नवाणुं यात्रा का अनूठा एवं ऐतिहासिक आयोजन
श्रीमती सुखीदेवी को तीर्थमाला पहिनाने का अनूठा लाभ चढावा लेकर संघवी श्री पारसमलजी बाबुलालजी प्रकाशकुमारजी भंसाली सिवाना वालों ने लिया। संगीत के दिव्य स्वरों एवं मंत्रोच्चारणों की दिव्य ध्वनि के साथ मालारोपण का विधान हुआ।
उनके बाद क्रमश: श्री इन्द्रकुमारजी, महावीरकुमारजी, कान्तिलालजी, नरेन्द्रजी, ललितजी आदि छाजेड परिवार को अभिमंत्रित माला धारण करवाई गई। इन सभी को माला धारण करवाने का लाभ उन उनके ससुराल वालों ने प्राप्त किया।
परम
पूज्य गुरुदेव प्रज्ञापुरूष
आचार्य देव श्री
जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा.
के शिष्य पूज्य
गुरुदेव मरूधर मणि उपाध्याय
प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी
म.सा.
पूज्य
मुनि श्री मुक्तिप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री मनीषप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री मयंकप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री मनितप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री मेहुलप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री मोक्षप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
मुनि श्री कल्पज्ञसागरजी
म.
पूज्य नूतन
मुनि श्री समयप्रभसागरजी
म.
सा.
पूज्य
नूतन मुनि श्री
विरक्तप्रभसागरजी म.
सा.
पूज्य नूतन बाल
मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी
म.
आदि मुनि
मंडल एवं पूजनीया
खान्देश शिरोमणि गुरुवर्या श्री
दिव्यप्रभाश्रीजी म.
सा.
आदि ठाणा,
पूजनीया
साध्वी श्री शशिप्रभाश्रीजी
म.
सा.
आदि
ठाणा,
पूजनीया माताजी
म.
श्री रतनमालाश्रीजी
म.
पूजनीया बहिन
म.
डाँ.
विद्युत्प्रभाश्रीजी
म.
सा.
आदि
ठाणा,
पूजनीया साध्वी
श्री हेमरत्नाश्रीजी म.
आदि ठाणा,
पूजनीया
साध्वी श्री संघमित्राश्रीजी
म.
आदि ठाणा,
पूजनीया साध्वी श्री प्रियसौम्यांजनाश्रीजी
म.
आदि ठाणा
की पावन निश्रा
में श्री सिद्धाचल
गिरिराज पर नवाणुं
यात्रा का अनूठा
एवं ऐतिहासिक आयोजन
गढ सिवाना-
पूना
निवासी श्रीमती सुखीदेवी भीमराजजी
छाजेड परिवार द्वारा
संपन्न हुआ।
पूज्य गुरुदेवश्री का चातुर्मास
पालीताना में होने
का ज्योंहि निश्चय
हुआ त्योंहि छाजेड
परिवार के हृदय
में वर्षों का
सपना साकार करने
का भाव उपस्थित
हुआ। छाजेड परिवार
का पिछले लम्बे
समय से पूज्यश्री
की निश्रा में
नवाणुं यात्रा कराने का
भाव था। पर
पूज्यश्री का विहार
अन्य क्षेत्रों में
होने के कारण
यह संभव नहीं
हो पा रहा
था।
पूज्यश्री के 54वें
वर्ष प्रवेश के
मंगल अवसर पर
छाजेड परिवार अपने
परिवार व इष्ट
मित्रों के साथ
पादरू नगर पूज्यश्री
से विनंती हेतु
पहुँचा। पूज्यश्री ने ज्योंहि
उनकी विनंती स्वीकार
की, छाजेड परिवार
अत्यन्त उल्लसित व आनंदित
हो उठा।
नवाणुं यात्रा के
आयोजन को चार
चांद लगाने के
लिये श्रीमती सुखी
