नंदुरबार
15 नवंबर। खरतरगच्छाधिपति पू. आचार्य भगवंत श्री
जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी महत्तरा पदविभूषिता पू. चंपाश्रीजी
म. एवं पू. साध्वी जितेंद्रश्रीजी म. की सुशिष्या धवलयशस्वी पू. साध्वी विमलप्रभाश्रीजी
म., पू. साध्वी हेमरत्नाश्रीजी म., पू. साध्वी जयरत्नाश्रीजी म., पू. साध्वी रश्मिरेखाश्रीजी म., पू. साध्वी चारुलताश्रीजी म., पू. साध्वी नूतनप्रियाश्रीजी म., पू. साध्वी चारित्रप्रियाश्रीजी म. की निश्रा
में खान्देश की पावन पुण्यधरा पर पहली बार न्ंादुरबार नगर में त्रिदिवसीय कन्या
संस्कार शिबिर का आयोजन किया गया। जिसमें बालिकाओ ने ही नहीं अपितु श्रावक एवं
श्राविकाओं ने भी संपूर्ण भाग लिया। 13
नवम्बर से 15 नवम्बर तक इस शिबिर का आयोजन किया गया।
इस
शिबिर का मुख्य उद्देश्य आज के इस भाग-दौड़ और डिजिटल युग में हमारे समाज की
परिस्थिति, धार्मिक परंपरा, संस्कृति, भगवान महावीर के उपदेश, माँ बाप के प्रति बच्चों का व्यवहार जैसे अनेक
विषयों को ध्यान में रखते हुए पू. साध्वी नूतनप्रियाश्रीजी म. के मुख्य मार्गदर्शन
में इस शिबिर का आयोजन किया गया।
शिबिर
में मागदर्शन हेतू कल्पेशभाई महेंद्रकुमारजी अरणाईया मुंबई ने अपने बुलंद आवाज में
सुंदर प्रस्तुति दी। जिससे बालिकाओं को अपने जीवन की अहमियत के साथ धर्म की सही
परिभाषा जानने को मिली।
इस
शिबिर में नंदुरबार सहित आस-पास की 120 से
ज्यादा बालिकाओं ने सहभाग लिया। 15
नवंबर को शिबिर का समापन समारोह रखा गया, जिसमें
गुरुवर्याश्री के द्वारा मंगलाचरण के पश्चात् पू. साध्वी नूतनप्रियाश्रीजी म. ने
शिबिर को संस्कारों की पाठशाला बताया। शिबिरार्थी मुमुक्षु पायल बागरेचा, मुमुक्षु माधुरी चोपडा, दिव्या कोचर, शिवानी छाजेड,
नेहा बाफना, मनाली
तातेड, सौ. प्रिती भंसाली, भूमिका भंसाली, शुभम भंसाली ने अपने भावों को व्यक्त किया।
इस
शिबिर के संयोजक- श्री धिंगडमलजी नरेंद्रकुमारजी बुरड, श्री नाकोडा प्लास्टिक, श्रीमती स्वरूपदेवी मोडमलजी श्रीश्रीमाल, साथ ही सहसंयोजक- श्रीमती सायरदेवी चंपालालजी
तातेड परिवार ने लाभ लिया। इस शिबिर का आयोजन श्री सकल जैन श्रीसंघ नंदुरबार
द्वारा किया गया।
सभी
शिबिरार्थियों को उपहार का वितरण शिबिर के लाभार्थी परिवार द्वारा किया गया। साथ
श्रीसंघ द्वारा सभी शिबिर के लाभार्थी परिवारों का और इस शिबिर में मार्गदर्शन
देने के लिए पधारे श्री कल्पेश महेंद्रकुमारजी अरणाईया आदि का बहुमान किया गया।
-शुभम
गौतमचंदजी भंसाली
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