Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Tirunelvelly तिरूनेलवेली में प्रतिष्ठा संपन्न

tirunelvelly
राजस्थान में उम्मेदाबाद-गोल निवासी श्रीमती मोवनदेवी छगनराजजी भंसाली के सुपुत्र श्री जयन्तिलालजी भंसाली परिवार द्वारा निर्मित तीन मंजिले भवन के उफपरी खण्ड में श्री विशाल देवकुलिका में श्री नवपद पट्ट, दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरि एवं श्री नाकोडा भैरव की प्रतिष्ठा ता. 7 मार्च 2015 को पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म.सा. एवं पूजनीया साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म.सा. पू. विश्वरत्नाश्रीजी म. पू. रश्मिरेखाश्रीजी म. पू. चारूलताश्रीजी म. पू. चारित्रप्रियाश्रीजी म. ठाणा 5 एवं पूजनीया साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म. पू. विश्वज्योतिश्रीजी म. पू. जिनज्योतिश्रीजी म. ठाणा 3 के पावन सानिध्य में उल्लास भरे वातावरण में संपन्न हुई। 

कन्याकुमारी की ऐतिहासिक प्रतिष्ठा संपन्न करवाकर नागरकोइल होते हुए ता. 7 मार्च को सुबह पूज्यवरों का नगर प्रवेश करवाया गया। तत्पश्चात् शुभ मुहूर्त्त में भवन का उद्घाटन हुआ।
प्रतिष्ठा से पूर्व अठारह अभिषेक करवाये गये। प्रतिष्ठा के बाद श्री नवकार महामंत्र महापूजन पढाया गया। विधि विधान हेतु श्री हेमन्तभाई पधारे थे।
इस अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य गुरुदेवश्री ने कहा- नवपद जिन धर्म का सार है। नवपद के द्वारा ही मोक्ष पाया जा सकता है। आज तक जिन्होंने भी मोक्ष पाया, उसमें नवपद ही निमित्त है। उन्होंने श्रीपाल का उदाहरण सुनाते हुए कहा- नवपद ने ही श्रीपाल को कोढ मुक्त किया था। व्यवहार की अपेक्षा से शारीरिक व्याधि का समापन हुआ तो निश्चय की अपेक्षा से मिथ्यात्व रूप कोढ से मुक्ति मिली। नवपद की साधना से ही उसने सभी प्रकार की उफँचाईयाँ प्राप्त की थी।
पू. साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म. एवं विश्वज्योतिश्रीजी म. ने अपने प्रवचन द्वारा परमात्म भक्ति की व्याख्या की। श्री जयन्तिलालजी भंसाली ने सभी का स्वागत किया। श्री संघ द्वारा उनका बहुमान किया गया।

jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,

Comments

Popular posts from this blog

RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास

GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास

GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास