Posts

Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Jahaj Mandir_Magazine_Nov_ 2016

Image
Mahattara Divyaprabha sri ji 

KharatarGaccha_Panchang_2016_e-Book

Image
Jinakantisagarsuri Gurudev सदैव कृपा की अमीवर्षा करके  हमें सन्मार्ग प्रदर्शित करें  इसी अभिलाषा के साथ  पुण्यतिथि पर अनंतानंत श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं। 

यशस्वी पाट परम्परा पर सुशोभित जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र, शासन प्रभावक, संयम शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनकान्तिसागरसूरिजी महाराज

Image
यशस्वी पाट परम्परा पर सुशोभित जन-जन की श्रद्धा के केन्द्र, शासन प्रभावक, संयम शिरोमणि गच्छाधिपति  आचार्य श्री जिनकान्तिसागरसूरिजी महाराज आपका जन्म रतनगढ़ निवासी श्री मुक्तिमलजी सिंघी की धर्मपत्नी श्रीमती सोहनदेवी की कोख से वि.सं. 1968 माघ वदी एकादशी को हुआ था। जन्म का नाम तेजकरण था। माता-पिता तेरापंथी संप्रदाय के होने से तत्कालीन तेरापंथी समुदाय के अष्टम आचार्य श्री कालुगणि के पास 9 वर्ष की बाल्यावस्था में पिता के साथ वि.सं. 1978 में तेजकरण ने दीक्षा ग्रहण की। दीक्षित होने के बाद तेरापंथी शास्त्रों का गहनतापूर्वक अध्ययन किया। जिससे मूर्तिपूजा, मुखविस्त्रका, दया, दान आदि के सम्बन्ध में तेरापंथ सम्प्रदाय की मान्यताएं अशास्त्रीय लगी। फलत: तेरापंथ संप्रदाय का त्याग कर वि.सं. 1989 ज्येष्ठ शुक्ला त्रयोदशी को अनूपशहर में गणाधीश्वर श्री हरिसागरजी महाराज के कर कमलों से भगवती दीक्षा अंगीकार करने पर मुनि श्री कांतिसागरजी नाम पाया।  आप प्रखर वक्ता थे। आपकी वाणी में मिठास होने के साथ ही आपका कण्ठ सुरीला एवं ओजस्वी था। आपको आगम ज्ञान के अलावा संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, अंग्र...

युगप्रभावक आचार्य भगवंत श्री जिनकांतिसागरसूरीश्वरजी म.सा. की 31वीं पुण्यतिथि पर

Image
Jinkantisuri सुधातल के निर्मल भूषण, समुच्चय करुणामृत के सागर, समाधि के परम साधक, श्रुतधर परम पूज्य गुरुदेव युगप्रभावक आचार्य भगवंत श्री जिनकांतिसागरसूरीश्वरजी म.सा. विश्व क्षितिज पर एक सौ चार साल पूर्व प्रकाशित हुए। जो मानवीय चेतना को शाश्वतता की ओर ले गये, आपकी दिव्य वाणी और वैराग्यमयी शक्ति ने जगत की सीमाओं को लांघकर जन मानस में ज्ञान की अलख जगाई।  आपका कोई भी अन्तर्मन से ध्यान करते हैं तो उन्हें सन्मार्ग प्रदर्शित करते हैं। साधना की गहनता प्रखर तप, ज्ञान की तेजस्विता और करूणा के निर्झर से आप्लावित थे। ऐसे महामहिम पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री आज भी जन-जन के मानस पटल पर श्रद्धा स्थान के रूप में अधिष्ठित है। आपकी दिव्य आभा, आपकी ज्ञान किरणें, आपके अनहद उपकार की रश्मियां इतिहास के पृष्ठों पर अमर रहेगी। महामानव के समस्त गुण आप में अवस्थित थे। आप स्पष्टवक्ता, प्रांजल साहित्यकार, अडिग पराक्रमी सर्वधर्म समन्वय के महान पुरस्कर्ता थे। आपके व्यक्तित्व की ऐसी अनूठी महिमा थी। आपने भारत की राजधानी दिल्ली, बद्रीनाथ, हरिद्वार, कन्याकुमारी मद्रास, बंबई, नागपुर आदि महानगर-शहर-गांव में पदविहार...

