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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

NAHTA GOTRA HISTORY नाहटा गोत्र का इतिहास


नाहटा गोत्र का इतिहास

आलेखकः- गच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी महाराज
नाहटा, बहुफणा गोत्र की मुख्य शाखा है। जीवन और सच्च के 34 पुत्र थे। इनमें सावंत नामका पुत्र श्रेष्ठ वीर था। इनका पुत्र जयपाल पृथ्वीराज की सेना में सेनापति था। उसके नेतृत्व में काबुल के बादशाह की सेना से छह बार युद्ध हुआ। और विजय प्राप्त की।
जयपाल के युद्ध के मैदान में पीछे नहीं हटने के कारण पृथ्वीराज ने इन्हें ना हटाका बिरूद दिया। इस प्रकार बहुफणा गोत्र में नाहटा गोत्र/शाखा का उद्भव हुआ।
नाहटा गोत्र में कितने ही विशिष्ट व्यक्तित्वों ने जन्म लिया जिन्होंने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से जिन शासन व राष्ट्र को गौरवान्वित किया। सेठ मोतीशाह का नाम अत्यन्त आदर व सम्मान के साथ लिया जाता है। वे इसी नाहटा गोत्र के वंशज थे।
श्री सिद्धाचल महातीर्थ पर बनी सेठ मोतीशा टूंक उनके प्रबल पुरूषार्थ व परमात्म भक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भायखला का विशाल मंदिर एवं दादावाडी सेठ मोतीशा व उनके पुत्र खीमचंदजी ने ही निर्मित की थी। सेठ मोतीशा स्थान स्थान पर जिन मंदिर एवं दादावाडियों का निर्माण कराया था। चेन्नई में विशाल दादावाडी का भूखण्ड सेठ मोतीशा ने ही अर्पण किया था।

नाहटा गोत्र के श्री अगरचंदजी नाहटा व भंवरलालजी नाहटा साहित्य व इतिहास जगत के कोहिनूर रत्न हैं। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण, संवर्धन, इतिहास लेखन को अर्पित किया था। गच्छ के इतिहास को वर्तमान में प्रकाश में लाने का श्रेय नाहटा बंधुओं को जाता है।
इसी वंश के स्वनामधन्य श्री हरखचंदजी नाहटा ने गच्छ व शासन के लिये प्रबल पुरूषार्थ किया।
इस बाफना गोत्र से समय समय पर अन्य शाखाऐं/उपगोत्र निकले। जो बाद में गोत्र के रूप में ही जानी जाने लगी। कुल 37 शाखाओं का उद्भव बाफना गोत्र से हुआ।
1- बापना 2- नाहटा 3- रायजादा 4- थुल्ल 5- घोरवाड़ 6- हुण्डिया 7- जांगडा 8- सोमलिया 9- वाहंतिया 10- वाह 11 मीठडिया 12- वाघमार 13- आभू 14- धतुरिया 15- मगदिया 16- पटवा 17 नानगाणी 18 क्रोटा 19- खोखा 20- सोनी 21- मरोटिया 22- समूलिया 23- धांधल 24- दसोरा 25- भुआता 26- कलरोही 27- साहला 28- तोसालिया 29- मूंगरवाल 30- मकलबाल 31- संभूआता 32- कोचेटा/कोटेचा 33- नाहउसरा 34 महाजनिया 35- डूंगरेचा 36- कुबेरिया 37- कुचेरिया 38- बेताला 39- मारू 40- खोडवाड 41- कलरोही

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