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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

42वां दीक्षा दिवस मनाया गया l आज का दिन मेरे लिये चिंतन का दिन है कि 41 वर्ष संयम के पूर्ण हुए हैं। 42वें वर्ष में प्रवेश हुआ है। संयम के लक्ष्य के प्रति मैं कितना आगे बढा!

पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. का 42वां दीक्षा दिवस नाशिक आडगांव स्थित कान्ति मणि नगर में ता. 19 जून 2014 को मनाया गया। इस उपलक्ष्य में विशाल सभा का आयोजन किया गया।
सभा को संबोध्ति करते हुए पूज्य गुरुदेवश्री ने फरमाया- आज मेरी मां, बहिन एवं मेरा दीक्षा दिवस है। हम तीनों की दीक्षा वि. सं. 2030 आषाढ वदि 7 ता. 23 जून 1973 को पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पालीताना में हुई थी। मेरी दीक्षा मेरी मां की कृपा से हुई।
मेरे पिताजी के असामयिक स्वर्गवास के बाद मेरी मां का मन इस असार संसार से उठ गया था। उसके मन में अपना यह अनमोल जीवन सार्थक करने का तीव्र भाव उमडा। मैं उस समय बहुत छोटा था, मेरी बहिन मुझसे साढे तीन साल छोटी! मैं संयम की मर्यादा और उसका अर्थ क्या समझ पाता! बस मेरे मन में एक ही बात थी कि मां ने कहा है कि दीक्षा लेनी है तो लेनी ही है। 
मैं अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे ऐसी मां मिली। मुझे सच्चा प्यार करने वाली मां मिली। जिसने मुझे संसार में नहीं भेज कर संयम की महिमा सिखाई। और ऐसी बहिन मिली। यदि बहिन साथ में दीक्षा नहीं लेती तो मेरी दीक्षा संभव नहीं होती। क्योंकि उसे छोडकर दीक्षा हो नहीं पाती।
मैं आज अपनी प्यारी मां के श्रीचरणों में वंदना करता हूँ। मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे चारित्र मिला... संयम मिला...। आज यह जो जाहोजलाली है... वंदनाऐं हैं, यह मेरी विद्वत्ता को नहीं है। विद्वत्ता तो और भी बहुत लोगों में होती है। ये वंदनाऐं चारित्र को है। मैं संयम की महिमा का चिंतन करता हूँ तो परमात्मा के प्रति अहोभाव से भर जाता हूँ।
पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. की अजस्र कृपा का ही परिणाम है कि मैं शासन सेवा के योग्य हो सका। मुझे अपने जीवन में श्री संघ का बहुत अपनत्व मिला, उसी अपनत्व के सहारे मैं गतिमान् हो रहा हूँ।
आज का दिन मेरे लिये चिंतन का दिन है कि 41 वर्ष संयम के पूर्ण हुए हैं। 42वें वर्ष में प्रवेश हुआ है। संयम के लक्ष्य के प्रति मैं कितना आगे बढा!
पूजनीया गुरुवर्या साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म. ने कहा- कुछ लोगों के पास व्यक्तित्व होता है, पर अस्तित्व नहीं। कुछ के पास अस्तित्व होता है, पर प्रभुत्व नहीं। कुछ के पास प्रभुत्व होता है, पर कृतित्व नहीं। कुछ के पास कृतित्व होता है, पर कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जिनके पास व्यक्तित्व, अस्तित्व, प्रभुत्व, कृतित्व, वक्तृत्व और नेतृत्व ये सारे गुण मौजूद होते हैं। हमारे पूज्य गुरुदेवश्री ऐसे ही विशिष्ट व्यक्तित्व है।
सभा का संचालन पूजनीया गुरुवर्या श्री विश्वज्योतिश्रीजी म.सा. ने भावप्रवण शेर और शायरी के साथ किया। उन्होंने फरमाया- आपका चुंबकीय व्यक्तित्व ऐसा अनूठा है कि जो व्यक्ति आपके श्रीचरणों में आता है, आप उसके हृदय में बिराजमान हो जाते हैं। छोटी उम्र में संयम लेकर आपने शासन प्रभावना का जो इतिहास बनाया है, वो बडे बडे आचार्य नहीं कर पाते हैं। आपने अभी तक 140 अंजनशलाकाऐं प्रतिष्ठाऐं कराई हैं। दीक्षा कराने का आपका ढंग अत्यन्त निराला है। आप वक्ता हैं। आपका प्रवचन आत्म-चिंतन की गहराईयों से परिपूर्ण होता है। आप लेखक हैं, कवि हैं। आपने कितनी ही पूजाओं की रसभरी रचना की है तो कितने ही भजन लिखे हैं। आपके गुणों का वर्णन करना संभव नहीं है।
पूजनीया साध्वी श्री जिनज्योतिश्रीजी म.सा. ने कहा- आज मेरे दीक्षा दाता गुरुदेवश्री का दीक्षा दिवस हैं। मुझे दीक्षा प्रदान कर आपने मुझ पर अनंत उपकार किया है। आज के दिन आपसे यही प्रार्थना है कि मुझे ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें कि मेरी संयम आराध्ना साध्ना अच्छी तरह से चलती रहे और मैं अपने जीवन में आगे बढ सकूं।
सौ. सविता नितिन कर्णावट ने कहा- आपश्री खरतरगच्छ के चमकते दिव्य सितारे हैं। आपकी समझाने की कला इतनी अनूठी है कि गहरी से गहरी बात सरलता से श्रोता के दिलोदिमाग में उतर जाती है।
डहाणंु से पधरे चन्द्र कुशल महिला मंडल के सौ. सुनीता बाफना ने कहा- पूज्यश्री यथानाम तथागुण हैं। उनका सांसारिक नाम मीठालाल था। आपका नाम मीठा, आपकी वाणी मीठी, आपकी मुद्रा मीठी, आपकी करनी मीठी है।
श्री ध्नंजय जैन ने गुरुवर महान् गीत प्रस्तुत किया। सौ. प्रीति महावीर जैन ने पूज्य गुरुदेवश्री का संक्षिप्त परिचय दिया। और यहाँ नाशिक पधर कर दादावाडी की प्रतिष्ठा का जो इतिहास बनाया है, उसके लिये कृतज्ञता अर्पित की।
दादावाडी के महामंत्री श्री रमेश नीमाणी ने कहा- मैंने आपके सबसे पहले दर्शन पूना में किये थे। उसके बाद तो दादावाडी के कारण कितनी ही बार पूज्यश्री का सानिध्य मिला। पूज्यश्री के मार्गदर्शन से ही दादावाडी का सपना साकार हुआ है।
दादावाडी के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखरजी सर्राफ ;कवाडद्ध ने कहा- नाशिक में आपकी कृपा से ही दादावाडी बनी.. और प्रतिष्ठा का आशातीत चमत्कारों से परिपूर्ण वातावरण बना, वह केवल और केवल आपकी कृपा का ही परिणाम है। आपका आशीर्वाद हम पर सदा सदा बरसता रहे।
इस अवसर पर पधरे मुमुक्षु कुमारी शिल्पा बालड एवं मुमुक्षु कुमारी कल्पना का संस्थान की ओर से अभिनंदन किया गया।

पूज्यश्री के दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में श्री नितिनजी सविताजी कर्णावट, नाशिक रोड वालों की ओर से गरीबों में वस्त्र वितरित किये गये।
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