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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

पालीताणा में चार मुमुक्षुओं की दीक्षा संपन्न


पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा में आज चार वैरागी मुमुक्षुओं बाडमेर निवासी 42 वर्षीय श्री गौतमचंदजी बोथरा, उनकी धर्मपत्नी 36 वर्षीय श्रीमती सौ. उषादेवी, उनके सुपुत्र 17 वर्षीय भरतकुमार एवं 13 वर्षीय आकाश कुमार बोथरा की भागवती दीक्षा आज अत्यन्त आनन्द व उल्लास के साथ संपन्न हुई।
अंतिम विदाई व विजय तिलक करते समय पूरे परिवार के साथ उपस्थित जनता की आँखें आंसुओं से भीग गई। दीक्षा विधि कराते हुए पूज्यश्री ने संयम का महत्व समझाया। उन्होंने कहा- यह इस युग का चमत्कार ही समझना चाहिये कि टेलीविजन और मोबाइल जैसे संसाधनों के युग में बोथरा परिवार संसार का त्याग कर संयम ग्रहण करने जा रहा है। संसार का त्याग करना आसान नहीं है।  वही व्यक्ति संयम धारण कर पाता है, जिसके अन्तर में आत्म-रूचि पैदा हो गई हो। जिसे अपने भविष्य की चिंता हो। सद्गति की कामना हो।
उन्होंने कहा- चारित्र ग्रहण किये बिना मोक्ष नहीं हो सकता। आज का दिन चारित्र की अनुमोदना का दिन है। उन्होंने देववंदन, प्रत्याख्यान, रजोहरण अर्पण आदि विधि विधान कराने के बाद तीनों मुनियों को क्रमश: मुनि समयप्रज्ञसागर, मुनि ऋजुप्रज्ञसागर, मुनि आशुप्रज्ञसागर नाम दिये। उन्हें उपाध्याय मणिप्रभसागरजी का शिष्य घोषित किया गया। तथा उषादेवी को बहिन म. डाँ. विद्युत्प्रभाश्रीजी की शिष्या घोषित करते हुए उन्हें साध्वी आज्ञारूचिश्री नाम प्रदान किया। दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व जब मुमुक्षु गौतम, उषादेवी, भरत व आकाश ने जनता को संबोधित करते हुए संयम का मूल्य समझाया व सभी से आशीर्वाद की कामना की तो सभी की आँखें बरस पडी। उन्होंने दीक्षा ग्रहण करने से पूर्व अपनी उपकारी मां, पिता, भाई के चरण स्पर्श किये। उषादेवी ने कहा- मैंने अपने पति का हाथ थाम कर संसार में प्रवेश किया था। आज वे हाथ मैं गुरुदेवश्री के कर कमलों में समर्पित कर रही हूँ।
जब नूतन दीक्षित मुनियों व साध्वीजी के श्रीमुख से पहला धर्मलाभ श्रवण किया तो लोगों ने जय कारे की दिव्य ध्वनि के साथ अपने आनन्द को व्यक्त किया।
दीक्षा अवसर पर पूज्य आचार्य श्री राजयशसूरिजी म., पूज्य आचार्य श्री कीर्तिसेनसूरिजी म., पू. कुशल मुनिजी म. पूज्य प्रियंकरसागरजी म. आदि विशाल संख्या में साधु साध्वी भगवंत पधारे थे। इस दीक्षा महोत्सव को निहारने के लिये जनता उमड पडी थी। विशाल पाण्डाल भी छोटा पड गया।
इससे पूर्व ता. 19.11.2013 को चार वैरागी मुमुक्षुओं के वर्षीदान का भव्य वरघोडा आयोजित किया गया। मूलत: बाडमेर निवासी इस बोथरा परिवार ने आज जी भर दोनों हाथों से सोना, चांदी, रूपये, वस्त्र आदि सामग्री का वर्षीदान दिया।
इस शोभायात्रा का प्रारंभ श्री जिन हरि विहार से हुआ जो मुख्य मार्गों से होती हुई, तलेटी र्द’ान कर कस्तूर धाम स्थित सुखसागर समव’ारण में पहुँची, जहाँ पूज्यश्री का प्रवचन हुआ। वरघोडे में सम्मिलित होने हेतु बाडमेर, अहमदाबाद, बेंगलोर, मोकलसर, सूरत, मुंबई आदि शहरों से बडी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।    एक ही परिवार की चार दीक्षाओं का आयोजन अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना है। यह पूरा परिवार पिछले छह वर्षों से संयम व त्याग के रंग में रंगा हुआ है। छह साल पहले पूज्य गुरुदेव उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.सा. का चातुर्मास हैदराबाद में हुआ था। तब यह परिवार पूज्यश्री के संपर्क में आया था। तब इनके हृदय में संसार के त्याग का भाव प्रकट हुआ था।
      आयोजक परिवार श्रीमती सुखीदेवी भीमराजजी छाजेड परिवार एवं श्री जिन हरि विहार की ओर से बोथरा परिवार का बहुमान किया गया। तथा हजारों हजारों लोगों ने नम आँखों से विदाई दी।




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