथा योग्य मानी जाती है, चंदन या चांदी की माला को भी शुभ माना गया है, प्लास्टिक की माला उपयोग नही करनी चाहिए , शान्ति तथा शुभ कार्य के लिए सफेद रंग की माला लेनी चाहिए ।
* माला गिनने का स्थान एवं वस्त्र भी शुद्ध-पवित्र होने चाहिए ।
* माला गिनते समय मुँह पूर्व दिशा की और होना चाहिए, पूर्व दिशा अनुकूल न हो तो उत्तर दिशा की और मुँह करके जाप करना चाहिए ।
* सहज भाव से होंठ बंद रखकर, दांत एक दुसरे को स्पर्श न करें, मात्र स्वयं ही जान सके, इस प्रकार मन में ही जाप करना चाहिए ।
* प्रात:काल ब्रह्म समय अर्थात सूर्योदय से पहले की चार घडी (1 hr 36 mts) का समय सर्वोत्तम है ।
* नवकार मंत्र के जाप-ध्यान से शरीर में 72 हजार नाड़ियों में चेतन्य शक्ति का संचार होता है, जिसका अंत:करण पर असर होता है ।
पंच परमेष्ठी के 108 गुणों को भाव में धारण कर, भावों को कषायों से मुक्त कर किया गया जाप...आधि, व्याधि, उपाधि तथा विघ्नों का नाश होने के साथ-साथ जीवन में परम् शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है ।
!! जय नवकारवाली !!
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