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Showing posts from December, 2016

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Shri JINManiprabhSURIji ms. खरतरगच्छाधिपतिश्री जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है।

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पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. एवं पूज्य आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीजी महाराज आदि ठाणा जहाज मंदिर मांडवला में विराज रहे है। आराधना साधना एवं स्वाध्याय सुंदर रूप से गतिमान है। दोपहर में तत्त्वार्थसूत्र की वाचना चल रही है। जिसका फेसबुक पर लाइव प्रसारण एवं यूट्यूब (जहाज मंदिर चेनल) पे वीडियो दी जा रही है । प्रेषक मुकेश प्रजापत फोन- 9825105823

Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj पद्मश्री विभूषित पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजयजी का मंतव्य-

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Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज के गुणानुवाद स्वरुप पद्मश्री विभूषित पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजयजी का मंतव्य-                   ‘‘महोपाध्याय क्षमाकल्याण गणी राजस्थान के जैन विद्वानों में एक उत्तम कोटि के विद्वान् थे और अन्य प्रकार से अन्तिम प्रौढ पंडित थे। इनके बाद राजस्थान में ही नहीं अन्यत्र भी इस श्रेणि का कोई जैन विद्वान् नहीं हुआ। इनने जैन यतिधर्म में दीक्षित होने बाद, आजन्म अखण्डरूप से साहित्योपासना साहित्यिक रचनाएँ निर्मित हुई। साहित्यनिर्माण के अतिरिक्त तत्कालीन जैन समाज की धार्मिक प्रवृत्ति में भी इनने यथेष्ट योगदान दिया जिसके फलस्वरूप, केवल राजस्थान में ही नहीं परन्तु मध्यभारत, गुजरात, सौराष्ट्र, विदर्भ उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल जैसे सुदूर प्रदेशो में भी जैन तीर्थों की संघयात्राएँ देवप्रतिष्ठाएँ और उद्यापनादि विविध धर्मक्रियाएँ संपन्न हुई। इनके पांडित्य और चारित्र्य के गुणों से आकृष्ट होकर, जेसलमेर, जोधपुर और बीकानेर के तत्कालीन नरेश भी इन पर श्रद्धा एवं भक्ति रखते थे ऐसा इनके जीवनचरित्र संबन्धी उपलब्ध सामग्री से ज्ञा

Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज का परिचय

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Mahopadhyay Shree Kshamakalyan ji Maharaj महोपाध्याय श्री क्षमाकल्याणजी महाराज का जन्म ओशवंश के मालुगोत्र में केसरदेसर नाम के गाँव में संवत् १८०१ में हुआ था। सं. १८१२ में अपनी ११ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने वाचक श्रीअमृतधर्मजी महाराज से दीक्षा ग्रहण की।   अपने जीवनकाल में उनके विहार का अधिक समय बिहार प्रान्त के पटना आदि स्थलो में काफी बीता है। वि. सं. १८७२ पौष वदी १४ को बीकानेर में कालधर्म को प्राप्त हुवे। इनका विस्तृत जीवन चरित्र श्री क्षमाकल्याणचरित नाम के ग्रन्थ में है। इसकी रचना जोधपुर महाराजा के निजी पुस्तकभण्डार के उपाध्यक्ष पं. श्रीनित्यानन्दजी शास्त्री ने की है। सुन्दर संस्कृत श्लोकों में श्री क्षमाकल्याणजी का पूर्ण जीवनवृतान्त दिया गया है।   इनकी प्राप्त रचनाओं में मुख्य रचनायें निम्न हैं- तर्कसंग्रह फक्किका ( 1827), भूधातु वृत्ति ( 1829), समरादित्य केवली चरित्र पूर्वाद्ध , अंबड चरित्र , गौतमीय महाकाव्य टीका , सूक्त रत्नावली स्वोपज्ञ टीका सह , यशोधर चरित्र , चैत्यवन्दन चतुर्विंशति , विज्ञान चन्द्रिका , खरतरगच्छ पट्टावली , जीवविचार टीका , परसमयसार विचार संग्रह , प्

Rajgir Bihar राजगृही वीरायतन में प्रतिष्ठा 17 फरवरी को

राजगृही पूज्य उपाध्याय श्री अमरमुनिजी म. के आशीर्वाद से एवं आचार्यश्री चन्दनाजी महाराज की पावन प्रेरणा से वीरायतन के पावन परिसर में श्री पाश्र्वनाथ परमात्मा का भव्य शिखरबद्ध जिन मंंदिर का निर्माण चल रहा है। इस मंदिर निर्माण का संपूर्ण लाभ पूना निवासी श्री रसिकलालजी सौ. शोभादेवी धारीवाल परिवार ने लिया है। इस मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि मंडल एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा की पावन निश्रा में संपन्न होगा। त्रिदिवसीय महोत्सव के साथ अंजनशलाका प्रतिष्ठा होगी। इस अवसर पर शासन रत्न श्री मनोजकुमारजी बाबुमलजी हरण पधारेंगे। विधि विधान हेतु जयपुर निवासी सुप्रसिद्ध विधिकारक श्री यशवंतजी गोलेच्छा पधारेंगे।

sammetshikhar tirth Vachna श्री सम्मेतशिखर महातीर्थ की पावन गोद में वांचना शिविर 7 से 9 जनवरी 2017 को

