ता. 1 मई को वर्षीदान का वरघोडा निकाला गया। वरघोडे के बाद अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें सभी साधु साध्वीजी महाराज के प्रवचन हुए। पू. साध्वी श्री सुमित्राश्रीजी म., पू. साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री सम्यक्दर्शनाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विमलप्रभाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विराग-विश्वज्योतिश्रीजी म. आदि ने अपने भाव व्यक्त करते हुए मुमुक्षु ममता को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
इस दीक्षा महोत्सव निमित्त
ता. 28 अप्रेल 2015 को पूज्य गुरु
भगवंतों का नगर प्रवेश कराया गया। ता. 30 अप्रेल को मुमुक्षु का डोरा बंधन हुआ। तथा संयम
उपकरण वंदनावली का आयोजन किया गया। वंदनावली कार्यक्रम का संचालन पूज्य मुनि श्री
मनितप्रभसागरजी महाराज ने किया। संयम के उपकरणों की विवेचना स्व रचित पद्यों के
साथ की। साढे नौ बजे प्रारंभ यह समारोह बारह बजे तक चला। मालू भवन का विशाल हाँल
ठसाठस भरा था। कार्यक्रम इतना वैराग्य रस परिपूर्ण था कि एक भी व्यक्ति उठा तक
नहीं।
इस अवसर पर नूतन दीक्षित
बाल मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ने प्रवचन देकर सबको चकित कर दिया। पूरा हाँल
अनुमोदना के भावों से गूंजने लगा।
ता. 2 मई को दीक्षा
समारोह में अपार भीड थी। तीन चार अन्य स्थानों पर बडी स्क्रीन लगा कर सीधा प्रसारण
करवाया गया। नूतन साध्वीजी म. का नाम साध्वी श्री प्रियमंत्रांजनाश्रीजी म. रखा
गया। वे पूज्य गणरत्ना श्री सुलोचनाश्रीजी म.सा. की शिष्या बनी। इस अवसर पर
शाजापुर से डाँ. सागरमलजी जैन, मुंबई से श्री हरखचंदजी गडा आदि विशिष्ट
महानुभाव पधारे।
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