बीकानेर में श्री क्षमाकल्याणजी महोत्सव मनाया जायेगा

Image
Pujy Kshamakalyan ji ms पू. क्षमाकल्याणजी म. का द्विशताब्दी महोत्सव         खरतरगच्छ परम्परा में पूज्य उपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी म.सा. का नाम अत्यन्त आदर व श्रद्धा के साथ लिया जाता है। वर्तमान में खरतरगच्छीय साधु साध्वीजी भगवंत जो वासचूर्ण का उपयोग करते हैं , उसे संपूर्ण विधि विधान के साथ उन्होंने ही अभिमंत्रित किया था। तब से दीक्षा , बडी दीक्षा आदि प्रत्येक विधि विधान में पूज्यश्री का नाम लेकर वासक्षेप डाली जाती है।      परम पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरी श्व रजी म.सा. की सेवा में बीकानेर जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्री संघ का प्रतिनिधि मंडल , अध्यक्ष श्री पन्नालालजी खजांची के नेतृत्व में दुर्ग पहुँचा। उन्होंने पूज्यश्री से बीकानेर पधार कर महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी म.सा. का द्वि श ताब्दी महोत्सव में निश्रा एवं मार्गदर्शन प्रदान करने की विनंती की। आगामी 28 दिसम्बर 2016 को दो सौ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस अवसर पर बीकानेर संघ ने पूज्य गच्छाधिपति की आज्ञा से द्वि श ताब्दी महोत्सव मनाने का निर्णय किया है। बीका...

Palitana जिन हरि विहार पालीताना की वर्षगांठ आयोजित

पालीताणा स्थित श्री जिन हरि विहार धर्म शा ला के श्री आदिनाथ मयूर मंदिर का 14 वां वार्षिक ध्वजारोहण का कार्यक्रम दिनांक 12 नवम्बर 2016 को अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ संपन्न हुआ। कायमी ध्वजा के लाभार्थी श्रीमती पुष्पाजी अ शो कजी जैन परिवार द्वारा जिन मंदिर पर ध्वजा चढाई गई। सतरह भेदी पूजा पढाई गई। यह समारोह खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी म. पू. मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मौनप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मोक्षप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री मननप्रभसागरजी म. , पू. मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी म. आदि ठाणा एवं पूजनीया खान्दे श शिरोमणि महत्तरा पद विभुषिता श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म.सा , साध्वी प्रियरदर्शनाश्रीजी म. , साध्वी हेमरत्नाश्रीजी म. , साध्वी मृगावतीश्रीजी म. , साध्वी प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. आदि साध्वी मंडल की पावन निश्रा में संपन्न हुआ। इस अवसर पर मंत्री श्री बाबुलालजी लूणिया , कोषाध्यक्ष श्री पुखराजजी तातेड़ , सदस्य श्री विजयजी गुलेच्छा , रतनचंद बोथरा आदि कई ट्रस्टी उपस्थित थे। इस मंदिर की प्...

ज्ञान पंचमी के दिन श्रुत की पूजा कर लेना, ज्ञान मंदिरों के पट खोलकर पुस्तकों के प्रदर्शन कर लेना और फिर वर्ष भर के लिए उन्हें ताले में बंद कर देना ज्ञानभक्ति नहीं है। इस दिन श्रुत के अभ्यास, प्रचार और प्रसार का संकल्प करना चाहिए।

