पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य
भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति
आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म. पूज्य
मुनि श्रीमनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी
म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य
मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. आदि मुनि मंडल
ठाणा 8 एवं पूजनीया प्रवर्तिनी श्री शशिप्रभाश्रीजी म. पू. दिव्यदर्शनाश्रीजी म. आदि
ठाणा 6, पूजनीया साध्वी श्री कल्पलताश्रीजी म. पू. अमितयशाश्रीजी
म. आदि ठाणा 8, पूजनीया साध्वी श्री प्रियस्वर्णांजनाश्रीजी म.
आदि ठाणा 3 की परम पावन सानिध्यता में गंगाशहर के तुलसी विहार कालोनी में बने श्री
शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जिनमंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा अत्यन्त आनंद व अभूतपूर्व आयोजन
के साथ संपन्न हुई।
इस पावन अवसर पर तपागच्छीय पूज्य
पंन्यास प्रवर श्री पुंडरिकरत्नविजयजी म. आदि ठाणा, पू. साध्वी श्री जिनेन्द्रप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा, पाश्र्वचन्द्रगच्छीय
पूज्य साध्वी श्री पद्मप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा संघ की विनंती पर पधारे।
इस शिखरबद्ध मंदिर का निर्माण
पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री के मार्गदर्शन में मात्र ढाई तीन माह में हुआ। इसका भूमिपूजन, शिलान्यास इसी चातुर्मास में 14 अगस्त 2017 को शुभ मुहूत्र्त
में हुआ था।
समारोह का प्रारंभ पूज्य गुरुभगवंतों
के मंगल प्रवेश से ता. 23 नवम्बर से हुआ। उसी दिन कुंभ स्थापना आदि विधि विधान हुआ।
इन्द्र महाराज बने श्री अशोककुमारजी गोलेच्छा!
ता. 24 को परमात्मा का जन्म कल्याणक
मनाया गया। ता. 25 को ऐतिहासिक वरघोडा निकाला गया। पूरे बीकानेर में चर्चा रही कि ऐसा
वरघोडा बीकानेर के इतिहास में नहीं निकला। इस कालोनी में मात्र दो घर मंदिरमार्गी होने
पर भी ऐसा जबरदस्त उत्साह व उल्लास अकल्पनीय था।
रात्रि को अंजनशलाका का महाविधान
संपन्न हुआ। ता. 26 को परमात्मा की भव्य प्रतिष्ठा संपन्न हुई। उस समय कालोनी की सारी
सडकें श्रद्धालुओं से पूर्ण थी।
अमर ध्वजा चढाने का लाभ श्री
शांतिलालजी बैद परिवार गंगाशहर वालों ने लिया। स्वर्णकलश का लाभ श्री तोलारामजी संजयकुमारजी
बैद परिवार गंगाशहर वालों ने लिया। मूलनायक परमात्मा को बिराजमान का लाभ श्री अशोककुमारजी
जयकुमारजी गोलेच्छा परिवार ने, आदिनाथ का लाभ
श्री जयकुमारजी पुखराजजी पुगलिया परिवार ने, श्री महावीर स्वामी
का लाभ श्री सुमेरमलजी दफ्तरी परिवार ने, दादा गुरुदेव श्री जिनकुशलसूरि
का लाभ श्री संजयकुमारजी बोथरा परिवार ने, योगीराज शांतिसूरि
का लाभ नरपतजी रिषभजी सेठिया परिवार ने, नाकोडा भैरव का लाभ श्री
अशोककुमारजी जयकुमारजी गोलेच्छा परिवार ने, भोमिया देव का लाभ
विजयचंदजी मोहितजी रोहितजी डागा परिवार ने, पद्मावती देवी का
लाभ श्री बसंतकुमारजी विजयकुमारजी नवलखा परिवार ने, श्री सरस्वती
देवी का लाभ श्री फागुणचंदजी कमलचंदजी पारख परिवार ने लिया।
श्रृंगार चैकी पर कलश चढाने का
लाभ श्री मूलचंदजी सुरेन्द्रकुमारजी भादाणी परिवार ने लिया।
प्रतिष्ठा के पश्चात् पूज्य गुरुदेव
एवं साध्वी भगवंतों को कामली ओढाई गई। सभा का संचालन करते हुए श्री हेमन्तजी सिंघी
ने कहा- पूज्य गुरुदेव का ही यह चमत्कार है जो इतने कम समय में जिन मंदिर निर्मित हुआ
और कल्पनातीत समारोह के साथ प्रतिष्ठा संपन्न हुई। बीकानेर नगर में एक इतिहास की अनूठी
रचना हुई। इस मंदिर के निर्माण में पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. का अनुमोदनीय
मार्गदर्शन सतत प्राप्त रहा।
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