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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

पालीताना में श्री कुंथुनाथ मंदिर की प्रतिष्ठा संपन्न

तलेटी के पास बने श्री जिनेश्वरसूरि खरतरगच्छ भवन परिसर में नवनिर्मित श्री कुंथुनाथ जिन मंदिर, नवग्रह मंदिर एवं दादावाडी की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी . सा. आदि की पावन निश्रा में ता. 7 दिसम्बर मिगसर सुदि 5 को अत्यन्त आनंद हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई।

प्रतिष्ठा अवसर पर धर्मशाला के उद्घाटन कर्ता श्री वीरेन्द्रमलजी आशिषकुमारजी मेहता चेन्नई से वायुयान से 400 व्यक्तियों का संघ लेकर पधारे। साथ ही भोजनशाला उद्घाटन कर्ता श्री कोठारी परिवार चेन्नई से 300 लोगों का संघ लेकर पधारे।
प्रतिष्ठा के इस मंगलमय अवसर पर कोलकाता, टाटानगर, छत्तीसगढ, चेन्नई आदि क्षेत्रों से बडी संख्या में श्रद्धालु भक्तों का पदार्पण हुआ।
ता. 30 नवम्बर 2013 से महोत्सव का प्रारंभ कुंभ स्थापना के साथ हुआ। ता. 6 दिसम्बर को भव्यातिभव्य वरघोडे का आयोजन किया गया। श्री साचा सुमतिनाथ जिन मंदिर से प्रारंभ हुई विविध मंडलियों से भरपूर यह शोभायात्रा अंजनशलाका मंडप में पहुँची। जहाँ दीक्षा कल्याणक मनाया गया।
चढावों का संचालन शासन रत्न श्री मनोजकुमारजी बाबुमलजी हरण ने किया। कायमी ध्वजा का लाभ बाडमेर-मालेगांव निवासी श्री डामरचंदजी चतुर्भुजजी छाजेड परिवार के श्री शांतिलालजी छाजेड ने लिया। उनकी सुपुत्री कुमारी सीमा छाजेड की दीक्षा का भी आज ही वरघोडा संपन्न हुआ। दीक्षा ग्रहण से पूर्व उसके हाथों से शिखर पर ध्वजा चढाई गई। परिवार ने एक अनूठा लाभ लिया।
रात्रि में अंजनशलाका का विधान दिव्य एवं अलौकिक वातावरण में संपन्न हुआ। ता. 7 दिसम्बर को शुभ मुहूत्र्त में प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इस अवसर पर पूज्यपाद आचार्य श्री राजयशसूरीश्वरजी .सा. आदि संतों का पदार्पण हुआ।
कल्याणक कार्यक्रम में संगीतकार श्री नरेन्द्र वाणीगोता आये थे। जिन्होंने अपने विशिष्ट संगीत एवं मधुर स्वरों से शमां बांध दी।
प्रतिष्ठा के पश्चात् अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। पूज्य आचार्यश्री राजयशसूरिजी ., पूज्य उपाध्याय श्री मणिप्रभसागरजी ., पू. श्री कुशलमुनिजी . एवं साध्वी मंडल को कामली वहोराई गई। कामली वहोराने का लाभ श्री वीरेन्द्रजी मेहता एवं श्री तिलोकचंदजी बरडिया ने लिया। साथ ही संघ लेकर पधारे श्री वीरेन्द्रजी मेहता, श्री कोठारीजी, श्री बरडियाजी आदि का बहुमान किया गया।
इस मंदिर के निर्माण में रात दिन एक करने वाले ट्रस्ट के महामंत्री जयपुर निवासी श्री फतेहसिंहजी बरडिया का बहुमान किया गया।
पूजनीया साध्वी श्री शशिप्रभाश्रीजी .सा. ने अपने वक्तव्य में लूणिया एवं दायमा परिवार का बहुमान करते हुए कहा- उन्होंने पूज्यश्री का चातुर्मास करवाया और हमें प्रतिष्ठा कराने का अनायास अवसर उपलब्ध्ा हो गया। उन्होंने श्री फतेहसिंहजी बरडिया के पुरूषार्थ का अभिनंदन करते हुए कहा- इन्होंने स्वास्थ्य की अनुकूलता होते हुए भी बार बार जयपुर से यहाँ आकर जिन मंदिर के कार्य को व्यवस्थित रूप से देखा। आपकी मेहनत की जितनी अनुमोदना की जाय उतनी कम है। ध्वजा का लाभ लेने वाले श्री शांतिलालजी छाजेड को कितना धन्यवाद दूं, जिन्होंने अपनी बेटी के लिये ध्वजा का इतना महान् लाभ लिया। ता. 8 को प्रात: द्वारोद्घाटन हुआ सतरह भेदी पूजा के साथ कार्यक्रम पूर्ण हुआ।



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