Image
Gyan Panchami ज्ञान पंचमी ज्ञान पंचमी कार्तिक शुक्ला पंचमी अर्थात दीपावली के पाँचवे दिन मनाई जाती है।  इस दिन विधिवत आराधना करने से और ज्ञान की भक्ति करने से  कोढ़ जैसे भीषण रोग भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन 51 लोगस्स का कायोत्सर्ग, 51 स्वस्तिक, 51 खामासना और  " नमो नाणस्स " पद का जाप किया जाता है।  ज्ञान पंचमी को लाभ पंचमी भी कहा जाता है। ज्ञान पंचमी सन्देश देती है की ज्ञान के प्रति दुर्भाव रखने से ज्ञानावरणीय कर्म का बंध होता है। अतएव हमें ज्ञान की महिमा को हृदयंगम करके उसकी आराधना करनी चाहिए। यथाशक्ति  ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए और दूसरों के पठन पाठन में योग देना चाहिए। यह योग कई प्रकार से दिया जा सकता है।निर्धन विद्यार्थियों को श्रुत ग्रन्थ देना, आर्थिक सहयोग देना, धार्मिक ग्रंथों का सर्वसाधारण में वितरण करना,  पाठशालाएं चलाना, चलाने वालों को सहयोग देना,  स्वयं प्राप्त ज्ञान का दूसरों को लाभ देना आदि। ये सब ज्ञानावर्णीय कर्म के क्षयोपशम के कारण है। विचारणीय है की जब लौकिक ज्ञान प्राप्ति में बाधा पहुंचाने...

durg me Suri Mantra Sadhna दुर्ग में सूरिमंत्र की प्रथम पीठिका की साधना सम्पन्न

Image
durg me Suri Mantra Sadhna दुर्ग नगर में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के सूरिमंत्र की प्रथम पीठिका की इक्कीस दिवसीय साधना दिनांक 03 अक्टूबर से शुरू हुई और उसका निर्विघ्न सानन्द समापन समारोह 23 अक्टूबर को हुआ। इस साधना के अन्तर्गत पूज्यश्री सम्पूर्ण तौर पर मौन के साथ सूरिमंत्र के जप और तप में लीन रहे। 23 अक्टूबर को सुबह 5.20 बजे आयोजित हवन-पूजन के कार्यक्रम में श्रावकों ने पूजा परिधान पहनकर भाग लिया। प्रात: 9.30 बजे आचार्यश्री के सम्मान में गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला गया। जुलूस में हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाओं और बाहर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया। आचार्यश्री ने सुबह 10 बजे प्रवचन स्थल सुखसागर प्रवचन-वाटिका में प्रवेश किया। आचार्यश्री ने अपने उद्बोधन में उनकी मंत्र साधना की सफलता के लिए श्रावक-श्राविकाओं द्वारा किए गए नवकार मंत्र जाप के लिए प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी सूरिमंत्र प्रथम पीठिका मौन-साधना आनन्ददायी रही। यह ज्ञातव्य है कि संपूर्ण भारत में स्थान स्थान पर पूज्यश्री की साधना के निर्विघ्न लक्ष्य के लिये नवका...

Durg se Sangh दुर्ग से छह री पालित उवसग्गहर पार्श्वनाथ तीर्थ तक पैदल संघ

Image
Durg se Sangh       दुर्ग नगर से पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. , पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पू. साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. ठाणा 5 की पावन निश्रा में श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ एवं चातुर्मास समिति दुर्ग के तत्वावधान में दुर्ग नगर से उवसग्गहर पार्श्वनाथ तीर्थ होते हुए कैवल्यधाम तीर्थ के लिये पंच दिवसीय छह री पालित पद यात्रा संघ का आयोजन किया गया है। इस संघ का आयोजन श्री भूरमलजी पतासी देवी बरडिया परिवार की ओर से होने जा रहा है।

दीपावली शुभाशयः

Image
दीपावली शुभाशयः Happy Diwali

Navpad Oli तप धर्म की आराधना.. परमात्मा महावीर जानते थे कि उन्हें उसी भव में मोक्ष जाना है। फिर भी घाती कर्मों का क्षय करने के लिए दीक्षा लेकर एकमात्र तप धर्म का ही सहारा लिया। साढ़े बारह वर्ष तक भूमि पर बैठे नही। सोये नहीं। तप की साधना तभी फलीभूत हुयी और सभी घाती कर्मों का क्षय कर केवलज्ञान को प्राप्त किया ।

Image
navpad oli आज नवपद ओली जी का अंतिम 9 वां दिन तप पद की आराधना तप जीवन का अमृत है  । जैसे अमृत मिलने पर मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है वैसे ही हमारे जीवन में तप रूपी अमृत आने पर जीवन अमर हो जाता है। दूध को तपाने से मलाई,  अन्न को तपाने से स्वादिष्ट भोजन,  सोने को तपाने से आभूषण बन जाता है।  वैसे ही शरीर को तप की अग्नि द्वारा तपाने से हमारे कर्म रूपी मैल खिरने लगता है  ।

Navpad Oli 8th day संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए !

नवपद ओलीजी का आज आठवां दिन चारित्र पद की आराधना आठ कर्मों का नाश करना हो तो इस आठवे पद की आराधना करनी चाहिए ! संसार और मोक्ष के बीच जो पुल है उसका नाम चारित्र ! बिना इसके कोई नही जा सकता है वह चारित्र 2 प्रकार का - 1 देश विरति ( श्रावक जो छोटे नियम व्रत का पालन करता है) 2 सर्व विरति (साधू जो 5 महाव्रत का पालन करता है) राग और चारित्र में कट्टर शत्रुता है,  दोनों में से कोई 1 ही रह सकता है! हमारे हृदय में राग इतना जोरदार चिपक गया है । वैराग्य भाव टिक नहीं रहा है। चारित्र के लिये राग नहीं, वैराग्य चाहिए।

Jahaj_Mandir_Magazine_Oct- 2016.pdf

Durg पूज्यआचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे श्री मोतीलालजी वोरा

Image
दुर्ग नगर में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. के दर्शनार्थ बाहर से पधारने वाले संघों व श्रावकों का तांता लगा हुआ है। विशेष रूप से मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री , पूर्व राज्यपाल व वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री मोतीलालजी वोरा पूज्यश्री के दर्शनार्थ पधारे। उनके साथ उनके सुपुत्र विधायक श्री अरूणजी वोरा उपस्थित थे। श्री वोराजी ने पूज्यश्री से वर्तमान स्थितियों पर वार्तालाप किया। पूज्यश्री ने वासक्षेप डालकर आशीर्वाद प्रदान किया।

Udaipur उदयपुर के सूरजपोल दादावाडी में चातुर्मास का ठाट

Image
Udaipur उदयपुर के सूरजपोल दादावाडी में चातुर्मास का ठाट पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवन्त प्रज्ञापुरुष श्री जिनकान्तिकासागरसूरीश्वरजी मसा. के शिष्य-प्रशिष्य एवं खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिसागरजी म.सा. एवं मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में उदयपुर स्थित श्री जिनकुशलसूरि आराधना भवन , श्री जिनदत्तसूरि दादावाड़ी में चातुर्मास महोत्सव का जबरदस्त ठाट लगा है। इसी क्रम में दिनांक 29-8-2016 से 5 सितम्बर तक पर्युषण पर्व की आराधना उल्लास पूर्वक सम्पन्न हुई जिसमें कल्पसूत्र घर ले जाना एवं बोहराने का लाभ श्रीमती कमलाबेन - दलपतसिंहजी , गोरधनसिंहजी दोशी परिवार द्वारा लिया गया।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD ADHIVESHAN 2

Image
दो दिवसीय  अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद, राष्ट्रीय सम्मेलन  को संबोधित करते हुए आज दिनाक 25 सितम्बर 2016 को  आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीजी म.सा.   ने सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से कुछ नियमों का पालन करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सभी युवा सदस्य गुरूवंदन की विधि का पालन पूरी श्रद्धा के साथ करें। साधु-साध्वियों के चरण स्पर्श, उनके विहार के दौरान सामने आकर न करे, दूर से ही श्रद्धाभाव से प्रणाम करें।  आचार्यश्री ने युवाओं को रात्रि के समय भोजन न करने का संकल्प  लेने के साथ  तथा  रात्रि-भोज जैसे आयोजनों में शामिल न होने  का भी निर्देश दिया। दुर्ग में आयोजित इस अ.भा.ख.यु.परिषद के प्रथम राष्ट्रीय  सम्मेलन में युवाओं के उल्लास और उत्साह पर आचार्यश्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सम्मेलन आयोजन करने वाली चातुर्मास आयोजन समिति और अ.भा.छ.ग.युवा परिषद, दुर्ग इकाई के कार्यो की अनुमोदना भी की। आचार्यश्री ने सभी युवाओं को सामायिकी, प्रतिक्रमण, साधना आदि सीखने एवं सिखाने के लिए संकल्पित होने का निर्देश भी दिया।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD ADHIVESHAN

