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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

तमिलनाडु के प्रसिद्ध श्री ईरोड नगर में वलयकारा स्ट्रीट में श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिन मंदिर एवं श्री जिनकुशलसूरि दादावाडी का निर्माण होने जा रहा है। इस जिनमंदिर दादावाडी की अंजनशलाका ता. 21 जनवरी 2015 को माघ शुक्ल प्रतिपदा बुधवार को पूज्यश्री की पावन निश्रा में संपन्न होगी। परमात्मा श्री मुनिसुव्रतस्वामी और दादा गुरुदेव आदि की दिव्य मूतियों की भव्य शोभायात्रा के साथ पूज्यश्री का नगर प्रवेश 19 जनवरी को होगा। ता. 20 को अंजनशलाका व ता. 21 को प्रतिष्ठा का विधान संपन्न होगा

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ईरोड में जिनमंदिर एवं दादावाडी का निर्माण सादर आमंत्रण इस मंदिर एवं दादावाडी का संपूर्ण निर्माण पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन प्रेरणा से शासन रत्न श्री मनोजकुमारज हरण के मार्गदर्शन में मूल लोहावट निवासी जेठिया ग्रुप के श्री जवाहरलालजी प्रदीपकुमारजीशरदकुमारजी पारख परिवार लोहावट-राजीम-ईरोड वालों की ओर से करवाया जा रहा है। पूज्य गुरुदेवश्री के दक्षिण प्रदेश के प्रवास को ख्याल में रखते हुए जिन मंदिर दादावाडी का निर्माण शीघ्र गति से करवाया जा रहा है। इस जिनमंदिर दादावाडी की अंजनशलाका ता. 21 जनवरी 2015 को माघ शुक्ल प्रतिपदा बुधवार को पूज्यश्री की पावन निश्रा में संपन्न होगी। परमात्मा श्री मुनिसुव्रतस्वामी और दादा गुरुदेव आदि की दिव्य मूतियों की भव्य शोभायात्रा के साथ पूज्यश्री का नगर प्रवेश 19 जनवरी को होगा। ता. 20 को अंजनशलाका व ता. 21 को प्रतिष्ठा का विधान संपन्न होगा

चैन्नई में दो दीक्षा 25 अप्रेल को पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. की निश्रा एवं पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका श्री सुलोचनाश्रीजी म. आदि ठाणा की सानिध्य में मुमुक्षु श्रीमती जयादेवी सेठिया एवं उनके पुत्र मुमुक्षु श्री संयमकुमार सेठिया (उम्र-11) वर्ष का भागवती दीक्षा महोत्सव दि. 25 अप्रेल 2015 को चैन्नई के कोण्डीतोप में होगा। दीक्षार्थी अमर रहो... जहाज मंदिर परिवार की ओर से हार्दिक अभिनंदन

पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . की निश्रा एवं पूजनीया पाश्र्वमणि तीर्थ प्रेरिका श्री सुलोचनाश्रीजी म. आदि ठाणा की सानिध्य में मुमुक्षु श्रीमती जयादेवी सेठिया एवं उनके पुत्र मुमुक्षु श्री संयमकुमार सेठिया (उम्र-11) वर्ष का भागवती दीक्षा महोत्सव दि. 25 अप्रेल 2015 को चैन्नई के कोण्डीतोप में होगा। दीक्षार्थी अमर रहो... जहाज मंदिर परिवार की ओर से हार्दिक अभिनंदन

इचलकरंजी में दीक्षार्थी बहिनों का अभिनंदन

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पूज्य गूरूदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. आदि ठाणा की शुभ निश्रा में दि. 26-10-2014 को इचलकरंजी में वैराग्यवती सुश्री प्रेमा मांगीलाल जीरावला बेंगलोर, वैराग्यवती सुश्री शिल्पा मीठालाल बालर बल्लारी, सुश्री वैराग्यवती सुश्री सुमित्रा मांगीलाल जीरावला-बैंगलोर, वैराग्यवती सुश्री ममता तेजराज बागरेचा-गंगावती, वैराग्यवती सुश्री शिल्पा जसराज ओस्तवाल-गदग, वैराग्यवती सुश्री प्रिन्सी बाबुलाल कवाड-हुबली एवं वैराग्यवती सुश्री दर्शना वीरचंद गोलेच्छा  का स्वागत सकल जैन समाज की ओर से आयोजन किया गया है। अभिनंदन के पश्चात वरघोडा निकाला गया। इस अवसर पर सकल जैन समाज ने दीक्षार्थी बहिनों की उज्जवल भविष्य की कामना की।

