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Showing posts from April, 2014

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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम

1. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ' श्री पद्मनाभजी ' होंगे। 2. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ' श्री सुरदेव जी ' होंगे । 3. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ' श्री सुपार्श्व जी ' होंगे।

आठ कर्म

1. ज्ञानावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के ज्ञान-गुण पर परदा पड़ जाए।  जैसे सूर्य का बादल में ढँक जाना। 2. दर्शनावरणीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की दर्शन शक्ति पर परदा पड़ जाए।  जैसे चपरासी बड़े साहब से मिलने पर रोक लगा दे। 3. वेदनीय कर्म- वह कर्म जिससे आत्मा को साता का- सुख का और असाता का-दुःख का अनुभव हो।  जैसे गुड़भरा हँसिया- मीठा भी, काटने वाला भी। 4. मोहनीय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा के श्रद्धा और चारित्र गुणों पर परदा पड़ जाता है।  जैसे शराब पीकर मनुष्य नहीं समझ पाता कि वह क्या कर रहा है। 5. आयु कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को एक शरीर में नियत समय तक रहना पड़े।  जैसे कैदी को जेल में। 6. नाम कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा मूर्त होकर शुभ और अशुभ शरीर धारण करे।  जैसे चित्रकार की रंग-बिरंगी तसवीरें। 7. गोत्र कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा को ऊँची-नीची अवस्था मिले। जैसे कुम्हार के छोटे-बड़े बर्तन। 8. अन्तराय कर्म- वह कर्म, जिससे आत्मा की लब्धि में विघ्न पड़े।  जैसे राजा का भण्डारी। बिना उसकी मर्जी के राजा की आज्ञ...

Jahaj mandir

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JAHAJMANDIR

फालना में आराधना भवन का उद्घाटन

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 पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य प्रशिष्य पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में फालना नगर में श्री आदिनाथ जिन मंदिर एवं दादावाडी की 12 वीं वर्षगांठ निमित्ते त्रिदिवसीय परमात्म भक्ति का आयोजन होगा। इस मंदिर दादावाडी की प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में वि . 02059 वैशाख शुक्ल तृतीया ता . 11 मई 2002 को संपन्न हुई थी।

डुठारिया प्रतिष्ठा

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 पाली जिले के छाजेड परिवारों के गांव श्री डुठारिया नगर में आदिनाथ परमात्मा के भव्यातिभव्य जिन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा आगामी वैशाख सुदि 12 रविवार ता . 11 मई 2014 को पूज्य गुरुदेव आचार्य देव श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य पूज्य गुरुदेव उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में संपन्न होने जा रही है।

कन्याकुमारी में शिलान्यास संपन्न

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   भारत   के   दक्षिणी   समुद्र   के   किनारे   स्थित   ऐतिहासिक   पर्यटक   स्थल   कन्याकुमारी   में               परमात्मा   महावीर   स्वामी   का   जिन   मंदिर   निर्मित   होने   जा   रहा   है।   साथ   ही   श्री   जिनकुशलसूरि   दादावाडी   एवं   राजेन्द्रसूरि   गुरु   मंदिर   का   निर्माण   भी   होगा।

नवप्रभात -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

जीवन में कभी - कभी ऐसी विकट स्थितियां बन जाती है , जब निर्णय करना मुश्किल हो जाता है। जब व्यक्ति चारों तरफ से अपने आपको घिरा हुआ महसूस करता है , जब इधर कुआं उधर खाई नजर आती है , ऐसी स्थिति में उचित समाधान कैसे पाया जा सकता है ! मैंने एक कहानी पढी थी। जंगल में एक गर्भवती हिरणी प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान की खोज कर रही थी। नदी के किनारे घनी झाडियों के पास बिछी हुई मुलायम घास वाली जगह उसे सुरक्षित प्रतीत हुई।

Jahajmandir magazine april 2014

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सफलता के सात भेद

सफलता के सात भेद कौनसे हैं ? मुझे अपने कमरे के अंदर ही उत्तर मिल गये ! छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो ! पंखे ने कहा : ठन्डे रहो ! घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है ! शीशे ने कहा : कुछ करने से पहल...