पूज्य गुरुदेव गणाधीश उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के शिष्य पूज्य तपस्वी मुनिराज श्री समयप्रभसागरजी म. के महामृत्युंजय तप-मासक्षमण की महान् तपस्या सुख शाता के साथ संपन्न हुई। मासक्षमण तप का प्रारंभ श्रावण शुक्ल पंचमी से किया था जो संवत्सरी महापर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को पूर्ण हुआ।
इस दौरान प्रतिलेखन, प्रतिक्रमण आदि समस्त क्रियाओं में संपूर्ण रूप से जागरूक रहे।
पूज्य तपस्वी मुनिश्री के मासक्षमण तप की अभिनंदना हेतु श्री ऋषभदेव जैन मंदिर, सदर बाजार से दादावाडी तक ता. 16 सितम्बर 2015 को भव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया। रथयात्राा के प’चात् तपस्वी अभिनंदन करते हुए पूज्य गुरुदेवश्री ने फरमाया- मुनि समयप्रभसागरजी म. ने मासक्षमण करके अपने कर्मों की निर्जरा की है। तेले की तपस्या के लक्ष्य से उपवास का प्रत्याख्यान किया था। पर तेले के बाद तपस्या के भाव लगातार बढते रहे। एक तरह से यह मासक्षमण तेले से तीस की यात्रा है। मासक्षमण होने पर भी प्रतिदिन प्रवचन श्रवण किया। इतना लम्बा समय बैठे।
इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री ने अपने अनुभव व्यक्त करते हुए कहा- पूज्य गुरुदेवश्री के आशीर्वाद एवं खरतरगच्छ अधिष्ठायिका माता अंबिका देवी की कृपा से ही यह तप शाता पूर्वक संपन्न हुआ है। भाद्रपद शुक्ल पंचमी को पूज्यश्री का पारणा सुखशाता पूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर पूज्यश्री के सांसारिक परिवार जन बडी संख्या में बाडमेर, हैदराबाद, लातूर आदि क्षेत्रों से पधारे। रायपुर संघ द्वारा सभी का स्वागत बहुमान किया गया।
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