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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

BIKANER बीकानेर में सूरि मंत्र साधना महामांगलिक के साथ संपन्न

JINMANIPRABHSURI
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की सूरि मंत्र की द्वितीय पीठिका की साधना अत्यन्त आनंद व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई। पीठिका की आराधना ता. 23 सितम्बर से प्रारंभ हुई। पीठिका की साधना श्री धनराजजी ढड्ढा के निवास पर की गई। ता. 8 को पूज्यश्री पीठिका साधना से बाहर पधारे। पीठिका की पूर्णाहुति पर महामांगलिक का भव्य आयोजन हुआ।
इस महामांगलिक के अवसर पर पूरे भारत से बडी संख्या में श्रद्धालु उमड पडे। उज्जैन, इन्दौर, बिजयनगर, भीलवाडा, ब्यावर, बाडमेर, बालोतरा, सिणधरी, चितलवाना, सांचोर, पूना, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद, भिनाय, फतेहगढ, धनोप, देवलिया, जयपुर, जोधपुर, नागोर, नीमच, निम्बाहेडा, चित्तौड, उदयपुर, फलोदी, दिल्ली, कोलकाता आदि नगरों से बडी संख्या में लोगों का आगमन हुआ।
कार्यक्रम का प्रारंभ 9 बजे हुआ जो दोपहर ढाई बजे तक चला। इतना लम्बा कार्यक्रम होने पर भी सभी लोगों की संपूर्ण उपस्थिति पूरे समय तक रही।

इस अवसर पर राजगृही वीरायतन से उपाध्याय श्री यशाजी म. श्री शिलापीजी म. श्री संप्रज्ञाजी म. श्री रोहिणीजी म. का विशेष रूप से पदार्पण हुआ। समारोह की अध्यक्षता राजस्थान राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक श्री राजीवजी दासोत ने की। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध उद्योगपति फोर्स कंपनी के डायरेक्टर डॉ. श्री अभयजी फिरोदिया थे। वीरायतन का ट्रस्ट मंडल, बीकानेर महापौर श्री नारायणजी चौपडा, सुप्रसिद्ध उद्योगपति श्री अशोकजी कटारिया नासिक, नीमच नगरपालिका अध्यक्ष श्री पप्पुजी जैन, श्री बाबुलालजी छाजेड आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर पूज्य आचार्यश्री ने सूरिमंत्र की पांचों पीठिकाओं की व्याख्या की। साधना का रहस्य समझाते हुए मौन एवं एकाग्र जाप की महिमा समझाई। उन्होंने कहा- यह साधना आत्म कल्याण के साथ साथ श्री संघ की सर्वांगीण उन्नति के लक्ष्य से की जाती है। उन्होंने कहा- जीवन में समत्व की साधना अनिवार्य है। किसी की एक गलती पर आगबबूला होने की बजाय उसकी पूर्व की अन्य अच्छाईयों को याद करना चाहिये।
उन्होंने वीरायतन के संदर्भ में कहा- वीरायतन पूरे विश्व में शिक्षा व सेवा का जो अनूठा कार्य कर रहा है, उसकी जितनी अनुमोदना की जाय, कम है। पूरे विश्व में वीरायतन के आचार्य श्री चन्दनाजी और उनकी साध्वीजी ने हजारों लोगों को शाकाहारी बनाया है। उन्हें भगवान महावीर से परिचित कराया है। यह उनका बहुत बडा पुरूषार्थ है।
सभा का संचालन करते हुए पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. ने कहा- गुरु सूर्य है, हम सब सूरजमुखी फूल है। उनकी दिशा ही हमारी दिशा है। उनका आदेश ही हमारा जीवन है।
पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. ने अपने वक्तव्य में पूज्य गुरुदेव के प्रति समर्पण भाव अभिव्यक्त करते हुए गुरु-महिमा का वर्णन किया।
पू. साध्वी श्री प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. ने गुरुदेव के साथ हुए इस प्रथम चातुर्मास को अपने जीवन की अनूठी उपलब्धि  व परम सौभाग्य बताया।
उपाध्याय यशाजी ने कहा- जीवन में गुरु अनिवार्य है। गुरु भगवंत मौन होकर भी मुखर होते हैं और उनका बोलना भी मौन है। उन्होंने कहा- आचार्य श्री चन्दनाजी आज यहाँ पधारने वाले थे पर स्वास्थ्य की प्रतिकूलता वश वे नहीं आ पाये, पर भावों से वे यहीं पर हैं।
साध्वी श्री शिलापीजी ने वीरायतन के उपक्रमों पर प्रकाश डाला। भगवान महावीर की विचरण भूमि बिहार प्रान्त में भगवान महावीर को कोई नहीं जानता। पर अब वीरायतन के उपक्रम से हजारों हजारों लोग पुनः भगवान महावीर के संदेशों से परिचित हुए हैं। उन्होंने विदेशों में वीरायतन द्वारा चल रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी।
डॉ. अभयजी फिरोदिया ने चिंतन प्रस्तुत करते हुए भगवान् महावीर के सिद्धान्तों को बहुत ही गहराई से समझने की प्रेरणा दी। जैन, धर्म, श्रमण आदि शब्दों की गहराई से चर्चा की। अपने विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य में उन्होंने कहा- हम सभी को एक होकर भगवान महावीर के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना है और संपूर्ण विश्व तक पहुँचाना है। उन्होंने पूज्यश्री को साधना हेतु बधाई दी।
राजीवजी दासोत ने व्यावहारिक चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा- हमें पारम्परिक मूल्यों की सुरक्षा करते हुए आधुनिकता के साथ उसका कैसे समावेश करना है, यह चिंतन करना बहुत जरूरी है। उन्होंने पूज्यश्री के प्रति अपनी वंदनाएँ समर्पित करते हुए कहा- आपका आदेश मिला और मुझे इस विशिष्ट अवसर का लाभ मिला।
श्री खरतरगच्छ संघ के मंत्री श्री शांतिलालजी सुराणा ने पूज्यश्री की साधना को बीकानेर का सौभाग्य बताया। प्रारंभ में संगीत सम्राट् श्री मगनजी कोचर ने गुरु भक्ति गीतिका प्रस्तुत कर वातावरण को भक्ति के साथ उल्लासमय बना दिया।
पूज्यश्री की महामांगलिक से पूर्व गुरुपूजन किया गया। गुरुपूजन का लाभ बिजयनगर निवासी श्रीमती पारसकंवर उत्तमराजजी सिंघवी, पुत्र विनयराजजी योगेन्द्रजी सिंघवी परिवार ने लिया।

इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ बीकानेर द्वारा पधारे अतिथि गणों का बहुमान अभिनंदन किया गया। केयुप संदेश का विमोचन किया गया। पूज्यश्री ने विशिष्ट मंत्रोच्चारण-युक्त महामांगलिक पाठ सुनाया, जिसे श्रवण कर सभी ने परम धन्यता का अनुभव किया। अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद् बीकानेर शाखा ने व्यवस्थाओं का उत्तरदायित्व बहुत ही व्यवस्थित रूप से निभाया। अतिथिगणों की साधर्मिक भक्ति का लाभ गुरुभक्त परिवार ने लिया।

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