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भोजन करने सम्बन्धी कुछ जरुरी नियम
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1.पांच अंगों ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करें !
2. गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है !
3. प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है ! क्योंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2 : 3 0 घंटे पहले तक प्रबल रहती है।
4. पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही खाना चाहिए !
5. दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है !
6 . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
7. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए !
8. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वट वृक्ष के नीचे, भोजन नहीं करना चाहिए !
9 परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए !
10. खाने से पूर्व सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए !
11. भोजन बनाने वाला शुद्ध मन से रसोई में भोजन बनाये ।
12. इर्षा , भय , क्रोध, लोभ ,रोग , दीन भाव, द्वेष भाव,के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है !
13. भोजन के समय मौन रहे !
14. भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए !
15. रात्री में न खाए !
16. गृहस्थ को 320 g से ज्यादा न खाना चाहिए !
17. सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कडुवा खाना चाहिए !
18. सबसे पहले रस दार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे !
19. थोडा खाने वाले को -आरोग्य, आयु, बल, सुख और सौंदर्य प्राप्त होता है।
20. जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए !
21. कुत्ते का छुवा, बासी , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे।
ये नियम आप जरुर अपनाये और फर्क देखें
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