इचलकरंजी से श्री कुंभोजगिरि तीर्थ के छह री पालित पद यात्रा संघ का आयोजन

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श्री मणिधा री जिनचन्द्रसूरि जैन श्वेताम्बर संघ के तत्वाव धा न में पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म. की पावन निश्रा में इचलकरंजी से श्री कुंभोजगिरि तीर्थ के छह री पालित पद यात्रा संघ का आयोजन किया गया है। इस चार दिवसीय संघ का आयोजन  गढ़ सिवाना निवासी श्रीमती पिस्तादेवी छगनलालजी छाजेड परिवार द्वारा किया गया है। कार्यक्रम के अनुसार छहरी पालित संघ से पहले त्रिदिवसीय जीवित महोत्सव का आयोजन किया गया है। जिसका प्रारंभ 6 नवम्बर 2014 कार्तिक पूर्णिमा से होगा। ता. 7 को श्री सिद्धचक्र महापूजन का आयोजन होगा। रात्रि में मातृ पितृ वंदना का भाव प्रवण समारोह होगा। ता. 8 को जीवित महोत्सव क्षमायाचना समारोह होगा।

मंगल संदेश

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Mangal Sandesh Mantra Jaap

Song Gautam swami Stuti

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वंदना गुरूदेव

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वंदना गुरूदेव 

Jahaj Mandir Magazine October 2014 in pdf format

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UPADHAN TAP Q ????

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UPADHAAN

कोयम्बतूर में अंजनशलाका प्रतिष्ठा 2 फरवरी को

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पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . आदि साधु साध्वी मंडल की पावन निश्रा में कोयम्बतूर नगर में नवनिर्मित श्री स्तंभन पाश्र्वनाथ जिन मंदिर एवं श्री जिनदत्तसूरि दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा माघ सुदि 14 ता . 2 फरवरी 2015 को संपन्न होगी। इस मंदिर दादावाडी में परमात्मा स्तंभन पाश्र्वनाथ परमात्मा की 51 इंच की प्रतिमा के अलावा दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरि की 41 इंची तथा नाकोडा भैरव , पद्मावती , अंबिकादेवी एवं सरस्वती देवी की 31 इंची प्रतिमाऐं बिराजमान होगी।

CHOHTAN ME UPDHAAN TAP KA AAYOJAN

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कन्याकुमारी में वर्धमान स्वामी मंदिर दादावाड़ी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा 27 फरवरी को...... समारोह का प्रारंभ 24 फरवरी से होगा। ता. 26 फरवरी को शोभायात्रा का आयोजन होगा। प्रतिष्ठा के इस पावन अवसर पर पूरे भारत से भक्तजन पधारेंगे। सादर आमंत्रण

देश के दक्षिणी किनारे का सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल कन्याकुमारी में लम्बे समय से जिन मंदिर बनाने की चर्चा चल रही थी। यहाँ भ्रमण आदि के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 6 लाख से अधिक जैन बंधुओं का आगमन होता है। परन्तु जैन मंदिर नहीं होने के कारण वे परमात्म दर्शन से वंचित रहते थे। इस कारण यहाँ जिन मंदिर का निर्माण अत्यन्त जरूरी था। इस कार्य को हाथ में लिया चेन्नई निवासी श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने ! वहाँ भूखण्ड प्राप्त करने के प्रयत्न करना प्रारंभ किया। तभी पता चला कि वहाँ एक भूखण्ड मदुराई निवासी श्री बगदावरमलजी के पास उपलब्ध है। उनसे संपर्क किया गया। उन्होंने भी मदुराई संघ के साथ मिल कर जिन मंदिर आदि निर्माण के लक्ष्य से ही यह भूखण्ड कुछ वर्षों पहले खरीदा था। उन्होंने यह विशाल भूखण्ड श्री जैन तीर्थ संस्थान रामदेवरा ट्रस्ट को सुपुर्द कर दिया। संस्थान के अध्यक्ष श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने कडी मेहनत करके वहाँ जिनमंदिर निर्माण करने की सरकारी अनुमति प्राप्त...

