खरतरगच्छाधिपति उपाध्याय
गुरुदेव श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा एवं पूजनीया साध्वी विद्युतप्रभाश्रीजी
म.सा. अपनी शिष्या मंडली के साथ दुर्ग (छ.ग) स्थित रिषभदेव परिसर में 21
जुलाई को पदार्पण हुआ। प.पू. गुरुदेव श्री
मणिप्रभसागरजी म.सा. ने अपने हृदय स्पर्शी प्रवचन में धर्मसभा के समक्ष खरतरगच्छ
को चार साधु भगवंत देने वाले दुर्ग श्रीसंघ एवं परिवार के प्रति मंगल भावना व्यक्त
करते हुए छ.ग. में दुर्ग श्रीसंघ का प्रथम अधिकार निरूपित किया।
क्षेत्र स्पर्शना के
प्रबल संयोग एवं छाजेड परिवार,
पद्मनाभपुर के
अनुग्रह पर प.पू. उपाध्याय प्रवर का अपने शिष्य मंडली एवं पूजनीया साध्वी डाँ.
विद्युतप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा का पद्मनाभपुर स्थित छाजेड सदन की ओर विहार हुआ।
जयकारों एवं बैण्ड बाजे के धुनों के साथ उस समय अद्भूत वातावरण निर्मित हो गया जब
स्थानकवासी परंपरा के लोकमान्य संत छ.ग. प्रवर्तक पू. मुनि श्री रतनमुनिजी म.सा.
एवं उपाध्याय प्रवर का आत्मीय मिलन हुआ। पू. रतनमुनिजी म.सा. ने पोथी एवं काम्बली
भेंट कर उपाध्याय प्रवर का आत्मीय सत्कार किया। छाजेड़ परिवार के भावनानुसार
उपाध्याय प्रवर का श्रीमती शांतिदेवी छाजेड के निवास स्थान-छाजेड़ सदन में मंगल
प्रवेश हुआ।
छाजेड़ परिवार के सदस्यों
ने गवली एवं बधाकर अपनी खुशी जाहिर की। चतुर्विध संघ के मध्य छाजेड़ परिवार ने
आनंदित एवं पुलकित हृदय से वैयावच्च का लाभ लिया। पूज्य उपाध्याय प्रवर ने पगलिया
- आशीर्वाद प्रदान कर छाजेड़ परिवार के सपनों को मूर्त रूप दिया। उपस्थित
सम्माननीयजनों के साधर्मी वात्सलय का लाभ भी छाजेड़ परिवार ने लिया। समस्त
कार्यक्रमों को सम्पन्न कर पू. उपाध्याय प्रवर ने अपने शिष्य संपदा के साथ गंतव्य
की ओर चतुर्विध संघ के साथ विहार किया।
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