पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज साहब,
पूज्य बालमुनि श्री मलयप्रभसागरजी महाराज सूरत में प्रतिष्ठा संपन्न करवाकर विहार करते हुए दिनांक 22 जून को सेलंभा पधारे। जहां श्रीसंघ द्वारा भव्य स्वागत किया गया। पूज्यश्री का प्रभावशाली प्रवचन हुआ। पूज्या साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी महाराज आदि ठाणा राजपीपला डेडियापाडा होते हुए सेलंभा पधार गए थे। पारस्परिक सुखशाता पृच्छा करते हुए गच्छाधिपतिश्री ने उन्हें हितशिक्षा प्रदान की। प्रवेश उपरांत श्रीसंघ का स्वामीवात्सल्य संपन्न हुआ। साथ ही प्राचीन भवन के जीर्णाेद्धार का कार्य प्रारंभ हुआ।
दिनांक 23 जून को खापर पधारे। दिनांक 24 जून को अक्कलकुवा पधारे। निर्माणाधीन दादावाड़ी का अवलोकन किया। उल्लासपूर्ण माहौल में भव्य प्रवेश एवं पश्चात् श्रीसंघ एवं अतिथियों का नाश्ता व स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। शुभमुहूर्त्त में पूज्यश्री की निश्रा में आराधना भवन का भूमि पूजन व खनन मुहूर्त संपन्न हुआ। यह ज्ञातव्य है कि पूजनीया महत्तरा पद विभूषिता दिव्यप्रभाश्रीजी महाराज की प्रेरणा से आराधना भवन के लिए श्री जसराजजी पंखादेवी चोपड़ा ने अपना भवन श्रीसंघ को समर्पित किया था। शाम को पूज्यश्री वाण्याविहिर नगर पधारे। रात्रि में प्रवचन का आयोजन हुआ जिसमें आबाल वृद्ध सभी ने भाग लेकर प्रवचन-सुधा का पान किया।
दिनांक 25 जून को तलोदा नगर पधारे। भव्य प्रवेश व प्रवचन संपन्न हुआ। पूज्या साध्वी हर्षपूर्णाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 ने
पूज्यश्री के दर्शनकर जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। पूज्यश्री विहार कर 27 जून को शहादा पधारे। जहां श्रीसंघ ने पूज्य गच्छाधिपतिश्री का भव्य स्वागत के साथ प्रवेश करवाया। यहां पूजनीया महत्तरा दिव्यप्रभाश्रीजी महाराज आदि ठाणा का भी सानिध्य रहा। दिनांक 28 जून को सुघोषाघंट मंदिर में अठारह अभिषेक पूजन का आयोजन,
परमात्मा की छतरी पर ध्वजदंड आरोहण कर ध्वजा चढ़ाई गई। शहादा नगर के तीन दिन के अल्प प्रवास में प्रतिदिन प्रवचन आदि का आयोजन हुआ।
शहादा से
विहार कर खेतिया होते हुए दिनांक 2 जुलाई को पानसेमल पधारे। जहां श्रीसंघ द्वारा भव्य स्वागत किया गया। विधायक श्री दीवानसिंहजी पटेल,
नगर अध्यक्ष लोकेश मीनाक्षी शुक्ला ने पधार कर पूज्य गुरुदेव से आशीर्वाद ग्रहण किया। यहां पूज्यश्री ने जिनमंदिर व आराधना भवन निर्माण की आवश्यकता बताकर देव-गुरु के प्रति श्रद्धा को सुदृढ करने की शिक्षा दी। शाम को दोंदवाड़ा पधारें। रात्रि के प्रवचन में पूरा गांव शामिल हुआ। पूज्यश्री ने व्यसनमुक्ती की प्रेरणा दी। यहां पूजनीया गणिनी सूर्यप्रभाश्रीजी महाराज एवं साध्वी पूर्णप्रभाश्रीजी महाराज की उपदेश से जिनमंदिर व आराधना भवन निर्मित हुआ है।
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