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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

मुमुक्षु शुभम् कुमार लूंकड की दीक्षा 18 फरवरी को

इन्दौर 28 अक्टूबर। जोधपुर निवासी श्रीमान् मोतीलालजी सौ. उमादेवी के सुपुत्र परम वैरागी मुमुक्षु श्री शुभम्कुमार लूंकड की भागवती दीक्षा उज्जैन नगर में अवन्ति पाश्र्वनाथ तीर्थ की प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर 18 फरवरी 2019 को संपन्न होगी।
पूज्यश्री के सूरिमंत्र की तीसरी पीठिका साधना समारोह के महामांगलिक अवसर पर इस शुभ मुहूर्त्त की घोषणा की गई।
मुमुक्षु शुभम् लूंकड का पूरा परिवार दीक्षा का शुभ मुहूर्त्त प्राप्त करने के लिये इन्दौर पूज्यश्री की सेवा में पहुँचा। श्रावक प्रवर श्री मोतीलालजी लूंकड ने कहा- शुभम् की तीव्र भावना को देखते हुए इसे चारित्र ग्रहण की अनुमति दी है। आपश्री इसकी दीक्षा का मुहूर्त्त प्रदान करें।

शुभम् की बहिन सौ. श्रीमती शिल्पा ने शुभम् के बचपन की घटनाओं का उल्लेख किया, सभी की आंखों से अश्रु बहने लगे। शुभम् के पिताजी श्री मोतीलालजी लुंकड ने अपने लाडले पुत्र के वैराग्य-भावों की कसौटी पर खरा उतरने की कहानी सुनाते हुए पूज्य खरतरगच्छाधिपतिश्री से मुहूर्त्त प्रदान करने का निवेदन किया।
मुमुक्षु शुभम् लूंकड के भाषण ने सभी को प्रभावित किया। उसने अपने उपकारी पूजनीया गुरुवर्या गणिनी प्रवरा श्री सूर्यप्रभाश्रीजी म. सा. पू. मासी म.सा. श्री हर्षप्रज्ञाश्रीजी म. आदि के उपकारों का विस्तार से वर्णन किया। उसने अपने माता-पिता के उपकारों का वर्णन करते हुए कई घटनाऐं सुनाई। सभी की आंखों से बहते आंसु चारित्र भावों की अनुमोदना कर रहे थे।
उसने कहा- आज मेरे आनंद का छोर नहीं है। जिस मार्ग पर चलने के लिए वषो± से लालायित था, जिसके लिए अनेक संकल्प लिए वे आज सफल और सार्थक हो रहे है। मैं एक लूंकड परिवार से अलग हो रहा हूँ, और दूसरे लूंकड परिवार का हिस्सा बनने जा रहा हूँ।
परिवार को शुभ मुहूर्त्त प्रदान करते हुए पूज्यश्री ने कहा- 20 वर्ष की उम्र में परिपक्व उम्र में चारित्र लेना, इससे बडा कोई चमत्कार नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा- माता-पिता का यह उपकार है कि उन्होंने जीवन दिया, संस्कार दिये और चारित्र की अनुमति दी।
मुहूर्त्त ग्रहण करते ही शुभम् नृत्य करने लगा, मानो उसके हाथ में रजोहरण आ गया है। दीक्षा मुहूर्त्त घोषणा से समारोह की महिमा में चार चांद लग गये।
इस अवसर पर मुमुक्षु मंडल की ओर से मुमुक्षु अमित बाफना ने दीक्षाथÊ शुभम् को बधाई दी।
श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ इन्दौर एवं साधना के लाभार्थी श्री विजयजी मेहता परिवार की ओर से दीक्षाथÊ शुभम् एवं उनके परिवार का अभिनंदन किया गया।

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