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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Nakoda पूज्य आचार्यश्री का नाकोडाजी में स्वर्गवास

पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनकैलाशसागरसूरिजी म. का 82 वर्ष की उम्र में श्री नाकोडाजी तीर्थ पर ता. 23 मई 2015 ज्येष्ठ सुदि दूसरी पंचमी को स्वर्गवास हो गया।

पूज्यश्री का जन्म नागोर जिले के रूण गांव में वि. सं. 1990 वैशाख सुदि 3 को श्री चतुर्भुजजी - सौ. श्रीमती दाखीबाई कटारिया के घर हुआ था। आपके पिताश्री चतुर्भुजजी ने पूज्य आचार्य श्री जिनहरिसागरसूरिजी म. के पास संयम ग्रहण कर तीर्थसागरजी म. नाम प्राप्त किया था। पिताजी के ही पदचिह्नों पर चलते हुए 25 वर्ष की युवा उम्र में वि. 2015 आषाढ सुदि 2 को संयम ग्रहण कर पूज्य आचार्य श्री जिनकवीन्द्रसागरसूरिजी म. का शिष्यत्व प्राप्त किया। मुख्यत: राजस्थान में आपका विचरण रहा। नागोर दादावाडी के निर्माण में आपकी प्रेरणा रही।

पूज्य आचार्य श्री जिनमहोदयसागरसूरिजी म. के स्वर्गवास के पश्चात् आपने खरतरगच्छ गणाधीश पद प्राप्त कर गच्छाधिपति का दायित्व निभाया। वि. 2054 माघ सुदि 6 को नाकोडा तीर्थ में आपको उपाध्याय पद से विभूषित किया गया। वि. सं. 2063 में माघ सुदि 13 को पालीताना में आपको आचार्य पद से विभूषित किया गया।
पिछले लम्बे समय से अस्वस्थता के कारण आपश्री नाकोडाजी तीर्थ पर बिराजमान थे। आपके स्वर्गवास से गच्छ व समुदाय को बडी क्षति हुई है। श्री नाकोडाजी तीर्थ पर स्वतंत्र भूमि लेकर उनके पार्थिव शरीर का अग्निसंस्कार किया गया। अग्नि संस्कार के अवसर पर देश के विभिन्न संघों की उपस्थिति रही। उस अवसर पर पूज्य उपाध्यायश्री द्वारा प्रेषित सकल श्री संघ के नाम संदेश का वांचन किया गया। जहाज मंदिर परिवार हार्दिक श्रद्धांजली अर्पण करता है।

गुणानुवाद सभा का आयोजन

पूज्य आचार्य श्री के स्वर्गवास के समाचार सुनते ही पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. आदि मुनि मंडल एवं पू. साध्वी श्री सुलोचनाश्रीजी म. आदि साध्वी मंडल ने बडे देववंदन कर कायोत्सर्ग किया। तत्पश्चात् गुणानुवाद करते हुए पूज्यश्री ने कहा- पूज्य आचार्य श्री की यह पुण्याई है कि उनके गुरु भगवंत कवि सम्राट्जी का स्वर्गवास भी सुदि पंचमी को हुआ था। और आपने भी उसी तिथि को स्वर्गलोक की ओर प्रयाण किया। हम हार्दिक श्रद्धांजली अर्पण करते हैं। और कामना करते हैं कि उनकी आत्मा क्रमश: मोक्ष पद को प्राप्त करे।

भारत भर में स्थान स्थान पर गुणानुवाद सभाओं का आयोजन किया गया। पूजाऐं पढाई गई।

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