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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

जिज्ञासाओं का समाधान


जिज्ञासाओं का समाधान

आज कान्ति मणि नगर, कपोलवाडी में खचाखच भरे विशाल हाँल में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी म.सा. ने जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा- इस वर्ष जैन संघ में छह बार संवत्सरी मनाई जायेगी। खरतरगच्छ, अंचलगच्छ, स्थानकवासी संघ {ज्ञानगच्छ को छोडकर}, तेरापंथ संघ व दिगम्बर समाज का अधिकांश भाग अगस्त महिने में संवत्सरी महापर्व की आराधना करेगा। जबकि तपागच्छ, तीन थुई, ज्ञानगच्छ अगले महिने सितम्बर में संवत्सरी मनायेगा। इस विषय पर अपनी वेदना व्यक्त करते हुए उपाध्यायश्री ने कहा- जैन संघ के तीर्थंकर एक, नवकार एक, आराधना का लक्ष्य एक होने पर भी संवत्सरी का यह भेद समाज को छिन्न भिन्न कर रहा है। हर वर्ष पर्युषण महापर्व के दिनों में कत्लखाने बंद रहते हैं, पर इस वर्ष अलग अलग होने के कारण सरकार ने ऐसा आदेश निकालने से मना कर दिया है। अर्थात् किसी भी पर्युषण में कत्लखाने बंद नहीं रहेंगे। यह हमारे लिये कितने दर्द की बात है।

उन्होंने कहा- यदि संपूर्ण जैन समाज संवत्सरी एक मनाने के लिये तत्पर है तो खरतरगच्छ समुदाय अपनी परम्परा का त्याग करने के लिये तत्पर है। पर शर्त एक ही है कि सारा श्वेताम्बर समाज एक हो। उन्होंने एक व्यक्ति के दर्द को प्रकट करते हुए कहा- एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा- खरतरगच्छ, अचलगच्छ वाले 21 अगस्त को संवत्सरी करेंगे। स्थानकवासी तेरापंथी भी अगस्त में करेंगे। तपागच्छ व तीन थुई वाले सितम्बर में करेंगे।

हे गुरूदेव! मुझे बताओ कि मैं संवत्सरी कब करूँ! क्योंकि मैं न तो खरतरगच्छ का हूँ, न तपागच्छ का हूँ, न तीन थुई का हूँ, न स्थानकवासी हूँ, न तेरापंथी हूँ! मैं तो शुद्ध जैन हूँ! हे गुरूदेव! मुझे बताओ कि मेरी संवत्सरी कब है!

इस प्रश्न का हमारे पास कोई जवाब नहीं है। हम छोटी छोटी बातों के लिये लडते रहते हैं, और इस प्रकार अपने समाज में गच्छवाद, तिथि वाद आदि के नाम पर विभाजन करते रहते हैं।

उन्होंने कहा- जैन समाज की उन्नति उसकी एकता में है।

संयोजक पुखराज छाजेड ने बताया कि पूज्य गुरूदेवश्री की पावन निश्रा में 20 मासक्षमण हो चुके हैं और अभी आगे कईयों के मासक्षमण की तपस्या चल रही है। साथ ही सिद्धि तप, कषाय जय तप आदि विभिन्न तप जारी है। पूज्य मुनि श्री मैत्रीप्रभसागरजी म. के आज 18वां उपवास है। मासक्षमण की भावना है। साध्वी श्री कल्याणमालाश्रीजी म. के सिद्धि तप की तपस्या चल रही है।

उन्होंने बताया कि हर शनिवार को दोपहर ढाई से चार बजे तक पू. मेहुलप्रभसागरजी म. द्वारा बच्चों का शिविर लिया जाता है। और रविवार को पू. मनितप्रभसागरजी म. द्वारा दोपहर ढाई से चार बजे तक जनरल शिविर लिया जाता है।

पूज्यश्री के प्रभावी प्रवचनों को श्रवण करने के लिये भारी भीड उपस्थित होती है। कल रविवार को पूज्यश्री का समाज के प्रति उत्तरदायित्व विषय पर प्रवचन होगा।



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