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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

नाशिक आडगांव स्थित कान्ति मणि नगर में मूलनायक परमात्मा की दिव्य प्रतिमा

नाशिक की इस दादावाडी में मूलनायक के रूप में मुनिसुव्रतस्वामी भगवान को बिराजमान करने का निश्चय किया गया था। परमात्मा की प्रतिमा श्याम वर्ण की होनी चाहिये। श्याम वर्ण का पाषाण भेंसलाना का उपलब्ध्ा होता है। पर उसमें प्राय: सफेद बिन्दु निकल आते हैं। इसके लिये तय किया गया कि उत्तम कोटि का कसौटी तुल्य गहन श्याम वर्ण का दिव्य पाषाण बेल्जियम से मंगवाया जाये। इसके लिये हमने नगर निवासी श्री उत्तमचंदजी बरमेशा से संपर्क किया।

वे परमात्मा की भक्ति में बहुत रस लेते हैं। उन्होंने अनुभव किया कि परमात्मा की भक्ति का यह अनूठा अवसर मिला है। उन्होंने अपने संपर्कों से पाषाण मंगवाने की पूरी तैयारी कर ली। फरवरी में आर्डर दिया गया था। अप्रेल महिना पूरा होने का था। पर पाषाण भारत नहीं आ पाया था। कुछ समस्याऐं थी। कानूनी अडचनें थी। हमने प्रार्थना की, परमात्मन् आपको ही बिराजमान करना है... आपको ही बिराजमान होना है। आपको पध्ाारना ही होगा। और मई महिने के तीसरे सप्ताह में समाचार मिला कि पाषाण मुंबई आ गया है। उसके बाद मेहनत की चितलवाना निवासी श्री पारसमलजी मुथा ने!
परमात्मा का चमत्कार और उत्तमचंदजी व पारसमलजी का पुरूषार्थ! जून महिने की 4 तारीख को पाषाण जयपुर पहुँच गया। दिव्य दर्शन आर्ट के शिल्पकार कैलाशजी शर्मा ने मात्र चार दिन लिये! और चार दिनों में परमात्मा की दिव्य प्रतिमा का घडन कर लिया। वह शिल्पकार मूर्तिकार भी नहीं समझ पाया कि अमूमन महिने भर में तैयार होने वाली प्रतिमा चार दिनों में कैसे बन गई! यह महिमा परमात्मा की... दादा गुरुदेव की! और उस प्रतिमा का मंगल प्रवेश अन्य सभी प्रतिमाओं के साथ 11 जून 2014 को हो गया।
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