देवी के सुपुत्र
श्री इन्द्रकुमारजी, महावीरकुमारजी
नरेन्द्रकुमारजी छाजेड दिन रात
एक कर दिये।
नवाणुं यात्रा के लिये
तलेटी के समीप
श्री कस्तूरधाम व
नीलम विहार आदि
धर्मशालाओं का आरक्षण
किया। पत्रिका पोस्टर
आदि द्वारा पूरे
भारत के सकल
श्री संघ को
नवाणुं यात्रा में सम्मिलित
होने के लिये
आमंत्रण दिया गया।
पूज्यश्री ने चातुर्मास
के मध्य कस्तूर
धाम का अवलोकन
कर आवश्यक सुझाव
प्रदान किये। कार्तिक शुक्ल
चतुर्दशी को पूज्यश्री
ने साधु साध्वी
मंडल एवं आराधकों
के साथ नवाणुं
यात्रा के लिये
कस्तूरधाम में प्रवेश
किया। कार्तिक शुक्ल
पूर्णिमा से नवाणुं
यात्रा का प्रारंभ
हुआ। लगभग 200 आराधकों
के साथ बाजे
गाजे के साथ
तलेटी दर्शन करते
हुए जय जय
आदिनाथ एवं सिद्धाचल
गिरि नमो नम:
के गगन भेदी
नारों के साथ
नवाणुं यात्रा का प्रारंभ
हुआ।
प्रारंभ में एक
एक यात्रा करने
वाले आराधकों ने
कुछ ही दिनों
के बाद दो
दो और तीन
तीन यात्राऐं करनी
प्रारंभ कर दी।
आराधकों में 8 साल का
नन्हा मुन्हा जिनु
गोलेच्छा भी था,
10 वर्ष का गौरव
कवाड भी था
तो 70 वर्ष के
वयोवृद्ध श्रावक एवं श्राविकाऐं
भी थी।
इन्होंने विधान के
अनुसार डेढ कोसी,
तीन कोसी, छह
कोसी परिक्रमा तो
की ही, चौविहार
करके छट्ठ अर्थात्
बेला- लगातार दो
दिन के उपवास
करके सात यात्राऐं
भी की। अत्यन्त
अचरज की बात
थी। मन अनुमोदना
के भावों से
भर उठा।
आयोजक छाजेड परिवार
को इस नवाणुं
यात्रा में बोथरा
परिवार की चार
दीक्षाऐं कराने का अनूठा
लाभ प्राप्त हुआ।
ता. 20 नवम्बर को 42 वर्षीय
मुमुक्षु श्री गौतमकुमारजी
बोथरा, 36 वर्षीया उनकी धर्मपत्नी
सौ. उषादेवी, उनके
सुपुत्र 17 वर्षीय भरतकुमार, 13 वर्षीय
आकाशकुमार बोथरा की भागवती
दीक्षा का ऐतिहासिक
आयोजन संपन्न हुआ।
यह छाजेड परिवार
के प्रचंड पुण्य
का ही परिणाम
था कि उसे
चार चार दीक्षाऐं
कराने का छाजेड
परिवार को लाभ
मिला।
प्रतिदिन पूज्य गुरुदेवश्री
के प्रवचन होते।
कुछ दिनों के
बाद पूज्य मुनि
श्री मनितप्रभसागरजी म.
सा. के प्रतिदिन
प्रवचन होते। श्री सिद्धाचल
के बारे में
नई जानकारियां, इतिहास,
भक्ति, संयम, जीवन की
मूल्यवत्ता, आत्म-बोध
आदि विविध विषयों
पर जीवनोपयोगी और
अध्यात्म की प्रेरणा
देने वाले प्रवचनों
से सभी आराधकों
का हृदय परम
संतुष्टि का अनुभव
करने लगा।
प्रतिदिन शाम को
होने वाली संध्या
भक्ति का रंग
अपूर्व होता था।
पूज्य गुरुदेवश्री के
भक्ति भाव भरे
भजनों, स्तवनों के रसास्वादन
का एक अनूठा
अनुभव है। साथ
ही पूजनीया साध्वीजी
भगवंतों के सुमधुर
कण्ठ से गाये
जाते भजन सभी
को तल्लीन बना
देते।
ता. 26 से 30 दिसम्बर
तक आयोजक श्रीमती
सुखीदेवी भीमराजजी छाजेड के
जीवित महोत्सव निमित्त
पंचाह्निका महोत्सव का कार्यक्रम
आयोजित किया गया।
इसके साथ ही
पांच छोड का
उद्यापन भी किया
गया।
ता. 26 को आदिनाथ
पंचकल्याणक पूजा के
साथ महोत्सव का
प्रारंभ हुआ। ता.
