Featured Post

Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

Image
पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

आर्य मेहुलप्रभसागरजी के जन्म दिवस पर हुए कई कार्यक्रम


mehulprabh
आर्य मेहुलप्रभसागरजी के जन्म दिवस पर हुए कई कार्यक्रम

बड़ा उपासरा में शांति स्नात्र पूजा का हुआ आयोजन
जैन भवन में हुआ सामूहिक गुरु इकतीसा पाठ का आयोजन
भादरिया गोशाला में हुआ जीवदया के कार्यक्रम का आयोजन
जैसलमेर, 22 सितम्बर। जैन ट्रस्ट जैसलमेर एवं सकल जैन समाज के तत्वावधान में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य देवेश श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म. सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा 2 का चातुर्मास स्वर्णनगरी में आराधना पूर्वक चल रहा है। चातुर्मास के मध्य आर्य मेहुलप्रभसागरजी म. सा. के जन्मदिवस के उपलक्ष में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। 
अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद शाखा जैसलमेर एवं खरतरगच्छ पार्श्व महिला परिषद जैसलमेर के तत्वाधान में प्रातः 9 बजे भगवान गोड़ी पार्श्वनाथजी का बड़ा उपासरा में भव्य भजनों के माध्यम से सामूहिक स्नात्र पूजा का भव्य आयोजन किया गया तत्पश्चात नवकार जाप एवं केशर पूजा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन एवं प्रभावना का लाभ श्री भगवानदासजी जिंदानी परिवार ने लिया।
साथ ही सिटीपार्क के पास बाड़मेर रोड पर स्थित भादरिया गोशाला में जीवदया का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
रात्रि 9 बजे स्थानीय जैन भवन में सामूहिक दादागुरुदेव इकतीसा पाठ का आयोजन उल्लास पूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। जिसका लाभ श्री भगवानदासजी जिंदाणी परिवार ने लिया। 
-तरुण जिंदाणी, जैसलमेर

Comments

Popular posts from this blog

RANKA VANKA SETH SETHIYA रांका/वांका/सेठ/सेठिया/काला/गोरा/दक गोत्र का इतिहास

GADVANI BHADGATIYA BADGATYA GOTRA HISTORY गडवाणी व भडगतिया गोत्र का इतिहास

GANG PALAVAT DUDHERIYA GIDIYA MOHIVAL VIRAVAT GOTRA HISTORY गांग, पालावत, दुधेरिया, गिडिया, मोहिवाल, टोडरवाल, वीरावत आदि गोत्रें का इतिहास