Featured Post
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823
Raipur (C.G.) सूचना ~ श्री जिनकुशल सूरि जैन दादावाडी, एम.जी. रोड, रायपुर (छ.ग.) के प्रांगण में खरतरगच्छाधिपति पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की निश्रा में - उपधान तप की भव्य आराधना 9 अक्टूबर से उपधान प्रारम्भ होकर माला महोत्सव 29 नवम्बर 2015
- Get link
- Other Apps
सूचना
~~~~~~~~~
श्री जिनकुशल सूरि जैन दादावाडी
एम.जी. रोड रायपुर (छ.ग.)
के प्रांगण में
---------------------------
खरतरगच्छाधिपति पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागर जी म. सा. की निश्रा में
-----
उपधान तप की भव्य आराधना
9 अक्टूबर से उपधान प्रारम्भ
होकर
माला महोत्सव 29 नवम्बर 2015
-------------------------
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Popular posts from this blog
RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास
रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास आलेखकः- गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज इतिहास के पन्नों पर रांका , सेठिया आदि गोत्रीय जनों के शासन प्रभावक अनूठे कार्य स्वर्ण स्याही से अंकित है। इस गोत्र की रचना का इतिहास विक्रम की बारहवीं शताब्दी का है। गुजरात का वल्लभीपुर नगर वला के नाम से भी प्रसिद्ध था। वहॉं रहते थे दो भाई! गोड राजपूत वंश के थे। नाम थे उनके काकू और पातांक! बहुत गरीब थे। अपनी गरीबी से बहुत तंग आ गये थे। पर कोई उपाय नहीं था। किसी ज्येातिष के जानकार व्यक्ति ने उनका हाथ व ललाट की रेखाऐं देख कर बताया कि इसी वल्लभी में तुम्हारा भाग्योदय होने वाला है। तुम राजमान्य हो जाओगे। बहुत बडे धनवान बन जाओगे। पर बाद में राजा किसी कारणवश तुमसे रूष्ट हो जायेगा। परिणामस्वरूप तुम यवनों की सेना का साथ देकर इस राज्य के ध्वंस में कारण बनोगे। वल्लभी का नाश होने पर मरूभूमि की ओर तुम प्रस्थान करोगे। तुम्हारी पांचवीं पीढी में जो संतान होगी , उससे तुम्हारा कुल विस्तार को प्राप्त करेगा।
GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास
गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास आलेखकः- गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज अजमेर के पास में भाखरी नामक गॉंव था। वहॉं राठोड क्षत्रिय जिसका नाम गड़वा था , रहता था। सामान्य परिवार था। पारिवारिक कोई समस्या नहीं थी। पर जीवन बडा अशान्त था। धन की कमी थी। उसने बहुत उपाय किये , पर सम्पन्नता उसके पास नहीं आ सकी। आखिर उसके जीवन में पुण्य का उदय हुआ। और प्रथम दादा गुरुदेव विहार करते करते भाखरी में पधारे। योगानुयोग गडवा के मन में गुरुदेव के दर्शन का भाव उत्पन्न हुआ। गुरुदेव के दर्शन कर वह अपने आपको धन्य मानने लगा। गुरुदेव से धर्म का स्वरूप जाना। तो उसके हृदय में जिन धर्म के प्रति उत्कण्ठा बढ़ने लगी। उसे समझ में आने लगा कि सच्चा धर्म क्या है! उसने सारे व्यसनों को अपने जीवन से देशनिकाला दिया। उसने एक बार अवसर पाकर गुरुदेव से अपने जीवन की अशान्ति का वर्णन किया। गुरुदेव ने उसे जाप करने का कहा। गुरुदेव के आशीर्वाद ने उसके जीवन में परिवर्तन कर दिया। वह सम्पन्नता के झूले में झूलने लगा। गुरुदेव का ऐसा अचिन्त्य प्रभाव देख कर वह उनका परम भक्त हो गया। गुरुदेव से उसने व उस
GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास
गांग , पालावत , दुधेरिया , गिडिया , मोहिवाल , टोडरवाल , वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास आलेखकः- गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज मेवाड़ देश के मोहिपुर नामक नगर पर नारायणसिंह परमार का राज्य था। राज्य छोटा था। एक बार चौहानों ने मोहिपुर पर चढ़़ाई कर दी। नगर को चारों ओर से घेर लिया। चौहानों की सेना विशाल थी जबकि मोहिपुर की सेना अल्प! फिर भी बड़ी वीरता के साथ परमारों ने चौहानों के साथ युद्ध किया। युद्ध लम्बे समय तक चला। न चौहान जीतते दीख रहे थे , न परमार हारते! पर बीतते समय के साथ परमारों की सेना अल्प होने लगी। धन का अभाव भी प्रत्यक्ष होने लगा। इस स्थिति ने शसक नारायणसिंह को चिंतित कर दिया। अपने पिता को चिंताग्रस्त देख कर उनके पुत्र गंगासिंह ने कहा- पिताजी! आप चिन्ता न करें। आपको याद होगा। पहले अपने नगर में जैन आचार्य जिनदत्तसूरि का पदार्पण हुआ था। वे तो अभी वर्तमान में नहीं है। परन्तु उनके शिष्य एवं पट्टधर आचार्य जिनचन्द्रसूरि अजमेर के आसपास विचरण कर रहे हैं। उनकी महिमा का वर्णन मैंने सुना है। आप आदेश दें तो मैं उनके पास जाना चाहता हूँ। वे अवश्य ही हमें इस विप
Comments
Post a Comment
आपके विचार हमें भी बताएं