Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

जहाज मंदिर वर्षगांठ संपन्न... श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक जहाज मंदिर की 16वीं वर्षगांठ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी म. पू. मुनि श्री नयज्ञसागरजी म. की पावन निश्रा में ता. 2 फरवरी 2015 को मनाई गई। अठारह अभिषेक करवाये गये। सतरह भेदी पूजा पढाने के साथ शिखर पर ध्वजा चढाई गई। मुख्य ध्वजा के अमर लाभार्थी श्री पारसमलजी भानमलजी छाजेड परिवार की ओर से उनके परिवार ने ध्वजा चढाई। इस अवसर पर पूजनीया साध्वी श्री मुक्तिप्रियाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा का ट्रस्ट के आग्रह पर पदार्पण हुआ।

जहाज मंदिर वर्षगांठ संपन्न... श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक जहाज मंदिर की 16वीं वर्षगांठ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी . पू. मुनि श्री नयज्ञसागरजी . की पावन निश्रा में माघ सुदि 14 सोमवार ता. 2 फरवरी 2015 को मनाई गई। अठारह अभिषेक करवाये गये। सतरह भेदी पूजा पढाने के साथ शिखर पर ध्वजा चढाई गई। मुख्य ध्वजा के अमर लाभार्थी श्री पारसमलजी भानमलजी छाजेड परिवार की ओर से उनके परिवार ने ध्वजा चढाई। इस अवसर पर पूजनीया साध्वी श्री मुक्तिप्रियाश्रीजी .सा. आदि ठाणा का ट्रस्ट के आग्रह पर पदार्पण हुआ।
इस अवसर पर प्रवचन फरमाते हुए पूज्य मुनिश्री ने कहा- पूज्य गुरुदेव की स्मृति में बना यह जहाज मंदिर संसार सागर को तिरने का एक उपक्रम है। इस मंदिर का अनूठा स्थापत्य, पूर्ण रूप से स्वर्ण अभिमंडित परिकर सहित परमात्मा की अलौकिक दिव्य प्रतिमा एक शान्ति भरा सुकून देती है। और यहाँ जो कांच का काम हुआ है, ऐसा लगता है जैसे हम किसी अन्य लोक में गये हैं।
उन्होंने कहा- यह सब पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री की कृपा का ही फल है। मुझ पर पूज्य गुरुदेवश्री की पूर्ण कृपा थी। आज मैं जो कुछ भी हूँ, वह सब पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद का ही फल है।

ट्रस्ट की ओर से पूज्यश्री को कामली वहोराई गई। गुरुपूजन किया गया। अष्टप्रकारी पूजा के वार्षिक चढावे बोले गये।
jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,

Comments

Popular posts from this blog

RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास

GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास

GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास