महासमुन्द से श्री शिखरजी महातीर्थ पद यात्रा संघ का ऐतिहासिक आयोजन
परम पूज्य
गुरुदेव प्रज्ञापुरूष आचार्य देव श्री
जिनकान्तिसागरसूरीश्वरजी म.सा.
के शिष्य पूज्य
मुनिराज ब्रह्मसर तीर्थोद्धारक वशीमालानी
रत्न शिरोमणि बकेला
तीर्थोद्धारक मुनिराज श्री मनोज्ञसागरजी
म.सा. की
परम पावन प्रेरणा
से छत्तीसगढ से
प्रथम बार श्री
सम्मेतशिखरजी महातीर्थ का छह
री पालित पद
यात्रा संघ का
ऐतिहासिक आयोजन प्रारंभ है।
इस संघ
की सबसे बडी
विशेषता है कि
इस संघ को
स्थानकवासी श्रमण संघ के
छत्तीसगढ प्रवर्त्तक महाश्रमण लोकमान्य
संत परम पूज्य
श्री रतनमुनिजी म.सा. की
भी निश्रा प्राप्त
हो रही है।
पूज्य मुनिराज श्री
मनोज्ञसागरजी म. के
शिष्य पूज्य मुनि
श्री नयज्ञसागरजी म.
एवं पूज्य रतनमुनिजी
म.सा. के
शिष्य सेवाभावी तरूण
तपस्वी डाँ. पूज्य
सतीशमुनिजी म.सा.,
मधुरगायक तपस्वी श्री शुक्लमुनिजी
म., स्वाध्यायी श्री
रमनमुनिजी म., विद्याभिलाषी
पू. श्री आदित्यमुनिजी
म. के साथ
साथ स्थानकवासी सतियों
की पावन सानिध्यता
प्राप्त हो रही
है।
पूज्य मुनिवरों ने
इस संघ में
सम्मिलित होकर सकल
जैन संघ को
जैन एकता का
संदेश दिया है।
संप्रदाय भले अलग
अलग हो, पर
नवकार हमारा एक
है। तीर्थंकर हमारे
एक हैं। उनके
सम्मिलित होने से
संपूर्ण छत्तीसगढ में एकता
की लहर फैल
गई है। सकल
श्री संघ में
अनूठा आनन्द छा
गया है।
13 दिसम्बर 2013 को शुभ
मुहूर्त्त में महासमुन्द
से इस चतुर्विध
संघ का पावन
प्रस्थान हुआ। प्रस्थान
के मांगलिक अवसर
पर हजारों श्रद्धालुओं
का आगमन हुआ।
200 से अिधक
यात्री छह ‘री’ का पालन करते
हुए तीर्थ यात्रा
कर रहे हैं।
रोजाना 200 से अिधक
बाहर से दर्शनार्थियों
का आगमन होता
है। यह संघ
20 जनवरी 2014 को रांची
पहुँचेगा। वहाँ से
नेवरी, पांचागांव, जैनामोड, डुमरीमोड
होता हुआ ता.
30 जनवरी 2014 को मधुवन
शिखरजी पहुँचेगा। 31 जनवरी को तीर्थयात्रा
होगी तथा 1 फरवरी
को संघ माला
तीर्थ माला का
आयोजन होगा, उस
अवसर पर हजारों
श्रद्धालुओं का आगमन
होगा।
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