युवा रत्न श्री कैलाशजी संकलेचा की विदाई
चैन्नई 7 अक्टुंबर। जिनशासन का सच्चा सेवक, युवा सितारा, सेवाभावी सुश्रावकवर्य श्री कैलाश संकलेचा सुपुत्र श्री भंवरलालजी संकलेचा (पादरू वाले) का नवकार मंत्र श्रवण करते हुए निधन हो गया। आपके निधन के समाचार मिलते ही जैन समाज में शोक की लहर दौड़ पड़ी। आपका अंतिम संस्कार चैन्नई में किया गया।
धर्म और संघ की सेवा के पथ पर सदैव अग्रसर श्री संकलेचा की सेवा अनेक संस्थाओं में निरंतर बनी रही। श्री शीतलनाथ भगवान एवं जिनकुशलसूरि दादावाडी ट्रस्ट पादरु के अध्यक्ष, श्री जिनकांतिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट जहाज मंदिर मांडवला के मंत्री, जीरावला जिनकुशलसूरि दादावाड़ी ट्रस्ट के निर्माण संयोजक, श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढी व प्रतिनिधि महासभा के ट्रस्टी सहित अनेक संस्थाओं से गहरे जुड़े हुए थे।
दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरिजी के भक्त ऐसे श्री कैलासजी पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरिजी म-सा- के प्रति अटूट आस्थावान थे। आपने अनेकों स्थानों पर निर्माण कार्यों में आगेवानी लेकर देव-गुरु तत्त्व की भक्ति के साथ जिनशासन की महती प्रभावना की है।
पिताश्री भंवरलालजी द्वारा प्रदत्त धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत श्री कैलासजी साधर्मिक भक्ति एवं जीवदया के कार्यों में गहरी रुचि रखते थे।
श्री कैलाश संकलेचा के आकस्मिक निधन से न केवल खरतरगच्छ बल्कि सम्पूर्ण जिनशासन की अपूरणीय क्षति हुई है। जहाज मंदिर परिवार की ओर से भावभरी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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