Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Diksha divas Vandna ... संयम रजत वर्ष पर चारित्र की अनुमोदना

Diksha divas Vandna ... संयम रजत वर्ष पर चारित्र की अनुमोदना, Shraddhanjana sri ji
पूज्या गच्छगणिनी श्री सुलोचनाश्रीजी म. एवं पूज्या तपोरत्ना श्री सुलक्षणाश्रीजी म. की सुशिष्या पूज्या साध्वी डाँ. प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. के संयमी जीवन के रजत वर्ष की अनुमोदना शिविर के अंतिम दिन दि. अठारह मई 2016 को की गई। 

अनुमोदना समारोह में पूज्य मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी म., पूज्य मुनि मेहुलप्रभसागरजी म. एवं पूज्या महत्तरा श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म., साध्वी सम्यग्दर्शनाश्रीजी म., साध्वी अमितगुणाश्रीजी म., साध्वी प्रियरंजनाश्रीजी म., साध्वी श्रद्धांजनाश्रीजी म., साध्वी प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म., साध्वी नूतनप्रियाश्रीजी म., साध्वी प्रियवर्षांजनाश्रीजी म. ने चारित्र धर्म की अनुमोदना करते हुए साध्वी डाँ. प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी के उज्ज्वल आध्यात्मिक जीवन में प्रगति की कामना करते हुए हार्दिक बधाई अर्पण की।

पूज्या साध्वीश्री के जीवनी पर आधारित अंकित लोढा द्वारा रचित बधाई गीतिका पर शिविर की बालिकाओं द्वारा नृत्य किया गया। 
साध्वी प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. ने अपने उद्बोधन में माता-पिता की उपकार स्मृति कर अपनी गुरुवर्या के प्रति आभार प्रकट किया। पूज्य आचार्य श्री जिनकांतिसागरसूरिजी म. को वंदन करते हुये कहा कि उनकी कृपा मुझ पर हमेशा बनी रहे। सभी गुरु भगवंतों का नाम स्मरण कर अपनी वंदनाएं समर्पित कर भविष्य में भी आशीष की कामना की।
संयमी जीवन के रजत वर्ष की अनुमोदना के लिये विविध भक्तों द्वारा 25 छोड का भव्य उद्यापन किया गया। जिसका उद्घाटन रिखबचंदजी झाडचूर ने किया। उद्यापन में दर्शन-ज्ञान-चारित्र के भिन्न-भिन्न उपकरणों एवं अणाहारी औषधी का प्रदर्शन सांचोरी भवन के प्रांगण में विशाल सामियाना लगाकर किया गया। शिविर के बाद भारत के अनेक शहरों में उपकरणों से सात क्षेत्रों की भक्ति की जायेगी।
साध्वी डाँ. प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. को संयम रजत वर्ष पर अनुमोदना करते हुये मुनि मनीषप्रभसागरजी म. ने दादा गुरुदेव की भव्य प्रतिमा अर्पण की। गुरुभगिनियों द्वारा भी अनुमोदना स्वरूप चारित्र के उपकरण अर्पण किये गये। इस अवसर पर साध्वीवर्या को कामली ओढाने का लाभ शा. पन्नालालजी गौतमचंदजी कवाड परिवार तिरुपात्तुर निवासी द्वारा लिया गया।
प्रेषक- विवेक झाबक

Comments

Popular posts from this blog

RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास

GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास

GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास