महावीर को नमन करें हम।
ज्ञान रोशनी दूर करें भ्रम।।
दीपावली की घड़ियां आई।
भीतर आनंद की लहरें छाई।
बन्द करो ईष्या की खाई।
प्रेम धार बहे मिटे गम।
महावीर को नमन करें हम।।
पावापुरी पुर आनन्द छाया।
वीर वाणी सिन्धु लहराया।
भविजन गण ने उत्सव पाया।
बरसी वाणी अमृत रस सम।
महावीर को नमन करें हम।।
वीर प्रभु की वाणी बहती।
जन मन गावे कृपाकर महती।
धन्य बनी पावा की धरती।
सब बोले ये दिन हैं अनुपम।
महावीर को नमन करें हम।।
अपने दीये स्वयं बनो सब।
दिखलाता अंधेरा पथ कब!
संयम को आराधे हम तब।
आत्मा ही है ज्ञान का उद्गम।
महावीर को नमन करें हम।।
मत उलझो दुनिया में बाहर।
वह है राख लगी ज्यों साकर।
धन्य बनो संयम को पाकर।
बोलो गाओ संयम संयम।
महावीर को नमन करें हम।।
दीपावली की पावन महिमा।
खोजो खुद को पाओ गरिमा।
साकर बनाओ प्रेम की प्रतिमा।
दीप रश्मियां नाश करे तम।
महावीर को नमन करें हम।।
अखण्ड देशना धार बहाई।
मोक्ष गमन की घड़ियां आई।
दूर करी कर्मों की कांई।
पधारे महाधीर मोक्षपुरम्।
महावीर को नमन करें हम।।
हे प्रभो अब अर्ज हमारी।
सुनलो महावीर दुनिया सारी।
भटक रही राहें अंधियारी।
मणिप्रभ मुनि बरसो सूरज सम।
महावीर को नमन करें हम।।
महावीर को नमन करें हम
-मुनि मणिप्रभसागर (वर्तमान आचार्य)
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