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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Indore M.P. गौरवशाली है खरतरगच्छ

 इन्दौर 16 अगस्त। इन्दौर के महावीर बाग में चातुर्मास के दौरान श्रावण शुक्ला षष्ठी, दि. 16 अगस्त को पू. खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी .सा. ने कहा- जिनशासन में खरतरगच्छ की परंपरा अलग से नहीं है। खरतरगच्छ परम्परा तो बरसों से चली रही है। समय जरूरतों के अनुसार आचार्यों, गुरु भगवंतों द्वारा इसमें सुधार कर इसे आगे बढ़ाया है। खर से तात्पर्य खरा। तर से तात्पर्य खरों में खरे।
खरतरगच्छ सहस्राब्दी वर्ष पर्वोत्सव के अंतर्गत समाज के इतिहास को बताते हुए श्रावक श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपने गच्छ के प्रति समाजजनों में बहुमान होना चाहिए।

स्वाध्याय से ही बौद्धिक विकास संभव- इससे पूर्व आर्य श्री मेहुलप्रभसागरजी महाराज ने कहा- हम अपने अतीत के गौरव को समझे और पूर्व महापुरुषों की विरासत का योग्य उपयोग करते हुए मन, वचन और काया को पवित्र करने का प्रयास करें। हमें हमारे बौद्धिक विकास को बढ़ाने के लिए स्वाध्याय को अपनाना होगा। बौद्धिक विकास साहित्य से हो सकता है। बुद्धि के विकास से स्वयं, घर, परिवार तथा समाज राष्ट्र उन्नति के शिखर पर आरोहण करता है। चातुर्मास में श्रावण शुक्ल की षष्ठी तिथि को खरतरगच्छ जैन समाज द्वारा खरतरगच्छ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आम समाज को खरतरगच्छ की जानकारी तथा उद्देश्यों से रूबरू कराना होता है। धर्मसभा में सैंकडों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर खरतरगच्छ के गौरव को सुनकर अपना ज्ञान वर्धन किया।हजारों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे।
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