श्री शंखेश्वर महातीर्थ की पुण्यधरा पर श्री आदिनाथ जिनालय एवं
जिनकुशल सूरि दादावाड़ी परिसर में बाड़मेर निवासी मुमुक्षु कु. मीना छाजेड़, मुमुक्षु श्रीमती गीता बोथरा की दिक्षा पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री
जिनकांतिसागरसूरिजी म. के शिष्य प्रशिष्य एवं प.पू. गणाधीश उपाध्याय श्री
मणिप्रभसागरजी म.सा. के निश्रावर्ती पूज्य मुनि श्री मुक्तिप्रभसागरजी म.सा. पू.
मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी म.सा. के वरदहस्त से 28 मई को सानंद संपन्न हुई।
पूज्या साध्वी श्री कल्पलताश्रीजी म. आदि ठाणा एवं पूज्या साध्वी
श्री संघमित्राश्रीजी म.सा आदि ठाणा की सानिध्यता प्राप्त हुयी।
विशाल उपस्थिति दीक्षा विधान के अंतिम समय तक बनी रही। मुमुक्षु
का 26 मई को जिन कुशल दादावाड़ी गाजे बाजे सहित मंगल प्रवेश हुआ। 27 मई को मुमुक्षु
गीता व मीना का डोरा बंधन हुआ। दादावाड़ी प्रांगण खचाखच भरा हुआ था। पूरा बाड़मेर, सुरत, नवसारी आदि की उपस्थिति में संघ दोनों का
अभिनंदन कर रहा था।
आगमवेत्ता डाँ. सागरमल जी सा जैन, मोहनजी गोलेच्छा चैन्नई, अरविंदजी कोठारी आदि ने उद्बोधन दिया।
मुमुक्षु मीना का साध्वी मननप्रियाश्री एवं मुमुक्षु गीता का
साध्वी परमप्रियाश्री नाम रखा गया। वे पू. कल्पलताश्रीजी म.सा. की शिष्या घोषित की
गयी।
jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,
Comments
Post a Comment
आपके विचार हमें भी बताएं