चेन्नई नगर की धन्य धरा पर श्री धर्मनाथ जिन मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. आदि साधु साध्वी मंडल की पावन निश्रा में ता. 26 अप्रेल 2015 को अत्यन्त उल्लास के साथ संपन्न होगी।

चेन्नई में अंजनशलाका प्रतिष्ठा 26 अप्रेल को चेन्नई में श्री धर्मनाथ परमात्मा से सुशोभित का यह मंदिर सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले मंदिरों में गिना जाता है। इसका निर्माण पूजनीया प्रवर्तिनी श्री विचक्षणश्रीजी म . द्वारा स्थापित श्री जिनदत्तसूरि मंडल द्वारा करवाया गया था। अभी उस मंदिर का पूरा जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है। मूलनायक परमात्मा का उत्थापन नहीं करवाया गया है। नीचे अभिनव गर्भगृह का निर्माण किया गया है जिसमें परमात्मा धर्मनाथ प्रभु , दादा गुरुदेव आदि की प्रतिमाऐं बिराजमान की जायेगी। प्रतिष्ठा की विनंती व मुहूर्त्त प्राप्त करने के लिये श्री जिनदत्तसूरि मंडल इचलकरंजी में बिराजमान पूज्यश्री की सेवा में पहुँचा। और अंजनशलाका प्रतिष्ठा चातुर्मास आदि की भावभरी विनंती की। अंजनशलाका प्रतिष्ठा की विनंती स्वीकार करते हुए वैशाख सुदि 8 ता . 26 अप्रेल 2015 का शुभ मुहूर्त्त प्रदान किया। सकल संघ में आनंद छा गया।

इचलकरंजी में पंचाह्निका महोत्सव .,,,.,,....,.चौथे दादा गुरुदेव को याद किया.,.,.,.,.,.,.इचलकरंजी में 45 आगम वांचना

पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म . सा . के शिष्य पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म . सा . पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म . सा . एवं पूजनीया गुरुवर्या बहिन म . डाँ . श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म . सा . की शिष्या पूजनीया साध्वी डाँ . श्री नीलांजनाश्रीजी म . पू . साध्वी श्री विभांजनाश्रीजी म . पू . साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म . पू . साध्वी श्री आज्ञांजनाश्रीजी म 0. ण् की परम पावन निश्रा में चातुर्मास में हुई मासक्षमण , सिद्धि तप , वीशस्थानक तप आदि विविध तपाराधना के उपलक्ष्य में पंचाि É का महोत्सव का आयोजन किया गया।

कहानी... सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है!

एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ?? यहाँ न... तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था।

जीवन में कई बार हम गिरते हैं, हारते हैं, हमारे लिए हुए निर्णय हमें मिटटी में मिला देते हैं. हमें ऐसा लगने लगता है कि हमारी कोई कीमत नहीं है. लेकिन आपके साथ चाहे जो हुआ हो या भविष्य में जो हो जाए , आपका मूल्य कम नहीं होता. आप स्पेशल हैं, इस बात को कभी मत भूलिए.

सबसे कीमती चीज एक जाने-माने स्पीकर ने हाथ में पांच सौ का नोट लहराते हुए अपनी सेमीनार शुरू की. हाल में बैठे सैकड़ों लोगों से उसने पूछा ,” ये पांच सौ का नोट कौन लेना चाहता है?” हाथ उठना शुरू हो गए. फिर उसने कहा ,” मैं इस नोट को आपमें से किसी एक को दूंगा पर  उससे पहले मुझे ये कर लेने दीजिये .” और उसने नोट को अपनी मुट्ठी में चिमोड़ना शुरू कर दिया. और  फिर उसने पूछा,” कौन है जो अब भी यह नोट लेना चाहता है?” अभी भी लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए.

अवसर की पहचान... आपने कई बार दूसरो को ये कहते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि ‘हमे अवसर ही नही मिला’ लेकिन ये अपनी जिम्मेदारी से भागने और अपनी गलती को छुपाने का बस एक बहाना है ।

Don’t miss an opportunity. एक बार एक ग्राहक चित्रो की दुकान पर गया । उसने वहाँ पर अजीब से चित्र देखे । पहले चित्र मे चेहरा पूरी तरह बालो से ढँका हुआ था और पैरोँ मे पंख थे ।एक दूसरे चित्र मे सिर पीछे ...