Image
दो दिवसीय अ.भा.खरतरगच्छ युवा परिषद, राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए आज दिनाक 25 सितम्बर 2016 को आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीजी म.सा. ने युवाओं को कहा कि खरतरगच्छ युवा परिषद से जुड़े हर सदस्य को जीवन के लिए और धर्म पालन के लिये संकल्प लेना चाहिए।  आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में हृदय की शुद्धता के साथ श्रद्धा और दूसरों के प्रति अच्छे विचारों को ग्रहण करें और उनको कार्य रूप में परिवर्तित भी करें। शिक्षा के क्षेत्र में मानवसेवा के क्षेत्र में सभी युवा सदस्य सक्रियता से जुड़े और समाजसेवी कार्योें को मूर्तरूप देकर दूसरों को प्रेरणा दें।  आचार्यश्री ने युवा समुदाय को धर्म क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों और उपाश्रयगृहों के जीर्णोद्धार के लिए सहयोग के साथ-साथ नए मंदिरों और उपाश्रय गृहों की स्थापना एवं निर्माण के लिए भी तत्परता से सहयोग से जुड़ने को कहा।

KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD खरा रहना ही खरतरगच्छ की पहचान है-आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरि

Image
KHARTARGACHCHH YUVA PARISHAD  दुर्ग ! ‘‘सारे युवा एकजुट होकर एक-दूसरे से सहयोग करते हुए धर्म के क्षेत्र में काम करें यही अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद का उद्देश्य है। किसी धर्म या सम्प्रदाय का विरोध न करते हुए अपना विकास ही खरतरगच्छ युवा परिषद का एजेन्डा है। खरतरगच्छ में सदस्यों की संख्या कम हो चलेगा किन्तु सदस्यों में गच्छ के प्रति समर्पण और अनुशासन जरूरी है। सदस्यों का भाषा, वाणी, आचरण और कार्यशैली में खरा रहना ही खरतरगच्छ की पहचान है।’’ उक्त विचार आज अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्यश्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहे।               आचार्यश्री ने युवाओं को सफलता के लिए डिसीप्लीन (अनुशासन), डायरेक्शन (निर्देशन), सही उद्देश्य और लक्ष्य पाने के लिए क्रियाशीलता तथा डेयर (साहस) का 3-डी सूत्र दिया।

Palitana JinHari Vihar पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया

Image
Palitana पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया   पालीताणा स्थित जिन हरि विहार संस्था में पर्युषण महापर्व में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीजी म. के शिष्य  पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी महाराज आदि ठाणा के सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व भक्ति भावना एवं तपस्या के साथ मनाए गए। आठ दिन तक चलने वाली आराधना में प्रात: देवदर्शन,   पूजा,   प्रवचन,   दोपहर में भगवान की पूजा,   सांयकालीन प्रतिक्रमण,   रात्रीकालीन भक्ति संध्या आदि में श्रावक-श्राविकाओं का हुजूम उमड़ पड़ता था। महावीर जन्म-वाचन में भी श्रावक-श्राविकाओं ने उत्साह से भाग लिया। अन्तिम दिन में चैत्य परिपाटी का आयोजन किया गया। Palitana पालीताणा में क्षमापना पर्व मनाया गया जिन हरि विहार समिति के मंत्री बाबुलाल लुणिया ने बताया कि सातवें दिन विविध तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। आठों दिन प्रवचन में अखिल भारत के विविध नगरों से पधारे सभी आराधकों ने पर्युषण महापर्व को सहज अनुशासन के साथ बधाया।