परम पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य भगवंत श्री जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य गुरुदेव मरुधरमणि खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनिराज श्री मुक्तिप्रभसागरजी म., पूज्य मुनिराज श्री मनीषप्रभसागरजी म., पूज्य मुनिराज श्री मयंकप्रभसागरजी म., पूज्य मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी म., पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया महत्तरा पद विभूषिता खान्देश शिरोमणि श्री दिव्यप्रभाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विरागज्योतिश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म., पू. साध्वी श्री जिनज्योतिश्रीजी म. ठाणा 4 तथा पू. गणिनी प्रवरा श्री सूर्यप्रभाश्रीजी म. की शिष्या पू. साध्वी श्री विरलप्रभाश्रीजी म., पू. साध्वी श्री विपुलप्रभाश्रीजी म. ठाणा 2 का ता. 22 जुलाई 2018 को चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश इन्दौर स्थित महावीर बाग में संपन्न हुआ।
प्रवेश शोभायात्रा मोरसली गली स्थित नया मंदिर से राजवाडा पहुॅंची, जहॉं से सुव्यवस्थित रूप से शोभायात्रा का प्रारंभ हुआ। श्रद्धालुओं की अपार भीड ने विशाल राजमार्गों को छोटा बना दिया था।
इन्दौर के प्रमुख मार्गों से गुजरती हुई शोभायात्रा महावीर बाग पहुॅंची। शोभायात्रा में मध्यप्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, विधायक श्री सुदर्शनजी गुप्ता, महापौर श्रीमती मालिनी गौड़, सभापति श्री अजयजी नरूक्का आदि विशिष्ट व्यक्तित्व उपस्थित रहे।
पूरे भारत से आज लगभग 1200 से अधिक श्रद्धालु पूज्यश्री के प्रवेश पर पधारे। 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इन्दौर नगर के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ की रचना की।
पूज्य आचार्यश्री ने इस अवसर पर कहा- चातुर्मास का लक्ष्य हमें अपने हृदय में स्पष्ट करना है। आदिनाथ परमात्मा के जीवन का एक उदाहरण सुनाते हुए फरमाया- शत्रुओं से युद्ध करना, यही चातुर्मास का लक्ष्य है। पर प्रश्न है कि शत्रु कौन है! शत्रु वो है जो कभी भी किसी जन्म में किसी भी स्थिति में मित्र नहीं बन सकता, वो शत्रु है। जो हर भव में शत्रुता की भूमिका निभाता है, वो शत्रु है।
पू. साध्वी श्री विश्वज्योतिश्रीजी म. ने कहा- चातुर्मास तप त्याग एवं जीवन परिवर्तन का विशिष्ट अवसर है। इस अवसर पर स्थानीय महिला मंडलों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किये गये।
गुरुपूजन का लाभ मूल जैतारण वर्तमान चेन्नई निवासी श्री सोहनलालजी महेन्द्रकुमारजी सुरेशजी रांका परिवार ने लिया।
कामली वहोराकर गुरुभक्ति का लाभ श्री भंवरलालजी सौ. सुआदेवी छाजेड परिवार हरसाणी-बाडमेर-मुंबई वालों ने लिया।
चातुर्मास समिति के संयोजक श्री छगनराजजी हुण्डिया ने स्वागत भाषण दिया। खरतरगच्छ श्रीसंघ के पूर्व अध्यक्ष श्री डुंगरचंदजी हुण्डिया ने पूज्यश्री का संक्षिप्त परिचय एवं 24 वर्ष पूर्व के चातुर्मास का स्मरण किया।
दिल्ली से पधारे प्रधानमंत्री नीति आयोग के सदस्य डॉ. श्री महावीर गोलेच्छा ने पूज्यश्री के व्यक्तित्व की विशिष्टताओं का वर्णन किया। डॉ. बसंत लूणिया, श्री प्रकाशजी कानूगो मुंबई, महावीर इण्टरनेशनल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजयजी बाफना, श्री भूपतजी कांटेड आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किये। पेढी के महामंत्री श्री पदमजी टाटिया ने पेढी की रूपरेखा बताते हुए उसकी आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रतिनिधि महासभा के महामंत्री श्री संतोषजी गुलेच्छा ने महासभा के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए सभी से सदस्य बनने का आह्वान किया।
इस अवसर पर रतलाम व सूरत खरतरगच्छ श्री संघ की ओर से पूज्यश्री को आगामी चातुर्मास हेतु विनंती की गई। श्री सुमतिनाथ जैन संघ मागडी रोड बैंगलोर ने जिन मंदिर दादावाडी की प्रतिष्ठा कराने की विनंती की।
श्री जिनभक्ति महिला मंडल, चिंतामणि पार्श्वनाथ महिला मंडल, जिनकुशलमंडल तिलकनगर, विचक्षण महिला मंडल गुमाश्ता नगर, जिनदत्त विनीता महिला मंडल, जयजिनेन्द्र बहु मंडल आदि द्वारा तथा खरतरगच्छ युवा संघ, रक्षित श्रीमाल द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। कुमारी प्रेक्षा हुण्डिया ने अपने मधुर स्वर से गुरु गुण गीतिका प्रस्तुत की।
ज्ञान वाटिका के बालक बालिकाओं द्वारा जिन शासन गीतिका पर भव्य नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इस नाटिका का मार्गदर्शन सौ. मीनाजी बैद आदि ने किया।
संचालन जितेन्द्र मालू ने किया। संचालन व बोलियों आदि में श्री अरविन्दजी चौरडिया इन्दौर एवं बालोतरा से पधारे अनिलजी सालेचा ने सहयोग अर्पण किया।
स्वामिवात्सल्य का लाभ श्री मूलचन्दजी छगनराजजी सुखराजजी दलपतराजजी अशोककुमारजी दिनेशकुमारजी सतीशकुमारजी एवं समस्त हुण्डिया परिवार मोकलसर-इन्दौर वालों ने लिया।
पूज्यश्री के मंगल प्रवेश पर बाहर से बडी संख्या में श्रद्धालु पधारे। उज्जैन, सांचोर, कारोला, चितलवाना, रतलाम, मन्दसौर, सिणधरी, डंडाली, होडू, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बेरला, बीकानेर, नवसारी, सूरत, मुंबई, धोरीमन्ना, दिल्ली, जम्मू, गुडामालानी, धनोप, देवलिया कलां, जैसलमेर, शहादा, ब्यावर, गरोठ, खेतिया, निम्बाहेडा, नीमच, पादरू, कोलकाता, सिवाना, मोकलसर, पूना, फलोदी, लोहावट, जयपुर, संधारा, रामगंजमंडी, चेन्नई, गुंटुर, बाडमेर, जैतारण, दोंडाइचा, केशवणा, चौहटन, सियाणी, हरसाणी, बालोतरा, अहमदाबाद, महिदपुर, देपालपुर, गौतमपुरा, हिंगोली आदि संघों से बडी संख्या में भक्तगणों का पदार्पण हुआ। श्री इन्दौर संघ द्वारा स्वागत किया गया।
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