Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

BIKANER बीकानेर में प्रतिष्ठा संपन्न

BIKANER बीकानेर में प्रतिष्ठा संपन्न
बीकानेर नगर के सुप्रसिद्ध अतिप्राचीन श्री चिंतामणि आदिनाथ जिन मंदिर, श्रेष्ठिवर्य श्री भांडाशाह द्वारा निर्मित श्री सुमतिनाथ मंदिर, श्री वासुपूज्य मंदिर एवं श्री कुंथुनाथ मंदिर में प्रतिष्ठा महोत्सव पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. आदि मुनिमंडल एवं पूजनीया साध्वी डॉ. श्री प्रियश्रद्धांजनाश्रीजी म. आदि साध्वी मंडल के पावन सानिध्य में ता. 11 अक्टूबर 2017 बुधवार कार्तिक वदि 6 को आनंद व हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई।

इस प्रतिष्ठा महोत्सव में तपागच्छीय पूज्य पंन्यास श्री पुण्डरीकरत्नविजयजी म. आदि साधु साध्वी मंडल एवं पार्श्वचन्द्रगच्छीय श्री पुण्यचन्द्रविजयजी म. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
इस प्रतिष्ठा हेतु त्रिदिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया।
श्री कुंथुनाथ मंदिर में ध्वजदंड प्रतिष्ठित किया गया। इस प्रतिष्ठा का लाभ बीकानेर हाल कम्पिल निवासी श्री विजयकुमारजी पुखराजजी डागा परिवार ने लिया। श्री वासुपूज्य मंदिर में श्री चंद्रप्रभस्वामी परमात्मा की प्राचीन प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई।
श्री चिंतामणि आदिनाथ मंदिर में मूल गर्भगृह में श्री संभवनाथ एवं श्री नमिनाथ जिन बिम्ब की पुनः प्रतिष्ठा की गई। इसके साथ ही रंगमंडप में 7 जिन प्रतिमाऐं, एक दादा गुरुदेव की प्रतिमा एवं गुरुदेवों के चार चरण बिराजमान किये गये।
चिंतामणि आदिनाथ परिसर स्थित श्री पार्श्वनाथ जिन मंदिर में ध्वजदंड प्रतिष्ठित किया गया। इन प्रतिष्ठाओं के पश्चात् शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जो सुमतिनाथ जिन मंदिर पहुॅंची। वहॉं प्रथम एवं द्वितीय तल पर आठ जिन बिम्ब पुनः प्रतिष्ठित किये गये। शिखर पर पॉंच ध्वजदंड प्रतिष्ठित किये गये। मुख्य ध्वजा का लाभ श्री पुरखचंदजी दीपचंदजी नेमचंदजी शांतिलालजी अभयकुमारजी डागा परिवार ने लिया। विधि विधान हेतु शासन रत्न श्री मनोजकुमारजी हरण गोवा निवासी पधारे।

ता. 12 को द्वारोद्घाटन के साथ समारोह संपन्न हुआ।

jahaj mandir, maniprabh, mehulprabh, kushalvatika, JAHAJMANDIR, MEHUL PRABH, kushal vatika, mayankprabh, Pratikaman, Aaradhna, Yachna, Upvaas, Samayik, Navkar, Jap, Paryushan, MahaParv, jahajmandir, mehulprabh, maniprabh, mayankprabh, kushalvatika, gajmandir, kantisagar, harisagar, khartargacchha, jain dharma, jain, hindu, temple, jain temple, jain site, jain guru, jain sadhu, sadhu, sadhvi, guruji, tapasvi, aadinath, palitana, sammetshikhar, pawapuri, girnar, swetamber, shwetamber, JAHAJMANDIR, www.jahajmandir.com, www.jahajmandir.blogspot.in,

Comments

Popular posts from this blog

RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास

GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास

GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास