इंदौर 15 अगस्त। आज हर कोई कहता है अच्छे दिन आने वाले है, इसका मतलब हुआ कि हमारा वर्तमान ठीक नही है। भारतीयों को जापानियों से सीख लेना चाहिए। जहाँ के लोग एक दूसरे का हाथ पकड़कर चलते है। जिस दिन हम भी हाथ पकड़कर चलने लगेंगे तो अच्छे दिन आ ही जायेंगे। वर्तमान में लोग चादर छोटी होने पर पैर लम्बे कर सो रहे है और रो रहे है। बबूल के बीज बोकर आम चाह रहे इसलिए भारत रो रहा है। आजाद हो गए यह महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि हम पराधीन क्यों हुए!
यह बात स्वाधीनता दिवस पर 15 अगस्त को इन्दौर स्थित महावीर बाग में गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज ने कही। वे यहां संत समागम के अवसर पर आयोजित सामूहिक प्रवचन में विशाल जैन समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
आचार्यश्री ने खरगोश ओर कछुए की कहानी के माध्यम से कहा कि किसी और को दुख देकर सुख की कल्पना करना उचित नहीं। कछुए और खरगोश ने जीत-हार से परे एक अलग दौड़ लगाई और दोनों ही जीते और वह मिसाल बन गई। समाज में कुछ लोग खरगोश कि भाँति छलांग लगा रहे हैं तो कुछ कछुए की भांति धीरे चल रहे हैं।
आज जिस प्रकार से जैन समाज एक छत के नीचे एकत्र हुआ अगर चातुर्मास ही इस तरह मनाएं तो कितना अच्छा हो! वर्तमान में देश में जातिवाद का जहरीला वातावरण है। ऐसी स्थिति में हमने अपने आपको नही सम्हाला तो फिर कभी नहीं सम्हल सकते। जैन समाज की शक्ति को समझो। समाज की चिंता करो उसे स्वार्थ के साथ मत चलाओ।
संत समागम में दिगंबराचार्य श्री अनेकांतसागरजी महाराज ने कहा कि बरसों की पराधीनता से तो आजादी मिल गई । सही आजादी तो जीवन में कषायों से स्वतंत्र होना है। जैन धर्म चर्चा का नहीं चर्या का विषय है। अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता है।
इससे पूर्व सभा को तपागच्छीय मुनि सम्यकचन्द्रसागरजी एवं साध्वी विश्वज्योतिश्रीजी ने भी संबोधित किया।
सभा में स्थानकवासी संत श्री गौतममुनिजी ने कहा कि हम महावीर को तो मानते है लेकिन महावीर के बताए मार्ग व सिद्धान्त को नहीं अपनाते। उन्होंने नारी की स्वतंत्रता के बारे में कहा कि नारी स्वतंत्र रहे अच्छी बात है लेकिन स्वछंदता से नही। आज मंदिरों में भी स्वछंदता हावी है। पहले घर को ही जिनालय बना लो तो संस्कार कायम रहेंगे। सभा में तीन हजार से अधिक श्रावक-श्राविका वर्ग उपस्थित था।
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