दादा जिनचन्द्रसूरि जिनशासन के उज्ज्वल नक्षत्र हैं -उपाध्याय मणिप्रभसागर

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इचलकरंजी ता. 10 सितम्बर 2014 श्री मणिधारी जिनचन्द्रसूरि जैन श्वेताम्बर संघ के तत्वावधान में पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागर ने श्री सुखसागर प्रवचन मंडप में चतुर्थ दादा गुरुदेव श्री जिनचन्द्रसूरि की 401वीं पुण्य तिथि के अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा- जिन शासन के इतिहास में केवल चार दादा गुरुदेव हुए हैं। जिन्होंने अपने संयम, त्याग, तप और आराधना साधना के बल पर जिन शासन की महती प्रभावना की। उनमें प्रथम दादा गुरुदेव श्री जिनदत्तसूरि इतिहास के उज्ज्वल नक्षत्र हैं, जिन्होंने हजारों गोत्रों की स्थापना करके जिन शासन को पूर्ण रूप से समृद्ध बनाया। उनके महाचमत्कारी चरण अहमदाबाद में दादा साहेब ना पगला में बिराजमान है। उनके चरणों से ही वह पूरा क्षेत्र दादा साहेब ना पगला के नाम से सुप्रसिद्ध हैं। जहाँ हर सोमवार को हजारों श्रद्धालु दर्शन करके अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। उनकी पावन परम्परा में चौथे दादा गुरुदेव हुए। उनका समय सोलहवीं व सतरहवीं शताब्दी का संधिकाल था। मात्र नौ वर्ष की उम्र में दीक्षा ग्रहण करके मात्र सतरह वर्ष की उम्र में आचार्य बन कर संपूर्ण खरतरगच्छ के अधिपति बने...

क्रियोद्धारक श्री जिनचन्द्रसूरि गुरुदेव का मिताक्षरी परिचय... प्रस्तुति- आर्य मेहुलप्रभसागरजी म.

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जन्म नाम- सुलतान कुमार गौत्रा- रीहड़ गौत्र माता- सौ. श्रिया देवी पिता- श्रेष्ठि श्रीवन्तजी शाह ओसवाल जन्म स्थान- खेतसर जोधपुर के पास, राज. जन्म तिथि- वि.सं. 1595, चैत्रा वदि 12 दीक्षा- वि.सं. 1604, भोपालगढ़-बडलु, राज., दादावाडी स्थल पर दीक्षित नाम- सुमतिधीर मुनि गुरू नाम- खरतरगच्छ नायक श्री जिनमाणिक्यसूरिजी म. आचार्य पद- वि.सं. 1612, भादवा सुदि 9 बीकानेर चातुर्मास- रांगडी चौक स्थित बडे उपाश्रय में सूरिमन्त्र प्रदाता- आचार्य श्री जिनगुणप्रभसूरिजी म. क्रियाद्धार- वि.सं. 1614, चैत्र वदि 7, बीकानेर छम्मासी तपाराधना- वि.सं. 1615, महेवा नगर में पौषधविधि प्रकरण टीका रचना- पाटण में वि.सं. 1616 पाटण में जयपताका- वि.स. 1617 कार्तिक सुदि 7 को अनेक आचार्य की उपस्थिति में खंभात प्रतिष्ठा- वि.स. 1618 बीकानेर प्रतिष्ठा- वि.सं. 1622, वैशाख सुदि 3 पट्टधर शिष्य दीक्षा- वि.सं. 1623, मिगसर वदि 5 पट्टधर शिष्य- मानसिंह, दीक्षित नाम- मुनि महिमराज, आचार्य नाम- श्री जिनसिंह सूरि

पूज्य आचार्य प्रवर चतुर्थ दादा गुरूदेव महान कि्रयोद्धारक श्री जिनचन्द्रसूरीश्वरजी म. को पावन पुण्यतिथि पर वंदनावली... आपकी कृपा हम पर बरसती रहे...

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bilada, dada gurudev