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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

JAY PALITANA ... JAI ADINATH ... JAY GURUDEV....

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UJJAIN AVANTI PARSWANATH JIRNODDHAR

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UJJAIN AVANTI PARSWANATH JIRNODDHAR .

DADA SHREE JINKUSHAL GURUDEV

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अपने घर की याद ही समझदारी है

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- उपाध्याय मणिप्रभसागर पालीताणा,  जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने आज श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में उपधान तप की आराधना के अंतर्गत प्रवचन फरमाते हुए कहा- अब हमें अपने घर की याद आने लगी है। मेरा कोई घर है, यह तो मैं लम्बे समय से जानता हूॅं। पर अभी तक पाया नहीं है। इसे पाने के लिये मैंने यात्रा तो बहुत की है। पर मिला अभी तक नहीं है।

लक्ष्य के अनुसार हो मन का निर्माण - उपाध्याय मणिप्रभसागर

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पालीताणा , 18 अक्टूबर ! जैन श्वे . खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . ने आज श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में उपधान तप की आराधना के अंतर्गत प्रवचन फरमाते हुए कहा - हमें मन के अनुसार जीवन का निर्माण नहीं करना है। बल्कि जीवन के लक्ष्य के अनुसार अपने मन का निर्माण करना है।

उपकारी को कभी न भूलो

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GURU MANIPRABH उपाध्याय मणिप्रभसागर पालीताणा जैन श्वे . खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूधर मणि श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में आज श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में श्री नवपदजी की ओली के आखिरी दिन प्रवचन फरमाते हुए कहा - जीवन में हर व्यक्ति के साथ दो घटनाऐं होती है।  

समभाव का बोध देता है- स्वाध्याय

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- उपाध्याय मणिप्रभसागर पालीताणा, 16 अक्टूबर! जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूधर मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में आज श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में श्री नवपदजी की ओली के सातवें दिन प्रवचन फरमाते हुए कहा- परमात्मा महावीर ने मोक्ष मार्ग का निरूपण करते हुए ज्ञान और कि्रया को हेतु बताया है। ज्ञान और कि्रया इन दोनों के संगम से ही मोक्ष होता है। परन्तु इसमें सर्वप्रथम ज्ञान को कहा है। ज्ञान के बिना न तो सम्यक् दर्शन पाया जा सकता है, न आचरण की विशुद्धि होती है।

Jain Religion is very oldest Religion

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Jain Religion is very oldest Religion

रोशनी देने वाला उपाध्याय - श्री मणिप्रभसागरजी म.

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ता . 13.10.13 -  जैन श्वे . खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूधर मणि श्री मणिप्रभसागरजी म . सा . की पावन निश्रा में आज श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में श्री नवपदजी की ओली के चौथे दिन प्रवचन फरमाते हुए कहा - आज चौथे दिन हमें स्वाध्याय दिवस मनाना है , क्योंकि चौथे दिन उपाध्याय पद की आराधना की जाती है। उपाध्याय ज्ञान की रोशनी देता है। ज्ञान के बिना यथार्थ सत्य का बोध नहीं होता। इसलिये ज्ञान को सर्वाधिक महत्व दिया गया है।

ANSWER by GURUDEV MANIPRABHSAGARJI MS on ACHARYA PAD

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ANSWER by GURUDEV MANIPRABHSAGARJI MS  on ACHARYA PAD

अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी -मणिप्रभसागर

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जैन श्वे - खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूधर मणि श्री मणिप्रभसागरजी म - सा -   ने आज श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा - अपनी सोच के प्रति जागरूक रहना एक अच्छे और साफसुथरे तथा प्रेम से भरे जीवन के लिये बहुत जरूरी होता है। सोच विचारों को जन्म देती है। विचार से हमारी दृष्टि बनती है। वही आचार के रूप में कि्रयान्वित होती है।  अधिकतर हम देखके विचारों को विकृत नहीं बनाते जितना हम सुनके बनाते हैं।  सुनना तो होता ही है --- पर क्या सुनना इसका निर्णय हमारे हाथ में होना चाहिये।

PUJYA UPADHYAY GURUDEV JI KO ACHARYA PAD GRAHAN KI VANANTI KARTE HUYE TEJRAJ JI GULECHA

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PUJYA UPADHYAY GURUDEV JI KO ACHARYA PAD GRAHAN KI VANANTI KARTE HUYE TEJRAJ JI GULECHA

प्रसन्नता ही भविष्य

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जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में आज प्रवचन फरमाते हुए कहा- कष्ट और दु:ख की परिभाषा समझने जैसी है। उपर उपर से दोनों का अर्थ एक-सा लगता है, पर गहराई से सोचने@समझने पर इसका रहस्य कुछ और ही पता लगता है। कष्टों में जीना अलग बात है और दु:ख में जीना अलग बात है। कष्ट जब हमारे मन को दु:खी करते हैं तो जीवन अशान्त हो जाता है। और कष्टों में भी जो व्यक्ति मुस्कुराता है, वे जीवन जीत जाते हैं।

भविष्य की सोच महत्वपूर्ण

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भविष्य की सोच महत्वपूर्ण जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में आज प्रवचन फरमाते हुए कहा- जीवन पुण्य और पाप का परिणाम है। पूर्व पर्याय {पूर्व जन्म} का पुरूषार्थ हमारे वर्तमान का अच्छापन या बुरापन तय करता है।

बिना जानकारी के जीवन का निर्माण नहीं होता!

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जैन श्वे. खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूध्ार मणि श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने श्री जिन हरि विहार ध्ार्मशाला में आज प्रवचन फरमाते हुए कहा- हम क्या जानते हैं? यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है! जितना महत्वपूर्ण यह है कि हम क्या समझते हैं? क्योंकि जानना बुद्धि का परिणाम है... समझना आचार का परिणाम!

A REAL VIDEO OF AJMER DADAWADI, FIRST DADA GURUDEV SHREE JINDUTTSURIJI MS KI SAMADHI BHOOMI AJMER (RAJ.) INDIA

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A REAL VIDEO OF AJMER DADAWADI,  FIRST DADA GURUDEV SHREE  JINDUTTSURIJI MS KI SAMADHI BHOOMI AJMER (RAJ.) INDIA

अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी -मणिप्रभसागर

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अपने कानों पर पहरेदारी बहुत जरूरी - मणिप्रभसागर         जैन श्वे -   खरतरगच्छ संघ के उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरूदेव मरूधर मणि श्री मणिप्रभसागरजी म - सा -   ने आज श्री जिन हरि विहार धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा - अपनी सोच के प्रति जागरूक रहना एक अच्छे और साफसुथरे तथा प्रेम से भरे जीवन के लिये बहुत जरूरी होता है। सोच विचारों को जन्म देती है। विचार से हमारी दृष्टि बनती है। वही आचार के रूप में कि्रयान्वित होती है। अधिकतर हम देखके विचारों को विकृत नहीं बनाते जितना हम सुनके बनाते हैं। सुनना तो होता ही है --- पर क्या सुनना इसका निर्णय हमारे हाथ में होना चाहिये। हमारा हृदय हर बात सुनने का आम रास्ता नहीं है। क्योंकि जो सुनते हैं --- जैसा सुनते हैं --- वह धीरे धीरे हमारा आग्रह बन जाता है। किसी व्यक्ति के बारे में कुछ सुना है। सच झूठ का पता नहीं है। तब हम उसके प्रति आग्रही बन ज...