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बीस तीर्थ करों की निर्वाण भूमि श्री सम्मेतशिखर महातीर्थ के पावन ऊर्जावान वातावरण में पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि मुनि मंडल एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. , पू. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म.सा. आदि के पावन सानिध्य में दिनांक 7, 8 व 9 जनवरी 2017 को त्रिदिवसीय वांचना शिविर का आयोजन किया गया है। ता. 10 जनवरी को सामूहिक यात्रा होगी। इस शिविर का आयोजन अ.भा. खरतरगच्छ युवा परिषद ‘ केयुप ’ द्वारा किया जा रहा है। इस शिविर का संपूर्ण लाभ गढ़ सिवाना-अहमदाबाद निवासी संघवी श्री अशोककुमारजी मानमलजी भंसाली द्वारा लिया गया है। यह शिविर जैन धर्म दर्शन तत्त्वज्ञान का सामान्य बोध क्रिया , विधि , गच्छ , इतिहास आदि विविध विषयों पर केन्द्रित होगा। शिविर में सम्मिलित होने हेतु इच्छुक शिविरार्थी शीघ्र ही संपर्क कर अपना नाम अंकित कराकर अनुमति प्राप्त करें।  संपर्क सूत्र -  अशोक भसांली-  9825030604, 

दुर्ग से कैवल्यधाम का छह री पालित संघ संपन्न

पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. आदि ठाणा 5 की पावन निश्रा में दुर्ग नगर से श्री भूरमलजी पतासी देवी बरडिया परिवार की ओर से उवसग्गहरं तीर्थ-कैवल्यधाम तीर्थ के लिये छह री पालित संघ का भव्य आयोजन किया गया। कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधि विधान के साथ चतुर्विध संघ ने नगपुरा की ओर प्रस्थान किया। श्री उवसग्गहरं तीर्थ पहुँचने पर संस्थान की ओर से भव्य स्वागत किया गया। वहाँ बिराजमान आचार्य श्री राजचन्द्रसूरिजी म. आदि की सामूहिक निश्रा में कार्तिक पूर्णिमा का विधान किया गया। प्रवचन में पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपतिश्री ने शत्रुंजय तीर्थ की भावयात्रा विवेचना के साथ कराई। ता. 15 को वहाँ से विहार कर संघ दुर्ग पहुँचा। जहाँ श्री सुखसागर प्रवचन मंडप में श्री भूरमलजी बरडिया ने जीवराशि क्षमापना की। पूज्यश्री ने पद्मावती आलोयणा सुनाने के साथ उसकी विवेचना कर जीवराशि क्षमापना का रहस्य समझाया।

दुर्ग नगर में उपधान तप की आराधना सानन्द संपन्न

पूज्य गुरुदेव गच्छाधिपति आचार्य देव श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. पूज्य मुनि श्री मनितप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री समयप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री विरक्तप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री श्रेयांसप्रभसागरजी म. पूज्य मुनि श्री मलयप्रभसागरजी म. ठाणा 6 एवं पूजनीया माताजी म. श्री रतनमालाश्रीजी म. पूजनीया बहिन म. डाँ. श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री प्रज्ञांजनाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री नीतिप्रज्ञाश्रीजी म. पूजनीया साध्वी श्री निष्ठांजनाश्रीजी म. ठाणा 5 की पावन निश्रा में दुर्ग नगर में दिनांक 8 नवंबर 2016 को उपधान तप का माला विधान अत्यन्त आनंद व उत्साह के साथ संपन्न हुआ। मालारोपण विधान के उपलक्ष्य में पंचदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ता. 4 से 6 तक खरतरगच्छाचार्य श्री वर्धमानसूरि विरचित श्री अर्हद् महापूजन पढाया गया। ता. 7 को भव्यातिभव्य शोभायात्रा निकाली गई। ता. 8 को माला विधान हुआ। प्रथम माला धारण करने का लाभ श्रीमती निर्मलादेवी चोपडा को प्राप्त हुआ। माला पहनाने का लाभ मातुश्री तारादेवी श्री पन्नालालजी मूलचंदजी दिलीपजी नवकुमारजी चोपडा सुरगी वालों ने लिया

चातुर्मासों की घोषणा 16 अप्रेल 2017 को रायपुर (छ.ग.) में होगी

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JINMANIPRABHSURI पूज्य गुरुदेव खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने फरमाया है कि पूज्य गणनायक श्री सुखसागरजी म.सा. के समुदाय के साधु साध्वीजी भगवंतों के आगामी चातुर्मासों की घोषणा रायपुर नगर में 16 अप्रेल 2017 को की जायेगी। पालीताना खरतरगच्छ सम्मेलन में लिये गये निर्णय में इस वर्ष यह परिवर्तन किया गया है। सम्मेलन में यह निर्णय किया गया था कि समुदाय के समस्त चातुर्मासों का निर्णय पूज्य गच्छाधिपतिश्री द्वारा ही फाल्गुन सुदि चतुर्दशी के दिन किया जायेगा। चूंकि इस वर्ष पूज्य गच्छाधिपतिश्री होली चातुर्मास की अवधि में विहार में रहेंगे। वे 17 फरवरी 2017 को राजगृही नगर में प्रतिष्ठा संपन्न करवाकर रायपुर की ओर विहार करेंगे , अत: होली चातुर्मास के दिन चातुर्मासों की घोषणा नहीं हो पायेगी। रायपुर में देवेन्द्रनगर में ता. 17 अप्रेल 2017 को प्रतिष्ठा है। उस अवसर पर प्रतिष्ठा से एक दिन पूर्व ता. 16 अप्रेल 2017 वैशाख वदि 5 को चातुर्मास घोषित किये जायेंगे। चातुर्मास की विनंती करने हेतु सकल संघ ता. 16 अप्रेल 2017 को रायपुर पहुँचेंगे।