जीवन में कभी-कभी ऐसी
विकट स्थितियां बन
जाती है, जब
निर्णय करना मुश्किल
हो जाता है।
जब व्यक्ति चारों
तरफ से अपने
आपको घिरा हुआ
महसूस करता है,
जब इधर कुआं
उधर खाई नजर
आती है, ऐसी
स्थिति में उचित
समाधान कैसे पाया
जा सकता है!
मैंने एक कहानी
पढी थी।
जंगल में एक
गर्भवती हिरणी प्रसव हेतु
सुरक्षित स्थान की खोज
कर रही थी।
नदी के किनारे
घनी झाडियों के
पास बिछी हुई
मुलायम घास वाली
जगह उसे सुरक्षित
प्रतीत हुई।
वह प्रसव पीडा से
गुजर रही थी
कि अचानक मौसम
में बदलाव आ
गया। आसमान में
काले घने बादल
छा गये। घनघोर
घटाओं से बिजलियां
कडकने लगी। अचानक
जंगल में बिजली
गिरी और आग
लग गई। हिरणी
घबरा उठी। तभी
उसने बाईं ओर
देखा तो उसके
पांवों तले जमीन
खिसक गई। क्योंकि
वहाँ एक तीरंदाज
शिकारी उसकी ओर
ही निशाना साध
रहा था। उसने
दायीं ओर देखा
तो उधर एक
शेर उसकी ओर
बढ रहा था।
वह घबरा उठी।
अब मैं कहाँ
जाऊँ! इधर तीर
का निशाना है,
तो उधर शेर
है, आग की
लपटें भी तेज
हो रही है।
ओह! क्या होगा
मेरा और मेरे
बच्चे का!
क्या मैं सुरक्षित
रह पाऊँगी! क्या
मैं सही सलामत
अपने बच्चे को
जन्म दे पाऊँगी!
या कि मैं
तीर से मारी
जाऊँगी या शेर
के खूंखार पंजों
से मौत मिलेगी!
चारों ओर संकट!
उसने तुरंत अपने
विचारों की दिशा
बदली! मैं भी
उन संकटों से
घबरा रही हूँ,
जो आने वाले
हैं, पर आये
नहीं है। मुझे
केवल अपनी प्रक्रिया
पर ध्यान देना
चाहिये।
और उसने अपना
पूरा मन मानस,
ऊर्जा सब कुछ
अपने बच्चे को
जन्म देने की
ओर केन्दि्रत कर
दिया।
और तभी जैसे
चमत्कार हुआ!
कडकडाती बिजली से तीरंदाज
की आँखें चुंधिया
गई, उसकी आँखों
के आगे अंध्ोरा
छा गया। हडबडाहट
में उसका तीर
चल गया, पर
निशाना चूक गया।
तीर सीधा शेर
को जा लगा।
बरसात तेज हो
गई। जंगल में
लगी आग बुझ
गई। और हिरणी
ने एक स्वस्थ
शावक को जन्म
दे दिया।
जीवन में बहुत
पल ऐसे आते
हैं जब हम
चारों तरफ से
समस्याओं से घिर
जाते हैं। ऐसी
स्थिति में नकारात्मक
विचारों को त्याग
कर सकारात्मक विचारों
के आधार पर
स्वस्थता और संतुलन
के साथ यदि
सही निर्णय लिया
जाता है तो
संकटों से उबरने
में समय नहीं
लगता।
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