पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य
प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज साहब, पूज्य मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म. ठाणा
3 की पावन निश्रा में एवं प्रवर्तिनी श्री शशिप्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 6 के सान्निध्य
में दि. 15 नवंबर 2017 को बीकमपुर में मूलनायक परमात्मा महावीर स्वामी मंदिर,
मणिधारी जिनचन्द्रसूरि दादाबाड़ी की प्रतिष्ठा उल्लास के साथ संपन्न हुई।इस जिन मंदिर दादावाडी का निर्माण
कार्य गतवर्ष प्रारंभ हुआ था। लगभग सवा वर्ष की अल्प अवधि में शिखरबद्ध जिन मंदिर, सामरण युक्त दादावाडी, धर्मशाला,
भोजनशाला, पेढी आदि का भव्य निर्माण संपन्न हुआ।
ता. 12 नवम्बर को पूज्य आचार्यश्री
का प्रवेश हुआ। विहार व्यवस्था में बीकानेर केयुप व बज्जू जैन संघ का योगदान रहा। ता.
13 को कुंभस्थापना के साथ समारोह का प्रारंभ हुआ। दि. 14 नवंबर को दोपहर 1 बजे गांव
स्थित किले से शोभायात्रा निकाली गई। चतुर्विध संघ, परमात्मा का भव्य रथ, इंद्रध्वजा एवं विविध झांकियों
के साथ दो हजार से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति... गांव के मुख्य रास्ते भी संकरे
नजर आने लगे। प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर केन्द्रीय
संसदीय कार्य एवं जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुनरामजी मेघवाल, कोलायत विधायक भंवरसिंहजी भाटी सहित अनेक जन प्रतिनिधियों,
श्री जिनदत्त-कुशलसूरि खरतरगच्छ पेढ़ी के पदाधिकारी व देश के विभिन्न
स्थानों से आए जैन समाज के गणमान्य जनों की उपस्थिति रही।इस अवसर पर पूज्य आचार्यश्री
जिनमणिप्रभसूरिजी ने इस नगर की ऐतिहासिकता का वर्णन करते हुए फरमाया कि विक्रमपुर नगर
महाराजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित हुआ था। इस धरा पर अनेक आचार्य भगवंतों का पदार्पण
हुआ। युग प्रधान प्रथम दादा गुरुदेव जिनदत्तसूरिजी म. की निश्रा में 500 मुनियों व
700 साध्वियों ने एक साथ दीक्षा इसी नगर में ग्रहण की थी। मणिधारी के नाम से विश्व
में विख्यात दूसरे दादा गुरुदेव का जन्म इसी नगर में भादवा सुदी 8 विक्रम संवत्
1197 को श्रीमती देल्हण देवी की कोख से हुआ था। और विक्रम संवत 1203 में मात्र छह वर्ष
की आयु में संयम ग्रहण कर एक कीर्तिमान स्थापित किया था। मात्र आठ वर्ष की आयु में
आचार्य पद पर बीकमपुर में ही आप सुुशोभित हुए थे।
आचार्यश्री ने फरमाया- श्री जिनदत्त-कुशलसूरि
खरतरगच्छ पेढ़ी के संरक्षक एवं पूर्व अध्यक्ष मोहनचंदजी ढड्ढा ने इस पवित्र स्थल बीकमपुर
की विशिष्टताओं को सामने लाने, कम समय में जिनमंदिर
दादावाडी, धर्मशाला, भोजनशाला, कार्यालय आदि का निर्माण करके इस भूमि पर इतिहास की भव्य विरासत का पुनरुद्धार
किया है। श्री ढड्ढाजी की कार्यशैली व शासन भक्ति की अनुमोदना करते हुए कहा कि कोडैकनाल
में प्रमोद वाटिका जिन मंदिर आपने स्वद्रव्य से निर्मित किया। तत्पश्चात् आपके लगातार
पुरूषार्थ से रामदेवरा, कन्याकुमारी, मदुराई
व विक्रमपुर में जिनमंदिर व दादावाडी का निर्माण हुआ।अब चतुर्थ दादा जिनचन्द्रसूरि
की जन्मभूमि खेतासर की दादावाडी का निर्माण अतिशीघ्र आपको करवाना है। पूज्यश्री ने
स्थानीय गांव, विधायक एवं मंत्री महोदय से कहा-
यह तीर्थ आपका है। और इसे आपको सम्हालना है।समारोह में पधारे केन्द्रीय मंत्री
श्री अर्जुनरामजी मेघवाल ने कहा कि ऐतिहासिक नगर बीकमपुर में जैन मंदिर व दादाबाड़ी
के बनने से आम जन यहां के प्राचीन इतिहास व जैन संस्कृति से रूबरू हो सकेंगे। बीकमपुर
बीकानेर जिले का धर्म, पर्यटन व पुरातत्व
की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान के रूप में विकसित होगा। बीकमपुर के किले में विक्रम
संवत् 60 की बनी हुई एक देवी की देहरी एवं जैन मंदिर के अवशेषों पर व्यापक शोध की आवश्यकता
है। उन्होंने अपनी ओर से बीकमपुर के विकास में अपेक्षित सहयोग का आश्वासन दिया। गौरतलब
है कि बिकमपुर नगर आदर्श गांव योजना के अंतर्गत शीघ्र ही विकसित बनने जा रहा है। इस
गांव को श्री मेघवाल ने केन्द्रीय योजना के तहत गोद लिया है। उन्होंने कहा- पूज्य गुरुदेव
श्री के पधारने से इस क्षेत्र का अपूर्व विकास होगा।स्थानीय विधायक श्री भंवरसिंह
भाटी ने पूज्य गुरुदेवश्री के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए तीर्थ के विकास में
पूर्ण योगदान करने का आश्वासन दिया।बिकमपुर तीर्थ संकुल निर्माण
के संयोजक श्री मोहनचंदजी ढड्ढा ने गच्छाधिपतिश्री को वंदन कर कहा कि प्रतिष्ठा महोत्सव
में दो हजार से अधिक भक्तों के, आप सभी के आगमन
से हम पेढी के पधाधिकारी गौरव का अनुभव कर रहे हैं। यह मणिधारी गुरुदेव की ही कृपा
रही कि मुझे इस तीर्थ से जुडने एवं परमात्मा महावीरस्वामी की भव्य मूर्ति को भराने
का लाभ मिला। पेढी की तरफ से सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित कर तीर्थ से जुडने का
निवेदन किया। जिसे उपस्थित सभी ने करतल ध्वनि से हर्षारव कर मणिधारी गुरुदेव का जयघोष
किया।
पूज्य आचार्यश्री के सान्निध्य
में प्रातः 10 बजे मंदिर में मूलनायक परमात्मा महावीर स्वामी, नाकोडा भैरव, अंबिका माता एवं दादावाड़ी
में मूलनायक मणिधारी दादा श्री जिनचंद्रसूरि गुरुदेव की विशिष्ट प्रतिमा एवं रंगमंडप
में दादा गुरु श्री जिनदत्तसूरि व जिनकुशलसूरि की प्रतिमा एवं चतुर्थ दादा गुरुदेव
तथा विक्रमपुर के रत्न आचार्य श्री जिनपतिसूरि के चरण पादुकाओं व गोरे काले भैरव को
प्रतिष्ठित किया।
श्री महावीर स्वामी जिनमंदिर
के उपर अमर ध्वजा फहराने का लाभ श्रीमती जमनादेवी खेतमलजी गांधी परिवार चितलवाना ने
लिया। जिन मंदिर पर स्वर्ण कलश का लाभ श्रीमती टीपुदेवी जावंतराजजी परिवार ने लिया।
मणिधारी दादावाडी पर अमर ध्वजा फहराने का लाभ संघवी शा. लाधमलजी मावाजी मरडिया परिवार
चितलवाना ने लिया। दादावाडी पर स्वर्णकलश का लाभ श्री भीकचंदजी धनराजजी देसाई परिवार
सिणधरी वालों ने लिया।
मूलनायक श्री महावीर स्वामी को
बिराजित करने का लाभ श्री मोतीलालजी संपतराजजी झाबक परिवार रायपुर ने लिया। मणिधारी
श्री जिनचंद्रसूरिजी को बिराजित करने का लाभ संघवी श्रीमती शांतिदेवी पुखराजजी गुलेच्छा
परिवार मोेकलसर ने लिया। दादावाडी में श्री जिनदत्तसूरि बिराजमान का लाभ पूजनीया बहिन
म. डा. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. की प्रेरणा से उनकी शिष्या पू. साध्वी श्री विज्ञांजनाश्रीजी
म. के सांसारिक परिवार श्रीमती निर्मलादेवी रतनलालजी बच्छावत परिवार फलोदी ने लिया।
श्री जिनकुशलसूरि बिराजमान पू. बहिन म.डा. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. की प्रेरणा
से धमाना निवासी श्रीमती सायरदेवी छगनलालजी देसाई परिवार ने लिया। चैथे दादा जिनचन्द्रसूरि
के चरण बिराजमान का लाभ श्री रतनचंदजी अशोकचंदजी गुलेच्छा परिवार चेन्नई ने तथा आचार्य
जिनपतिसूरि के चरणों का लाभ संघवी श्री वंसराजजी टामचंदजी मंडोवरा सिणधरी वालों ने
लिया। नाकोडा भैरव बिराजमान का लाभ
श्रीमती धाई देवी शंकरलालजी पुरूषोत्तमजी सेठिया परिवार चैहटन-बाडमेर-बालोतरा तथा श्रीमती
अंबिकादेवी का लाभ श्री माणकचंदजी अरूणकुमारजी ललवानी सिवाना वालों ने लिया। गोरा भैरव
का लाभ श्री वनेचंदजी लालचंदजी मंडोवरा सिणधरी तथा काले भैरव का लाभ श्री पन्नालालजी
गौतमचंदजी कवाड तिरूपातूर वालों ने लिया। स्नात्र पूजा हेतु पंचतीर्थी, नवपद यंत्र, अष्ट मंगल की पाटली
का लाभ महत्तरा श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म. की शिष्या पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी
म. की प्रेरणा से श्री रिखबचंदजी झाडचूर परिवार जयपुर-मुंबई वालों ने लिया।
इस संकुल तीर्थ के निर्माण कार्य
में फलोदी के यशवर्धन गुलेछा एवं हेमचन्द्र शर्मा की सेवाएं अनुमोदनीय रही। उनका बहुमान
किया गया।समारोह में अखिल भारत के खरतरगच्छ
संघों के प्रतिनिधि, श्री भीकचंद धनराज
देसाई परिवार ने 350 से अधिक यात्रियों का संघ, बाडमेर,
बीकानेर, चैहटन, फलोदी,
चैहटन, बज्जू, उदयरामसर,
रायपुर, धमतरी, चेन्नई,
बैंगलोर, अहमदाबाद, सूरत,
चितलवाना, सांचोर, हाडेचा,
सिणधरी, बालोतरा, आदि क्षेत्रों
से बडी संख्या में भक्तों का आगमन हुआ। आयोजन को सफल बनाने में अखिल भारतीय खरतरगच्छ
युवा परिषद की बीकानेर शाखा, फलोदी शाखा ने पूरा योगदान दिया।
साथ ही फलोदी के मित्र मंडल व महिला मंडलों ने पूरा सहयोग दिया। सभी का संस्था की ओर
से बहुमान किया गया।प्रेषक अशोक पारख
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