पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा.
पूज्य मुनिराज श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 3 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म.
पू. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी डाँ. श्री
शासनप्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी डाँ. श्री नीलांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री
प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री दीप्तिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री
नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री विभांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री
विज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री
आज्ञांजनाश्रीजी म. ठाणा 11 की पावन निश्रा
में गौतमस्वामी गणधर भगवंत की केवलज्ञान प्राप्ति भूमि श्री गुणायाजी तीर्थ पर
नवनिर्मित विशाल धर्मशाला- प्रवर्तिनी प्रमोदश्री धर्मशाला का उद्घाटन समारोह श्री
जैन श्वेताम्बर भंडार तीर्थ पावापुरी के तत्वावधान में सानन्द संपन्न हुआ।
इस पावन अवसर पर पावापुरी की ओर विहार करते हुए पधारे पूज्य आचार्य भगवंत
श्रीमद् विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी म.सा. का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ।
धर्मशाला का उद्घाटन मुख्य लाभार्थी परिवार श्री नेमीचंदजी जसराजजी बाबूलालजी
छाजेड परिवार इचलकरंजी निवासी हरसाणी वालों की ओर से किया गया।
समारोह का प्रारंभ पूज्य आचार्यश्री कीर्तियशसूरीश्वरजी म.सा. के मंगलाचरण से
हुआ। श्री जैन श्वेताम्बर भंडार तीर्थ पावापुरी ट्रस्ट की ओर से छाजेड परिवार के
श्री रमेशजी जसराजजी छाजेड का बहुमान किया गया।
कक्ष लाभार्थी श्री गौतमचंदजी वडेरा, मुंबई खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष संघवी श्री बाबुलालजी मरडिया, तिरूपुर के आगेवान श्री रतनचंदजी बोथरा,
केयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रतनचंदजी
बोथरा, केयुप के राष्ट्रीय
मंत्री श्री रमेशजी बी. लूंकड आदि का भावभीना अभिनंदन बहुमान किया गया।
इस अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य आचार्य श्री विजयकीर्तियशसूरीश्वरजी म.सा.
ने गौतमस्वामी के इस तीर्थ के विकास जीर्णोद्धार के प्रति सभी को एक होकर कार्य
करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा- इस तीर्थ का भव्य निर्माण होना चाहिये।
पूज्य आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने श्री गौतमस्वामी के प्रेम की
व्याख्या करते हुए कहा- समर्पण से ही जीवन का उद्धार हो सकता है। उन्होंने कहा-
गौतमस्वामी से हमें समर्पण और सरलता का मंत्र ग्रहण करना है। सरलता का इससे
उत्कृष्ट और कोई उदाहरण नहीं हो सकता कि आनंद श्रावक से क्षमायाचना करने के लिये
पारणा किये बिना ही वे उनके घर पधारे। हमें अपने जीवन में गौतमस्वामी को
प्रतिष्ठित करना होगा। पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने गौतमस्वामी की
विशेषताओं का धाराप्रवाह वर्णन कर सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुनि श्री
मलयप्रभसागरजी म. ने गीतिका प्रस्तुत कर अपनी वंदनाऐं प्रस्तुत की।
पावापुरी के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्रकुमारजी पारसान ने स्वागत भाषण देते हुए
कहा- आज अद्भुत संयोग है कि दो परम्परा के आचार्य एक ही पाट पर बिराजमान हो रहे
हैं। यह इस तीर्थ के उज्ज्वल विकास का सूचक है। श्री रमेशजी छाजेड, गौतमजी वडेरा, रमेश लूंकड, कोलकाता के श्री
कान्तिलालजी मुकीम आदि ने वक्तव्य दिये। संचालन पावापुरी के व्यवस्थापक श्री गीतम
मिश्रा ने किया।
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