परम पूज्य गणाधीश उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म.सा. व मनीषप्रभसागरजी म.सा. का फलौदी में चातुर्मास धूम-धाम से चल रहा है। चातुर्मासिक आराधना का दौर व जिनवाणी की साधना सानन्द चल रही है। आराधना के दौरान तपस्या की धारा अविरल बह रही है। तपस्या में नौ उपवास, तेले, शासन चक्र तप एवं प्रत्येक रविवार को एकासनें, अक्षयनिधि तप आदि तपस्याएं हो रही है।
पूज्यश्री की निश्रा में प्रत्येक रविवार को शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शिविर में बालकों को प्रभु पुजा, नव तत्त्व, कर्म मीमांसा आदि का ज्ञान देकर संस्कारित किया जा रहा है। पूज्य श्री मनीषप्रभसागर जी म.सा. द्वारा सशक्त उदाहरणों के माध्यम से जीवन जीने की कला के आदर्श प्रस्तुत किये जाते है जिनकी अनुपालना से बालकों का जीवन ज्ञान की खुश्बु से सुंगधित हो ही रहा है।
चातुर्मासिक आराधना साधना के दौरान जैन दर्शन पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। जिसमें परिक्षार्थियों का उत्साह आश्चर्यजनक रहा। परिक्षा के परिणाम के लिए 2 वर्ग बनाये गये। इसमे कनिष्ठ वर्ग में दिव्या झाबक ने 100 में से 97 अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। तथा ज्येष्ठ वर्ग में शिल्पा बरड़िया ने 100 में से 99 अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्रथम पाँच स्थान प्राप्त करने वालों को विशेष तथा शेष सभी परिक्षार्थियों को सात्वनां पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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