पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति
आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. बहिन म. डाँ.
श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 की पावन निश्रा में
दुर्ग नगर से श्री भूरमलजी पतासी देवी बरडिया परिवार की ओर से उवसग्गहरं
तीर्थ-कैवल्यधाम तीर्थ के लिये छह री पालित संघ का भव्य आयोजन किया गया।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन
विधि विधान के साथ चतुर्विध संघ ने नगपुरा की ओर प्रस्थान किया। श्री उवसग्गहरं
तीर्थ पहुँचने पर संस्थान की ओर से भव्य स्वागत किया गया। वहाँ बिराजमान आचार्य श्री
राजचन्द्रसूरिजी म. आदि की सामूहिक निश्रा में कार्तिक पूर्णिमा का विधान किया
गया। प्रवचन में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपतिश्री ने शत्रुंजय तीर्थ की भावयात्रा
विवेचना के साथ कराई।
ता. 15 को वहाँ से विहार कर संघ दुर्ग पहुँचा। जहाँ श्री सुखसागर
प्रवचन मंडप में श्री भूरमलजी बरडिया ने जीवराशि क्षमापना की। पूज्यश्री ने
पद्मावती आलोयणा सुनाने के साथ उसकी विवेचना कर जीवराशि क्षमापना का रहस्य समझाया।
ता. 16 नवम्बर को संघ भिलाई-3 पहुँचा जहाँ भिलाई संघ
की ओर से भव्य स्वागत किया गया। भिलाई संघ की ओर से संघपति परिवार का बहुमान किया
गया।
ता. 17 नवम्बर को संघ कैवल्यधाम पहुँचा। ता. 18 को संघपति मालारोपण का विधान किया गया। संघपति श्री
भूरमलजी आदि पूरे परिवार को विधि विधान के साथ संघपति पद प्रदान करते हुए तीर्थमाला
धारण करवाई गई। कैवल्यधाम ट्रस्ट, जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ
दुर्ग, अखिल भारतीय श्री
खरतरगच्छ युवा परिषद् दुर्ग शाखा की ओर से बहुमान किया गया। संघपति परिवार द्वारा
समस्त यात्रियों का, कार्यकर्त्ताओं का
भावभीना अभिनंदन किया गया।
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