पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरुष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म-सा- के शिष्य पूज्य गुरुदेव अवंति तीर्थाेद्धारक खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म-सा- की पावन प्रेरणा से धुलिया श्री संघ के राजस्थानी समाज में चल रहा 5 वर्षों का मनमुटाव समाप्त हो गया।
इस मनमुटाव के चलते श्री संघ के कई कार्य अटके हुए थे। पूज्य आचार्यश्री ने चातुर्मास प्रवेश के साथ ही संघ एकता हेतु प्रयास किये थे।
राजस्थानी समाज के दोनों पक्षों के साथ पूज्य आचार्यश्री ने विशद वार्तालाप किया। परिणाम स्वरूप ता- 4 नवम्बर 2019 को एकता की घोषणा की गई।
पूज्य आचार्यश्री ने अपने हस्ताक्षरों से लिखकर समझौता पत्र श्री शीतलनाथ भगवान संस्थान को अर्पित किया। दोनों पक्षों ने परस्पर मिच्छामि दुक्कडं दिया--- परस्पर गले मिले।
पूज्य आचार्यश्री ने ता- 5 नवम्बर को प्रवचन में ज्योंहि एकता की घोषणा की, सकल श्री संघ में परम आनंद की लहर छा गई। पूज्यश्री ने कहा- श्री संघ में मतभेद हो सकते हैं। लेकिन मनभेद कभी भी नहीं होना चाहिये। संघ की एकता ही संघ की सबसे बडी ताकत है। संघ की एकता सदा बनी रहे, यही दादा गुरुदेव से प्रार्थना है।
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