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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

जटाशंकर - उपाध्याय मणिप्रभसागरजी म.

जेल की सजा काटकर जब जटाशंकर बाहर आया तो उसके मित्र घटाशंकर ने उससे पूछा- क्या हुआ था! जेल क्यों गये! ऐसा क्या काम किया, जो तुम्हें जेल जाना पडा! चोरी की थी क्या! चोरी करते पकडे गये क्या!
- ना ना! जुकाम के कारण पकडा गया!

- जुकाम के कारण! बात कुछ समझ में नहीं आई। सर्दी जुकाम होना तो कोई अपराध् नहीं है, जिसके कारण जेल जाना पडे।
- अरे! मेरी बात तो सुन! हुआ ऐसा कि मैं एक घर में चोरी कर रहा था। तिजोरी तोड चुका था। उसे साफ कर चुका था। मैं पोटला बांध् कर भागने की तैयारी में ही था कि जुकाम के कारण छींक गई। उसे रोकने की बहुत कोशिष की, पर जुकाम इतना खतरनाक था कि रोक नहीं पाया। जोर से आई उस छींक के कारण घर वाले जाग गये। और मैं अपने कदम बाहर रखूं, उससे पहले उन्होंने मुझे पकड लिया।
यदि मुझे जुकाम नहीं होता, तो तो छींक आती, मैं पकडा जाता और मुझे जेल जाना पडता!

हम भी ऐसा ही करते हैं। सजा का कारण चोरी है, पर वह जुकाम को जिम्मेदार ठहरा रहा था। ऐसे ही दु:, पीडा और अपमान का कारण वे कर्म हैं, जिन्हें मैंने ही हँसते हँसते राग द्वेष के कारण बांधे हैं। पर मैं यह नहीं समझ पाता और निमित्त को जिम्मेदार ठहराता हूँ।
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