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मालपुरा दादा गुरुदेव चरण के आज के दर्शन।।। आज 18 फ़रवरी को प्रगट प्रभावी चौरासी गच्छ श्रंगारहार जंगम युग प्रधान भटारक खरतरगच्छ चारित्र चूड़ामणि तीसरे दादा श्री जिन कुशलसूरीश्वर जी म.सा. की 682 वीं स्वर्गारोहण जयंती समारोह बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है । उनका संक्षिप्त परिचय-
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आज 18 फ़रवरी को प्रगट प्रभावी चौरासी गच्छ श्रंगारहार जंगम युग प्रधान भटारक खरतरगच्छ चारित्र चूड़ामणि तीसरे दादा श्री जिन कुशलसूरीश्वर जी म.सा. की 682 वीं स्वर्गारोहण जयंती समारोह बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है । उनका संक्षिप्त परिचय-
आपका जन्म राजस्थान के बाडमेर में गढ
सिवाना में विक्रम स्वंत्त 1337 में छाजेड गोत्र में हुवा , आपके बचपन का नाम करमन था ।
आप व्याकरण न्याय साहित्य अलंकार ज्योतिष मंत्र तंत्र चित्राकव्य समस्या पूर्ति और जैन दर्शन के अभूतपर्व विद्वान् थे ।
आप भक्तों के रोम रोम में बसे हुवे हो जब भी भक्त आपको याद करते हैं ,आप तुरंत हाजिर हो जाते हो ,आपके राजस्थान में आज भी जयपुर में मालपुरा , जैसलमेर में बरमसर ,और बीकानेर में नाल दादावाडी हैं, जहा आपने अपने
भक्तो को देवलोक होने के बाद दर्शन दिए और
उनका मनोरथ पूरा किया ।
आपके चमत्कार अनगिनत हैं क्यों की आप सदैव भक्तो के लिए ही बने ,चाहे लुनिया जी श्रावक का आज के पाकिस्तान से अपनी बेटियों का शील बचाने के लिए बरमसर आना. एक शासन श्रावक भक्त को मालपुरा में साक्षात दर्शन देना करमचंद बछावत के मंत्री वरसिंह की प्रबल इच्छा का मान रखते हुवे नाल बीकानेर में साक्षात दर्शन देकर उनका मनोरथ सिद्ध किया और शासन की प्रभावना की ।
आपने 42 साल तक शासन की सुन्दर
प्रभावना की कितनो को तारा और कितने के
आप आँखों के हीरे बने और कितने अजैनों को जिन शासन से जोड़कर आपने 50000 के करीबन नूतन जैन बनाये ।
आपका स्वर्गवास देराउर जो आज पाकिस्तान में है वहा फाल्गुन वदि अमावश्या को रात्रि दो प्रहर बीतने पर इस असार संसार को त्याग कर स्वर्गीय देवो की पंक्ति में अपना आसन जमाया।
75 मंडपिकावो से युक्त निर्वाण यात्रा निकाली गई दाह संस्कार किया गया उनके संस्कार धाम पर रिहड़ गोत्र सेठ पूर्णचन्द्र के पुत्र हरिपाल श्रावक् ने अपने परिवार के साथ सुन्दर स्तूप का निर्माण करवाया ।
ऐसे थे मेरे गुरुदेव साक्षात् गुरुदेव हाजर हुजुर गुरुदेव जिनके नाम स्मरण मात्र से आदि व्याधि सब दूर होकर एक नया जीवन मिलता हे
जैसलमेर के ब्रह्मसर में और जयपुर के मालपुरा में दादा श्री जिन कुशल सूरी जी ने जिस सिला ( पाषाण) पर साक्षात दर्शन दिए उस पर उनके पदचिन्ह अंकित हो गए और वो आज भी वहा मोजूद हे आप उनके दर्शन वंदन का लाभ के सकते हे यही तो सच्ची श्रधा का प्रतीक हे
बस इस आशा के साथ .....
जय दादा जिन कुशल गुरुदेव
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