|
GURU MANIPRABH |
छत्तीसगढ की राजधानी
रायपुर नगर में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. पूज्य मुनि
श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि विरक्तप्रभसागरजी
म. पूज्य मुनि श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य बालमुनि मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म.
पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पू. प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पू.
विज्ञांजनाश्रीजी म. पू. निष्ठांजनाश्रीजी म. पू. आज्ञांजनाश्रीजी म. ठाणा 6 का चातुर्मास हेतु नगर प्रवेश ता. 25 जुलाई को अत्यन्त आनंद व हर्षोल्लास के साथ
संपन्न हुआ।
प्रवेश के अवसर पर बाहर
गांवों से बडी संख्या में गुरु भक्तों का पदार्पण हुआ। प्रवेश शोभायात्रा का प्रारंभ
सदर बाजार ऋषभदेव जैन मंदिर से हुआ, जो शहर के मुख्य मार्ग- सत्तीबाजार, तात्यापारा चौक, बढई पारा,
रामसागर पारा, गुरुनानक चौक होती हुई दादावाडी पहुँची, जहाँ अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर पूज्यश्री ने
अपने प्रवचन में कहा- 36 गढ में
चातुर्मास होने जा रहा है। वैसे आम विचार धारा में 36 के आंकडे को शुभ नहीं माना जाता। लोग 63 के आंकडे को महत्व देते हैं। किन्हीं दो के
बीच मतभेद हो तो हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं- इन दो के बीच 36 का आंकडा है।
पर मैं 36 के आंकडे को बहुत महत्व देता हूँ। 36 में दोनों अंक अलग अलग दिशाओं की ओर मुख किये
हैं। और 63 में आमने सामने हैं। मैं
कहना चाहता हूँ- लडाई जब भी होती है, आमने सामने ही तो होती है। आज दिन तक ऐसा किसी ने नहीं देखा सुना होगा कि दो
आदमी जो लड रहे हैं, वे अलग अलग
दिशाओं की मुख किये खडे हैं।
36 का आंकडा सुरक्षा देता
है। एक ने एक दिशा सम्हाल ली है, दूसरे ने दूसरी
दिशा! बीच में हम सुरक्षित हैं।
इस अवसर पर पू. मुनि श्री
मनितप्रभसागरजी म. ने कहा- आज का वातावरण देख कर लगता है कि मरूधर मणि छत्तीसगढ का
मणि बन गया है। मोकलसर का मणि रायपुर का मणि बन गया है। उन्होंने चार महिने तक
चलने वाले लाईफ मेनेजमेंट सेशन में जुडने की बात कही। समारोह का सफल संचालन करते
हुए पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. ने पूज्यश्री के
जीवनप्रसंगों को सुनाकर सभी को तन्मय कर दिया। उन्होंने कहा- छत्तीसगढ के लोग
श्रद्धा, प्रेम, अपनत्व और भक्ति से परिपूर्ण है। निश्चित ही 36 का आंकडा अखण्ड प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक
है। श्री विचक्षण महिला मंडल, संभव संस्कार
सुरभि ज्ञान वल्लभ पाठशाला, आदीश्वर बहु मंडल
ने स्वागत गीत प्रस्तुत किये।
श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने
पेढी की रूपरेखा प्रस्तुत की। श्री तिलोकचंदजी बरडिया, श्री सुरेशजी कांकरिया ने स्वागत भाषण दिया।
तिरूपातूर निवासी श्री
पन्नालालजी गौतमचंदजी कवाड परिवार की ओर से कामली ओढाने का लाभ लिया गया। सांचोर
निवासी श्री मनोहरजी फूलचंदजी बोथरा कानूगो ने गुरुपूजन का लाभ लिया। श्री संतोष
गोलेच्छा महासचिव ने धन्यवाद दिया। इस अवसर पर छत्तीसगढ के धमतरी, महासमुन्द, दुर्ग, राजनांदगांव,
भिलाई, खैरागढ, दल्लीराजहरा,
वैशालीनगर, डोंगरगांव, चौकी, मोहला, मानपुर, बागबाहरा,
खरियार रोड, पंडरिया, मुंगेली, कोमाखान, कांकेर, कोंडागांव,
जगदलपुर, बालाघाट, गोंदिया आदि संघों
की बडी संख्या में उपस्थिति थी।
इसके अलावा चेन्नई,
मुंबई, अहमदाबाद, बाडमेर, चौहटन, पाली, बालोतरा, ब्यावर, तिरूपातूर, कोयम्बतूर,
ईरोड, तिरूपुर, सूरत, चितलवाना, कारोला, सिणधरी, सांचोर, जोधपुर, जयपुर, बैंगलोर, नंदुरबार, सिवनी, इचलकरंजी, नवसारी, पूना, दिल्ली, बिजयनगर, भायंदर, भिवण्डी, नाशिक, जैसलमेर, इन्दौर, उज्जैन, उदयपुर, बल्लारी, फलोदी, मल्हार पेठ आदि
क्षेत्रों से बडी संख्या में श्रद्धालुओं का पदार्पण हुआ। दुर्ग संघ, बिजयनगर संघ, उज्जैन संघ, इचलकरंजी संघ,
दिल्ली संघ, बाडमेर संघ आदि संघों ने पूज्यश्री से आगामी चातुर्मास अपने
क्षेत्र में करने की भावभरी विनंती की।
jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,
Comments
Post a Comment
आपके विचार हमें भी बताएं