27 को वर्ध्ामान शक्रस्तव
महापूजन का अनूठा
आयोजन हुआ। इसे
पढाने के लिये
मुंबई से ख्यातनाम
साधक प्रवर श्री
विमलभाई शाह पधारे
थे। पूजन पढाने
का उनका अद्भुत
तरीका, शास्त्रीय संगीत के
साथ मंत्रोच्चारण की
उनकी पद्धति मन
को झुमाने वाली
थी। सभी ने
इस महापूजन में
अथाह आनन्द का
अनुभव किया।
ता. 28 को श्री
सिद्धचक्र महापूजन का आयोजन
किया गया। श्री
विमलभाई के दादा
श्री बाबुभाई कडी
वाले प्रतिदिन यह
महापूजन आराधना के रूप
में किया करते
थे। उनकी साधना
अनुमोदनीय थी। श्री
विमलभाई भी अपने
दादा के चरण
चिन्हों पर चलने
वाले साधक हैं।
उन्होंने अत्यन्त भक्ति भाव
व उल्लास से
भर कर यह
महापूजन पढाया।
ता. 29 को प्रात:
साढे सात बजे
श्री नाकोडा भैरव
महापूजन आयोजित किया गया।
10.30 बजे जीवित महोत्सव के
कार्यक्रम का आयोजन
किया गया। पूज्यश्री
जीवित महोत्सव की
विशिष्ट व्याख्या की। उन्होंने
कहा- अपने जीवन
को महोत्सव बनाने
का नाम जीवित
महोत्सव है। संसार
और संसार के
समस्त साधनों से
अपने आपको मानसिक
रूप से अलग
करना, आसक्ति हटा
देना, यही जीवित
महोत्सव का अर्थ
है। जीवित महोत्सव
करने के बाद
का जीवन साधु
की तरह हो
जाना चाहिये। तभी
मृत्यु महोत्सव होती है।
जिसका जीवन महोत्सव
होता है, उसकी
मृत्यु भी महोत्सव
हो जाती है।
श्रीमती सुखीदेवी के
पुत्रों, पौत्रों आदि ने
मिलकर एक सीडी
तैयार की थी,
जिसमें श्रीमती सुखी बाई
के व्यक्तित्व और
कृतित्व की विवेचना
थी। लगभग 40 मिनट
की उस वीडियो
सीडी को देखकर
सभी अनुमोदना के
भावों से भर
गये।
इस अवसर
पर पूज्यश्री ने
कहा- आज श्री
भीमराजजी छाजेड की स्मृतियाँ
हमारे मन मस्तिष्क
में तैर रही
है। वे यदि
आज जीवित होते
तो कितने प्रफुल्लित
होते। उनकी आत्मा
देवलोक से अपने
परिवार द्वारा हो रहे
इस सुकृत्य को
निहार रही होगी,
और आनंद के
अश्रु बहाती हुई
अनुमोदना कर रही
होगी।
शाम को
साढे पांच बजे
भव्य वरघोडे का
आयोजन किया गया।
तलेटी पर परमात्मा
की भक्ति की
गई। आयोजक छाजेड
परिवार ने चढावा
लेकर शत्रुंजय गिरिराज
जय तलाटी के
आरती का लाभ
प्राप्त किया। रात्रि में
भावना आचार्य संगीतकार
द्वारा मातृ पितृ
वंदना के कार्यक्रम
ने सारी जनता
की आंखों को
भिगो दिया। परिवार
ने मिलकर अपनी
मां सुखीदेवी की
आरती उतारी। नवाणुं
यात्रा कर रही
बालिकाओं ने नवाणुं
यात्रा पर एक
रंगारंग नाटिका प्रस्तुत की
थी, जिसे देख
सुन कर उपस्थित
जनसमूह रोमांचित हो उठा।
श्रीमती सुखीबाई भीमराजजी छाजेड
के जीवित महोत्सव
के उपलक्ष्य में
सात क्षेत्र में
25 लाख रूपये तथा 11 लाख
रूपये की राशि
जीवदया में अर्पित
की गई। आज
के इस मंगल
अवसर पर पधारे
बाडमेर विधायक श्री मेवारामजी
जैन का छाजेड
परिवार की ओर
से बहुमान किया
गया।
ता. 30 दिसम्बर का
मंगलमय दिवस एक
नई रोशनी लेकर
अवतरित हुआ। आज
तीर्थमाला का कार्यक्रम
था। प्रात: 10 बजे
प्रारंभ हुआ यह
समारोह दोपहर 3 बजे तक
अनवरत चला। उल्लास
चरम सीमा पर
था। बाहर से
बडी संख्या में
अतिथिगणों, परिजनों, मित्रों का
आगमन हुआ था।
पूज्यश्री ने एक
एक विधि समझाते
हुए तीर्थमाला का
विधान करवाया। छाजेड
परिवार ने पूज्यश्री
एवं साध्वी मंडल
को कामली बहोराई।
चंदन के स्थापनाचार्य
समर्पित किये।
बाद में
शुभ मुहूत्र्त में
तीर्थमाला धारण करवाई
गई।
उसके बाद आराधकों की ओर से अभिनंदन किया गया। इसका लाभ श्री मांगीलालजी भंसाली सिवाना वालों ने लिया। श्री जिन हरि विहार ट्रस्ट, पालीताना, सिवाना, पूणे आदि की कई विशिष्ट संस्थाओं ने छाजेड परिवार का अभिनंदन किया।
नवाणुं यात्रा का अनूठा एवं ऐतिहासिक आयोजन
ReplyDeleteश्रीमती सुखीदेवी को तीर्थमाला पहिनाने का अनूठा लाभ चढावा लेकर संघवी श्री पारसमलजी बाबुलालजी प्रकाशकुमारजी भंसाली सिवाना वालों ने लिया। संगीत के दिव्य स्वरों एवं मंत्रोच्चारणों की दिव्य ध्वनि के साथ मालारोपण का विधान हुआ।
उनके बाद क्रमश: श्री इन्द्रकुमारजी, महावीरकुमारजी, कान्तिलालजी, नरेन्द्रजी, ललितजी आदि छाजेड परिवार को अभिमंत्रित माला धारण करवाई गई। इन सभी को माला धारण करवाने का लाभ उन उनके ससुराल वालों ने प्राप्त किया।