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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

37. जटाशंकर -उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म. सा.


मिस्टर घटाशंकर के गधे को बुखार आ गया था। बुखार बहुत तेज था। गधा जैसे जल रहा था। न कोई काम कर पा रहा था जटाशंकर को अपने गधे से स्वाभाविक रूप से बहुत प्रेम था। वह परेशान हो उठा।
उसने डोक्टर से इलाज करवाने का सोचा। मुश्किल यह थी कि उस गाँव में पशुओं का कोई डोक्टर न था। अत: सामान्य डोक्टर को ही बुलवाया गया।
डोक्टर जटाशंकर ने आते ही गधे का मुआयना किया। उसने देखा- बुखार बहुत तेज है। उसे पशुओं के इलाज का कोई अनुभव नहीं था।
उसने अपना अनुमान लगाते हुए सोचा- सामान्यत: किसी व्यक्ति को बुखार आता है तो उसे एक मेटासिन या क्रोसिन दी जाती है। चूंकि यह गधा है। इसके शरीर का प्रमाण आदि का विचार करते हुए उसने 10 गोलियाँ मेटासिन की इसे देने का तय किया।
घटाशंकर भागा भागा मेटासिन की 10 गोलियाँ ले आया। अब समस्या यह थी कि इसे गधे को खिलाये कैसे?
घटाशंकर ने घास में गोलियाँ डाल कर गधे को खिलानी चाही। पर गधा बहुत होशियार था। उसने अपने मालिक को जब घास में कुछ सफेद सफेद गोलियाँ डालते देखा वह सशंकित हो गया। उसने सोचा- कुछ गडबड है। मैं इस घास को हरगिज नहीं खाउँगा, पता नहीं मेरे मालिक ने इसमें क्या डाल दिया है। जरूर यह सारी गडबड इस दूसरे आदमी की है।
घटाशंकर ने बहुत प्रयास किया कि वह गोलियों वाली घास खाले। पर गधा टस से मस न हुआ
आखिर हारकर घटाशंकर ने डोक्टर जटाशंकर से पूछा- अब क्या किया जाये? वह रूआँसा होकर कहने लगा- डोक्टर साहब! इसे गोलियाँ आपको कैसे भी करके खिलानी है? यह काम आप ही कर सकते हैं। मैं आपको दुगुनी फीस दूंगा।
दुगुनी फीस प्राप्त होने के निर्णय से प्रसन्न होते हुए जटाशंकर ने कुछ सोच कर योजना बनाई। उसने कहा- तुम एक काम करो। एक गोल भूंगली ले आओ। भूंगली के इस सिरे पर 10 गोलियाँ रखो। फिर भूंगली के सामने वाले सिरे को गधे के गले में अन्दर तक डाल दो। फिर भूंगली के इधर वाले सिरे से मैं जोर से फूंक मारता हूँ। फिर देखो, सारी गोलियाँ सीधी गधे के पेट में चली जायेगी।
अपनी योजना पर राजी होते हुए उसने इसे क्रियान्वित करना प्रारंभ किया। घटाशंकर दौडकर चूल्हा फूंकने वाली भूंगली ले आया।
डोक्टर जटाशंकर ने भूंगली गधे के मुँह में डालने के बाद इधर वाले सिरे पर गोलियाँ रखनी प्रारंभ की।
गधा अचरज में पड गया। यह आदमी मेरे साथ क्या कर रहा है? वह चौकन्ना हो उठा।
डोक्टर ने गोलियाँ रखकर भूंगली का इधर वाला सिरा अपने मुँह में डाल दिया और जोर से फूंक मारने की तैयारी करने लगा।
वह फूंक मारे, उससे पहले ही भडक कर गधे से जोर से एक फूंक मार दी। गधे की फूंक से सारी गोलियाँ डोक्टर के पेट में पहुँच गई।
डोक्टर गधे को तो न खिला सका। सारी गोलियाँ उसी का आहार बन गई।
योजना बनाना बहुत आसान है। पर बहुत बार बाजी पलट कर उसी को लपेट में ले लेती है।

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